वैसे तो जब से नोटबंदी हुई है तब से ही यह आशंका जताई जा रही है कि 2000 रुपये के नोट को वापस लिया जाएगा। लेकिन यह अभी तक आशंका ही बनी रही है, क्योंकि सरकार कई मौकों पर ऐसी किसी भी संभावना से इनकार करती रही। लेकिन आरबीआई द्वारा हाल ही में जारी आंकड़ों तथा इंडिया टुडे द्वारा दाखिल आरटीआई के जरिए मिले जवाब से यह साफ हो गया है कि मोदी सरकार 2000 के नोट को बाजार से धीरे-धीरे हटाने में जुट गई है। क्योंकि आरबीआई द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक 2000 के नोट छापने वाले नासिक प्रेस को अब उसे छापने का कोई ऑर्डर नहीं मिल रहा है।
हालांकि इसी साल 10 अगस्त को जब लोकसभा में सरकार से 2000 रुपये के नोट को सर्कुलेशन से बाहर करने के संदर्भ में प्रश्न पूछा गया तो राज्य वित्त मंत्री ने जवाब दिया कि सरकार इस प्रकार की किसी बात पर विचार नहीं कर रही है। लेकिन 2000 रुपये के नोटों को वापस लिए जाने की आशंका को 28 नवंबर को उस वक्त और बल मिला जब आरबीआई ने अपना नया आंकड़ा जारी कर दिया। आरबीआई द्वारा जारी नए आंकड़े के मुताबिक सर्कुलेश में जितनी करंसी है उनमें 9 से 23 नवंबर के बीच में 11,600 करोड़ रुपये की कमी दिखाई गई है।
इस संदर्भ में जब विशेषज्ञों को पूछा गया तो उन्होंने बताया कि इस प्रकार का ट्रेंड 2000 रुपये के नोट वापस लिए जाने की वजह से दिख रहा है। इस आंकड़ों को जानने के लिए इंडिया टुडे ने आरटीआई दाखिल कर 2000 रुपये के नोटों के बारे में जानकारी मांगी। इस आरटीआई के जरिए जो जवाब दिया गया उसमें स्षष्ट रूप से कहा गया कि आरबीआई ने नासिक प्रेस को 2000 रुपये के नोट छापने का ऑर्डर देना बंद कर दिया है। इस वजह से अब नासिक प्रेस में 2000 रुपये का नोट छपना बंद हो गया है।
वैसे भी 2000 रुपये के नोटों का सर्कुलेशन भी काफी कम हो गया है। क्योंकि जहां 2017 तक प्रचलन में कुल करंसी का 50.2 प्रतिशत हिस्सा 2000 रुपये के नोटा का था जो 2018 में आते-आते घटकर 37.3 प्रतिशत तक रह गया है।
बाजार में सर्कुलेटे करंसी और उसके ट्रेंड के बारे में नजर रखने वाले जानकारों का भी यही मानना है कि आरबीआई के जारी आंकड़े से जो ट्रेंड दिख रहे है उससे साफ है कि मोदी सरकार धीरे-धीरे 2000 रुपये के नोटों की संख्या कम कर रही है। अगर ऐसा नहीं होता तो सर्कुलेशन से 2000 रुपये के नोटों की संख्या को इस प्रकार कम नहीं किया जाता।
प्वाइंट वाइज समझिए
आरबीआई के जवाब से खुलासा
* इंडिया टुडे द्वारा आरटीआई दाखिल कर मांगी गई जानकारी से हुआ यह खुलासा
* नासिक प्रेस को 2000 रुपये के नोट छापने के लिए आरबीआई से नहीं मिला ऑर्डर
* 2017 में कुल नोटों में से 50.3 प्रतिशत हिस्सा सिर्फ 2000 रुपये के नोटों का ही था
* 2018 में 2000 रुपये के नोटों का हिस्सा 50.3 से घटकर 37.3 प्रतिशत रह गया है
* 2000 के नोटों को सर्कुलेशन से बाहर होने की आशंका नोटबंदी के बाद से ही है
* 9 से 23 नवंबर के बीच सर्कुलेटेड करंसी में 11,660 करोड़ रुपये की कमी आई है
* विशेषज्ञों के मुताबिक 2000 के नोटों को वापस लेने से ही यह ट्रेंड सामने आया है
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