टाइम्स नाउ से अर्णव गोस्वामी के जाते ही अब उसके न्यूज आवर शो में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी आपा के नेता दिखने लगे हैं! कांग्रेस-आपा के नेताओं ने लंबे समय से अर्णव गोस्वामी का बहिष्कार किया हुआ था, जिस कारण वह उनके टाइम्स नाउ के न्यूज आवर शो में नहीं आते थे! अर्णव के रफ-टफ प्रश्नों से कांग्रेस और केजरीवाल की पार्टी के नेता हमेशा असहज रहते थे। जवाब नहीं होने की स्थिति में शुरू में तो कांग्रेस-केजरीवाल के लोग बत्तमीजी करते थे, लेकिन जब अर्णव ने इन्हें कड़े भाषा में आईना दिखाना शुरू किया तो दोनों के प्रवक्ता और नेता टाइम्स नाउ से भाग खड़े हुए।
कांग्रेस ने करीब एक साल से टाइम्स नाउ का बहिष्कार कर रखा है! शायद तब से ही, जब 2014 चुनाव से पहले अर्णव गोस्वामी के कड़े प्रश्नों पर राहुल गांधी को कोई जवाब नहीं सूझा, जिसके कारण राहुल की हर तरफ फजीहत हुई थी! कांग्रेस का आरोप था कि अर्णव गोस्वामी ने राहुल गांधी के साथ खराब व्यवहार किया! अर्थात अर्णव गोस्वामी ने पहले से पकड़ाई की प्रश्नों की सूची से प्रश्न न पूछकर अपने मन से प्रश्न पूछा, यही कांग्रेस को अखर गया! चूंकि राहुल को पहले से रटे-रटाए प्रश्नों का उत्तर देने का अवसर नहीं मिला, इसलिए कांग्रेस भड़क उठी! गांधी परिवार से कड़ा और अपने मन से कोई पत्रकार प्रश्न पूछे, यह कांग्रेस कैसे बर्दाश्त कर सकती थी, इसलिए उसने टाइम्स नाउ का ही बहिष्कार कर दिया। गांधी परिवार से प्रश्न पूछने की ठेकेदारी राजदीप सरदेसाई, उनकी पत्नी सागरिका घोष या कांग्रेस के साथ मिलकर 2जी स्कैम में पावर ब्रोकर की भूमिका निभाने वाली बरखा दत्त जैसे कांग्रेस-प्रिय पत्रकारों के पास ही है!
ऐसा ही कुछ हाल अरविंद केजरीवाल का है। अरविंद केजरीवाल का अभी-अभी बीबीसी ने एक साक्षात्कार किया। बीबीसी ने उनके मनमाफिक जब प्रश्न नहीं पूछा तो साक्षात्कार में ही केजरीवाल भड़क उठे और बीबीसी पर नीच, गिरे हुए, मोदी से डर आदि जैसा आरोप लगा बैठे। बीबीसी ने बाद में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि केजरीवाल के मनमाफिक प्रश्न न पूछने का अर्थ यह नहीं है कि हम दूसरी पार्टी के समर्थक हैं। जो मामले अदालत के विचारधीर हो, उस पर केजरीवाल जज बनकर फैसला सुनाने के लिए बीबीसी के प्लेटफॉर्म का उपयोग करें, यह बीबीसी होने नहीं दे सकता है! बीबीसी का कहना था कि केजरीवाल केवल आरोप लगाते हैं, तथ्यों पर बात नहीं करते और जब उनसे तथ्य पर बात करने के लिए कहा गया तो वह बिगड़ पड़े।
टाइम्स नाउ के अर्णव गोस्वामी भी केजरीवाल की पार्टी के प्रवक्ताओं को आरोपों की राजनीति नहीं करने देते थे, जैसा कि केजरीवाल एनडीटीवी और आजतक में बैठकर करते रहे हैं। अर्णव ने हमेशा केजरीवाल के प्रवक्ताओं से हर आरोप का सबूत मांगा, जिससे केजरीवाल के प्रवक्ता चिढ़ जाते थे। अर्णव का हमेशा कहना था कि किसी की राजनीति को चमकाने के लिए वह टाइम्स नाउ के प्लेटफॉर्म का उपयोग नहीं होने दे सकते है। इससे आजिज आपा के नेताओं व प्रवक्ताओं ने टाइम्स नाउ का बहिष्कार ही कर दिया। अब जब अर्णव ने टाइम्स नाउ से इस्तीफा दे दिया है और उनका आखिरी न्यूज ऑवर शो भी समाप्त हो चुका है तो कांग्रेस व आपा के प्रवक्ता न्यूज डिबेट में नजर आने लगे हैं!
Jisne bhi likha h kya khub likha h….