द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान अमेरिकी वायुसेना का बमवर्षक विमान- एक.बी 24 अरूणाचल प्रदेश में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जिसमें अमेरिकी सैनिक भी शहीद हुए थे। अमेरिका अपने दुर्घटनाग्रस्त विमान का मलवा और अपने शहीद सैनिकों का शव भारत सरकार से लगातार मांग रहा था, लेकिन भारत की अब तक की सरकारों ने चीन के दबाव में यह कदम नहीं उठाया। बुधवार यानी 12 अप्रैल 2016 को मोदी सरकार ने चीन की आपत्ति को दरकिनार करते हुए विमान व शहीद सैनिकों का अवशेष अमेरिका को सौंपा। अमेरिकी रक्षा मंत्री एश्टन कार्टर ने भारत से द्वितीय विश्वयुद्ध के अमेरिकी अवशेषों की अमेरिका में वापसी कार्यक्रम की निगरानी की। कार्टर ने इसके लिए रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर और भारत सरकार के प्रति आभार व्यक्त किया।
सोनिया गांधी के नेतृत्व मे चलने वाली संप्रग सरकार ने अमेरिका की मांग पर अवशेष देना तो चाहा था, लेकिन जब चीन ने ऐतराज जताया तो फैसले को पलटते हुए अवशेषों की बरामदगी रोक दी थी। ज्ञात हो कि चीन अरूणाचल प्रदेश को अपना क्षेत्र मानता है, और कमोबेश आजाद भारत की हर सरकार उसकी इस चुनौती से सहमी रही है। लेकिन नरेन्द्र मोदी सरकार ने चीन को ठेंगा दिखाते हुए अमेरिका को अवशेष लौटा दिया।
गौरतलब है कि अमेरिका उन अमेरिकी एयरक्रू के शवों को बरामद करने की कोशिश कर रहा है, जो असम और चीन के कुनमिंग के बीच विमान दुर्घटनाओं में मारे गए थे। अमेरिकी रक्षा विभाग के मुताबिक द्वितीय विश्वयुद्ध के समय 500 से अधिक विमान चीन-भारत-बर्मा क्षेत्र में लापता हुए थे।