नरेंद्र मोदी सरकार ने अलगावपरस्त राजनीतिक पार्टियों को सबक सिखाने का मन बना लिया है। तभी तो हालात नहीं सुधरने पर पहले जम्मू-कश्मीर में चल रही गठबंधन सरकार से समर्थन वापस लिया और अब पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की मुखिया महबूबा मुफ्ती से आवास भी खाली करा लिया है। मोदी सरकार ने महबूबा से दिल्ली स्थित 5, अकबर रोड आवास खाली करा लिया है। हालांकि महबूबा मुफ्ती को यह कदम तभी उठा लेना चाहिए जब वह प्रदेश की मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी और सांसद के पद से इस्तीफ़ा दिया था।
Big breaking news@MehboobaMufti asked to vacate 5 Akbar Road.
Well done @narendramodi
— Prof. Hari Om (@Prof_Hariom) June 25, 2018
महबूबा मुफ्ती सत्ता में रहते हुए भारत और जम्मू स्थित हिंदुओं को बदनाम करने का कुचक्र रचा था। इसका साक्षात उदाहरण कठुआ केस है। प्रोफेसर हरि ओम ने आरोप लगाया है कि महबूबा मुफ्ती और मुसलिम बाहुल्य कश्मीर के क्राइम ब्रांच ने जम्मू के हिंदुओं को बदनाम करने और वहां से भगाने के लिए कठुआ कांड का षडयंत्र रचा था। इस षड्यंत्र में सुन्नी समुदाय से जुड़े पत्रकारों ने उनका खूब साथ निभाया। इसके पीछे इनलोगों की मंशा किसी प्रकार डरा धमका कर यहां से हिंदुओं को पलायन करने पर मजबूर करना तथा वहां पर जिहादियों को बसाकर जम्मू को भी कश्मीर जैसा बनाने की थी। और फिर पाकिस्तान को पूरे जम्मू-कश्मीर से मदद पहुंचाना था।
मुख्य बिंदु
* महबूबा मुफ्ती, कश्मीर के क्राइम ब्रांच और सुन्नी पत्रकारों ने मिलकर रचा था कठुआ कांड का षड्यंत्र
* पटेल नहीं अकेले जवाहरलाल नेहरू था कश्मीर समस्या की जड़, उसी ने पाक को मदद करने की रची थी साजिश
जम्मू-कश्मीर आधारित राजनीतिक पार्टियां दरअसल कश्मीर समस्या का समाधान करना ही नहीं चाहती है, क्योंकि समस्या के समधान होते ही न उन्हें भारत को लूटने का मौका मिलेगा साथ ही पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी सगंठनों से भी फंड आना बंद हो जाएगा। सभी जानते हैं कि जम्मू-कश्मीर का एक ही समाधान है। वह है जम्मू-कश्मीर का तीन भाग में विभाजन, जम्मू, कश्मीर और लद्दाख को अलग राज्य बना दो और फिर कश्मीर को दो भागों में बांटकर एक भाग को वहां से भगाए गए हिंदू पंडितों के लिए गृह क्षेत्र घोषित कर दो। यही एकमात्र समाधान है जिससे अंतर-सांप्रदायिक क्षेत्र सौहार्द्रपूर्ण बन सकेगा। ध्यान रहे कि भारत विरोध के नाम पर कश्मीर के सारे मुसलिम नेता घोर सांप्रदायिक हैं।
कांग्रेस ने अब कश्मीर समस्या के लिए नेहरू की बजाय पटेल को दोषी ठहराने के साथ उनकी छवि को धूमिल करने का प्रयास में जुटी है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी के चमचे सैफुद्दीन सोज की किताब का सहारा लिया है। जबकि सच तो यह है कि कश्मीर समस्या के लिए पटेल नहीं बल्कि भारत का अंतिम गवर्नर जनरल माउंटबेटन और स्वयं जवाहरलाल नेहरू ने भारत के खिलाफ साजिश कर कश्मीर मसले पर पाकिस्तान की मदद की थी। या यूं कहें कि कश्मीर समस्या के लिए अकेले नेहरू ही जिम्मेदार था। क्योंकि उसी ने जम्मू-कश्मीर को गृह मंत्रालय से अलग कर उसे विदेश मंत्रालय के साथ जोड़ा था।
भारतीय जनता पार्टी ने जैसे ही पाक परस्त महबूबा मुफ्ती को उसके मुख्यमंत्री दफ्तर से दफा किया सबसे ज्यादा खुशी राष्ट्रवादी कश्मीरियों को हुई। सभी ने मुक्त कंठ से मोदी सरकार के जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन लगाने के फैसले का स्वागत किया। प्रोफेसर हरि ओम ने तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम ट्वीट कर आगाह भी किया है कि अगर जम्मू-कश्मीर में शांति बहाल करना चाहते हैं तो जिस प्रकार महबूबा मुफ्ती को सत्ता से बेदखल किया है उसी प्रकार जम्मू-कश्मीर में अशांति फैलाने के जिम्मेदार फारुक अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती, उमर अब्दुल्ला, मिरवैज उमर, यासिन मलिक जैसे नेताओं पर लगाम लगाना जरूरी है।
Dear @narendramodi
Exit of pro-Pak @MehboobaMufti from office a good riddance.
Imposition of GUV rule a right move.
But if peace is to be restored in Jihad-gripped Kashmir, 6 ring leaders have to be reined in.
They'r
Farooq
Mehbooba
Omar
Syed Geelani
Mirwaiz Umar
Yasin Malik
— Prof. Hari Om (@Prof_Hariom) June 25, 2018
URL: Modi government asked Mehbooba Mufti leave Delhi accommodation
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