इस देश में मीडिया पर हावी पत्रकारों के एक खास तबके ने हिंदुओं को बदनाम करने का ठेका ले रखा है। मुसलमानों को पीड़ित और हिंदुओं को हत्यारा साबित करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ता, वहीं जब मुसलमानों का आतताईपन सामने आता है तो मुंह छिपा कर उसे दबाने में जुट जाता है। जिस दिन राजस्थान के अलवर में गो तस्करी के आरोपी रकबर की मौत हुई, उसी दिन राजस्थान के बाड़मेर जिले में मुसलमानों ने लिंचिंग कर एक दलित युवक की हत्या कर दी थी।
Is outrage selective? Dalit youngster lynched for allegedly having an affair with a Muslim woman, reportedly by Akbar Khan, Anwar Khan, Raheem Khan, Muheeb Khan & Shaukat Khan. Is quest for justice case specific? Both cases from Rajasthan https://t.co/uc3Ltkd0bU via @htTweets
— GAURAV C SAWANT (@gauravcsawant) July 24, 2018
मुख्य बिंदु
* मुसलिम लड़की से प्यार करने की वजह से षड्यंत्र के तहत दलित युवक खेतराम भील की कर दी हत्या
* मुसलिमों द्वारा निर्दोष दलित युवक की हत्या तथाकथित सेक्युलर पत्रकारों के लिए कोई खबर है ही नहीं
* मीडिया हाउसों द्वारा देश भर में मुसलमानों की करतूतों को जानबूझ कर दबाने का प्रयास किया जा रहा है
अलवर की घटना आप तक कई माध्यमों से अवश्य पहुंची होगी, लेकिन क्या बाड़मेर में मुसलमानों द्वारा दलित युवक की हत्या की खबर आप तक पहुंची है? यह खबर शायद ही आपने सुनी होगी? क्योंकि पत्रकारों के एक तबके ने इस खबर को आप तक पहुँचने ही नहीं दिया होगा! बाड़मेर ही क्यों पश्चिम बंगाल के जुरानपुर में एक हिंदू परिवार के तीन सदस्यों की मुसलमान जिहादियों द्वारा की गई हत्या की खबर आप तक पहुंची है? क्या आप ने महाराष्ट्र में 17 साल के युवक को हिंदू होने की वजह से मुसलमानों द्वारा जलाने की खबर सुनी है? ऐसी कितनी खबर आप तक जानबूझ कर नहीं पहुंचने दी जाती… जबकि मुसलमानों द्वारा निर्दोष हिंदुओं की हत्या करने की घटनाओं की सूची काफी लंबी है।
अलवर की घटना गो तस्करी और पुलिस की आपसी रंजिश का मसला भर है, लेकिन पुलिस अपनी खाल बचाने के लिए मीडिया का एक तबका हिंदुओं और गो रक्षकों को बदनाम करने के लिए इसे उछालने में जुटे हैं। जबकि बाड़मेर में 22 साल के दलित युवक की मुसलमानों ने भीड़ बनकर इसलिए हत्या कर दी क्योंकि वह मुसलिम लड़की से प्यार करता था। अलवर की घटना आपराधिक थी, जबकि बाड़मेर की घटना सामाजिक है। फिर भी मीडिया ने अपराध में लिप्त रकबर की मौत को देश की घटना बना दिया जबकि एक दलित युवक द्वारा एक मुसलिम लड़की से प्यार करने को इतना बड़ा गुनाह बना दिया कि मुसलमानों ने उसकी हत्या कर दी।
पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक बाड़मेर जिले के भिंडे का पार गांव के 22 साल के दलित युवक खेतराम भील की मुसलमानों ने पीट-पीट कर हत्या कर दी। पुलिस का कहना है कि 22 साल के दलित युवक की इसलिए हत्या कर दी गई क्योंकि उसका एक मुसलिम लड़की से प्यार प्रसंग चल रहा था। पुलिस का कहना है कि खेतराम भील की पिटाई से पहले दोनों हाथ और पैर बांध दिए गए थे। उसके बाद पीट-पीट कर मार दिया गया।
पुलिस का कहना है कि प्राथमिक जांच के मुताबिक यह प्रेम प्रसंग में की गई हत्या का मामला लगता है। विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक दलित युवक खेतराम भील की षड्यंत्र के तहत हत्या की गई है, और बाद में इसे मॉब लिंचिंग बनाया गया है। आरोप है कि दलित युवक खेतराम मुसलमान परिवार महबूब खान के घर में काम कर रहा था। उसी घर में एक लड़की से उसे प्यार हो गया। घर के लोगों ने कई बार दोनों को एक साथ पकड़ा भी। लेकिन पुलिस में शिकायत करने की बजाय पंचायत में सुलझाया।
बाद में उन लोगों ने उस युवक को ही ठिकाना लगाने के लिए मॉब लिंचिंग की योजना बनाई। बीते शुक्रवार को दलित युवक खेतराम भील को सद्दाम खान और हयात खान ने घर से बुलाया और साथ चलने को कहा। खेतराम को दोनों खेत की तरफ ले गए, जहां पहले से ही अमर खान, अकबर खान, अनवर खान, रहीम खान, मुहीब खान, पठानी खान तथा शौकत खान मौजूद थे। इन लोगों ने भील के हाथ-पैर बांधकर पीटना शुरू कर दिया। इतनी पिटाई से वह मरणासन्न हो गया। इस घटना को मॉबलिंचिंग बनाने के लिए खेतराम की घटना स्थल से 500 मीटर दूर ले जाकर दोबारा पीट-पीट कर हत्या कर दी। साजिश के तहत इतनी दर्दनाक घटना को मुसलमानों ने अंजाम दिया लेकिन इस खबर को मीडिया ने नहीं छापा।
मीडिया का एक तबका हिंदुओं के प्रति बेइमान बन चुका है तभी तो मुसलमानों की करतूत को छिपाने में लगा है। जबकि एक आपराधिक प्रवृति गो तस्करी के आरोपी रकबर खान की मौत को तरजीह जी जा रही है। हमारे पास मुसलमानों द्वारा हिंदुओं की हत्या की ऐसी सूची है जिसका मीडिया ने जिक्र तक नहीं किया है। वह चाहे पश्चिम बंगाल में एक परिवार के तीन सदस्यों की मुसलमानों द्वारा हत्या हो, या फिर महाराष्ट्र में 17 साल के सावन राठौड़ नाम के किशोर की हत्या। इस किशोर को तो महज इसलिए जिंदा जला दिया क्योंकि वह हिंदू था। लेकिन इस लिंचिंग पर भी सेक्युलर जमात ने चुप्पी साध ली! इस हत्या की हकीकत उस वक्त सामने आई जब सावन राठौड़ द्वारा पुलिस को दिए बयान का एक वीडियो सामने आया।
पश्चिम बंगाल के बर्धमान में मुसलमानों ने एक हिंदू महिला को बच्चा चुराने का आरोप लगाकर पीट-पीट कर हत्या कर दी। दिल्ली में ही 24 मार्च, 2016 को विकासपुरी में एक डेंटिस्ट डॉ. पंकज नारंग को करीब 15 मुसलमानों की भीड़ ने पीट-पीटकर हत्या कर दी। हत्या करने वालों में चार नाबालिग शामिल थे। लेकिन लुटियंस जोन के पत्रकारों तक उस डॉक्टर की चीख इसलिए नहीं पहुंची क्योंकि वह हिंदू थे, और दोगले पत्रकारों ने लाठी, लात, और घूसों की आवाज इसलिए नहीं सुनी क्योंकि यह आवाज मुसलमानों की थी। लेकिन यह स्थित उल्टी होती तो, फिर ये दोगले पत्रकार नीचे से आवाज निकालकर चिल्लाते।
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