Archana Kumari. महाराष्ट्र के उद्धव ठाकरे सरकार ने पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह के आरोपों की जांच के लिए हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त जज कैलाश उत्तमचंद चांदीवाल की नियुक्ति की है । एक सदस्य समिति 6 महीने में रिपोर्ट देगी । इस संबंध में सरकार ने एक सर्कुलर जारी किया है ।
इस बीच मीठी नदी से बरामद डीवीआर और प्रिंटर की जांच करने के बाद सीएफएल की टीम ने उसकी रिपोर्ट NIA को सौंप दी है । सूत्रों का दावा है कि रिपोर्ट के अनुसार , इसी प्रिटर से उद्योगपति मुकेश अंबानी को धमकी भरा पत्र निकाला गया था । यह प्रिंटर वाझे के खास विनायक शिंदे का है ।
इसे जांच एजेंसी ने विनायक शिंदे के घर से जब्त किया था । शिंदे ने ही वाझे के निर्देश पर ‘ प्रिय मुकेश भैया और नीता भाभी ‘ वाला धमकी का पत्र टाइप किया था। इस बीच आरोपी विनायक और नरेश को 7 अप्रैल तक एनआईए रिमांड पर एनआईए के कस्टडी में रहेंगे जबकि निलंबित पुलिसकर्मी सचिन से जुड़ी नई मुंबई से एक कार और एनआईए ने बरामद किया।
इसके पहले 6 कार जप्त की जा चुकी है जबकि ताजा जप्त की गई कार एनआईए के द्वारा जप्त 7 वी कार होगी । पिछले 15 दिनों से नवी मुंबई की एक इमारत के नीचे या कार खड़ी थी। जांच एजेंसी का कहना है कि नरेश ही वो शख्स है, जिसने गुजरात के सिम कार्ड हासिल किए थे और उसी में से एक सिमकार्म का इस्तेमाल विनायक शिंदे ने मनसुख हिरेन को कॉल करने के लिए किया था।
विनायक शिंदे ने उसी गुजराती सिम कार्ड से कॉल करके मनसुख हिरेन को 4 मार्च के दिन ठाणे में बुलाया था। बाद में मनसुख की हत्या कर दी गई। मनसुख हिरेन हत्याकांड की जांच में जुटी एटीएस को 3 मोबाइल फोन मिले थे और अब एनआईए को 3 और लक्जरी कारों की तलाश है। जिनमें एक आउटलैंडर, एक स्कोडा कार और एक ऑडी कार शामिल है।
सूत्रों के मुताबिक सचिन ने पिछले एक साल में 9 अलग-अलग लग्जरी कारों का इस्तेमाल किया था और इनमें से 7 कारों को एजेंसी ने अभी तक अपने कब्जे में ले लिया है। महाराष्ट्र सरकार का कहना है कि परमवीर सिंह के आरोपों को लेकर न्यायाधीश कैलाश उत्तमचंद चांदीवाल (सेवानिवृत्त) की अध्यक्षता में एक सदस्यीय समिति को अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपने के लिए छह महीने का समय दिया गया है।
सनद रहे कि मुंबई के पुलिस आयुक्त पद से तबादले के बाद परमवीर सिंह ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को एक पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि गृह मंत्री अनिल देशमुख ने पुलिस अधिकारी सचिन को 100 करोड़ रुपये वसूली का लक्ष्य दिया था लेकिन देशमुख ने इन आरोपों से इनकार किया था।
आयोग इस बात की भी जांच करेगा कि क्या परमबीर सिंह के आरोपों में कोई सच्चाई भी है या नहीं, और क्या इस मामले में एंटी करप्शन ब्यूरो या अन्य जांच एजेंसियों से पड़ताल कराने की आवश्यकता है और इसके अलावा चांदीवाल इस मामले में अपनी सिफारिश भी दे सकते हैं कि सरकार को क्या कदम उठाने चाहिए।