सलमान ख़ान ने सन 2009 में ‘वांटेड’ से सफल दक्षिण भारतीय फिल्मों के हिन्दी संस्करण पेश करने की शुरुआत की थी। ये फार्मूला केवल सलमान ने नहीं बल्कि उनके समकालीन आमिर खान और शाहरुख़ खान ने भी अपनाया और लंबी सफल पारी खेलने में सफल रहे। अब ये बुढ़ाते सितारे दक्षिण भारतीय फिल्मों को छोड़ कोरियन और हॉलीवुड की कामयाब फिल्मों की नकल कर अपना सिंहासन बचाने की कोशिश में हैं।
विपुल रेगे
सलमान खान की नई फिल्म ‘राधे’ ईद के अवसर पर प्रदर्शित हो रही है। बताया जा रहा है कि ये फिल्म दो कोरियन फिल्मों की खिचड़ी है। एक है ‘ऑउट लॉ’ और दूसरी है ‘वेटरन’। सलमान खान की ‘भारत’ भी एक कोरियाई फिल्म की रीमेक थी लेकिन बुरी तरह फ्लॉप रही।
बॉलीवुड के बड़े सितारों के पास अब वह कंटेंट ही नहीं बचा है, जिसकी मदद से दर्शकों को थियेटर में लाया जा सके। कोरोना काल के बाद जब थियेटर खोले गए, बॉलीवुड की फिल्मों को दर्शकों ने भाव ही नहीं दिया। कोरोना काल के बाद प्रदर्शित हुई कोई भी फिल्म अब तक बीस करोड़ के कलेक्शन तक भी नहीं पहुँच सकी है।
ऐसे में सलमान खान को एक रक्षक की तरह प्रस्तुत किया जा रहा है। उनकी फिल्म की तगड़ी ओपनिंग लगवाने के लिए प्रयास शुरु कर दिए गए हैं। पिछले दिनों पश्चिम बंगाल में फिल्म वितरकों ने थियेटर संचालकों को ये सुनिश्चित करने के लिए कहा कि भाई की फिल्म में थियेटर भरे रहे, इसका पूरा प्रयास किया जाए।
ऐसा फरमान तो कभी अमिताभ बच्चन या अनिल कपूर ने भी जारी नहीं किया था, जब उनकी फ़िल्में पिटने लगी थी। क्या जनता को आप कोई फिल्म देखने के लिए बाध्य कर सकते हैं? सलमान खान को अब भी ये लगता है कि उनके नाम से दर्शक दौड़ा चला आएगा, तो वे घोर अँधेरे में जी रहे हैं।
जिस दिन से दर्शकों ने बॉलीवुड के बहिष्कार का निर्णय लिया था, उसी दिन से सबसे अधिक संकट सलमान के लिए शुरु हो गया था। सलमान, अक्षय, शाहरुख़ इस बात पर विश्वास नहीं करेंगे कि दर्शक इस बार उनकी फिल्मों का बेसब्री से इंतज़ार कर रहा है। इसलिए नहीं कि वह इनकी फ़िल्में देखना चाहता है, बल्कि इसलिए कि वह इनकी फिल्मों का बहिष्कार करना चाहता है।
निश्चित ही ऐसा जॉन अब्राहम, अजय देवगन, कार्तिक और आयुष्यमान खुराना जैसे सितारों के लिए नहीं है। जॉन अब्राहम की ‘मुंबई सागा’ इसी सप्ताह प्रदर्शित हो रही है और बॉक्स ऑफिस पर अच्छी संभावना दिखा रही है। सलमान खान, शाहरुख़ खान, आमिर खान, अक्षय कुमार अब अधेड़ावस्था को प्राप्त कर चुके हैं। हीरो के रुप में पेश होने पर सफलता का प्रतिशत घटता जा रहा है।
और बॉलीवुड ने तो अक्षय कुमार के नाम पर करोड़ों का दांव खेल रखा है। उसने ये जाना ही नहीं कि अक्षय कुमार आज की तारीख में सबसे अनचाहे सितारे बन चुके हैं। सलमान खान ने दक्षिण भारत का माल तो खूब बटोर लिया है और अब उनकी निगाह कोरियाई नूडल्स पर है। हालांकि भारत फिल्म की नाकामयाबी ने बताया कि कोरियाई नूडल्स सलमान को हज़म नहीं हुए।
‘राधे’ की सफलता या असफलता पर सलमान का संपूर्ण कॅरियर निर्भर करता है। फिल्म के न चलने की स्थिति में सुपर सितारे का ओहदा उनसे छीना जा सकता है। इतिहास स्वयं को दोहराता है। एक समय अमिताभ बच्चन भी इसी तरह अपना सिंहासन बचाने के लिए जूझ रहे थे।
भारत के हिन्दी फिल्म उद्योग की अघोषित परंपरा रही है कि यहाँ से सितारे को बेदखल किया जाता है, वह स्वयं नहीं हटता। झुर्रियों भरे चेहरे को लाइट्स इफेक्ट्स से ठीक करता है। कमर के टायरों को कम्प्यूटर ग्राफिक्स की सहायता से हटाता है। वह युवा बने रहने का भरम यथावत बनाए रखना चाहता है। वह कभी शालीन विदाई नहीं लेता क्योंकि शिखर का अहंकार उसे ऐसा करने से रोकता है। सलमान खान और उनके समकालीन अभिनेताओं की यही कहानी है।