अर्चना कुमारी। मोदी और नीतीश में एक तो समानता है । दोनों अलग-अलग पार्टी में रहते हुए मुस्लिमों को खुश करने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे। यह दीगर बात है कि मोदी मुसलमानों को लाख खुश करने की कोशिश करें लेकिन उन्हें इनका वोट नहीं मिल पाएगा जबकि नीतीश कुमार अपने घटते जनाधार को देखते हुए बिहार में मुसलमानों को खुली छूट दे रखी है।
यही वजह है कि फुलवारी शरीफ में गजवा ए हिंद बनाने के लिए रूपरेखा तैयार की गई थी जबकि अब पटना के अशोक राजपथ पर निर्माणाधीन मेट्रो का रास्ता सिर्फ इस वजह से बदल दिया गया क्योंकि बीच में अंजुमन इस्लामिया हॉल आ रहा था। बताया जाता है कि इसके बदले अब 211 वर्ष पुराने श्री राधाकृष्ण मंदिर का ये मुख्य द्वार तोड़कर मेट्रो का रास्ता बनाया जाएगा।
तथाकथित सेकुलर नेता के तौर पर देश भर में शुमार नीतीश कुमार चाहते हैं कि मंदिर को भले ही नुकसान पहुंचा दिया जाए लेकिन अंजुमन इस्लामिया हाल को किसी भी सूरत में कोई नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए। ऐसे नेता हिंदुओं को दो कौड़ी का भी नहीं मानते और उन्हें पता होता है कि हिंदू जातियों में बटा है और बिहार में जाति आधारित राजनीति होती रही है।
कभी भी हिंदू समुदाय व्यापक तौर पर इसका विरोध करने सामने नहीं आएंगे । लेकिन दूसरी तरफ मुसलमानों के खिलाफ कोई भी फैसला लेने पर वहां ना केवल एक साथ सारे मुसलमान खड़े हो जाएंगे बल्कि उनके वोट बैंक से भी हाथ धोना पड़ेगा। गौरतलब है कि जब पटना में अंजुमन इस्लमिया हॉल जैसे भवन का निर्माण कराया जा रहा था तब उस समय भाजपा ने इसी तरह रामकृष्ण भवन बनाए जाने की मांग की थी लेकिन अब उन नेताओं के भी मुंह बंद हो गए हैं जब मंदिर के मुख्य द्वार को तोड़ा जा रहा है।
ज्ञात हो कि पिछले कुछ दिनों से पटना में मेट्रो का निर्माण किया जा रहा है और अशोक राजपथ पर सड़क के उतरी दिशा में बने बीएन कॉलेज,अंजुमन इस्लामिया हॉल, पीएमसीएच , खुदाबख्श लाइब्रेरी और पटना विश्वविद्यालय आदि के नीचे से मेट्रो लाइन को गुजारा जाएगा। पटना मेट्रो के निर्माण का काम दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन संभाल रहा है।