अभिजीत श्रीवास्तव। विधि आयोग, एक राष्ट्र एक चुनाव के लिए राष्ट्रीय और मान्यता प्राप्त दलों के साथ बैठक कर रहा है, यहां अच्छी बात यह है की बीजेपी, जदयू, वा अन्य कई दलों के साथ साथ समाजवादी पार्टी ने भी कुछ मांगो के साथ समर्थन किया है। आयोग ने ‘एक साथ चुनाव, संवैधानिक और कानूनी परिप्रेक्ष्य’ नामक एक मसौदा तैयार किया है और इसे अंतिम रूप देने और सरकार के पास भेजने से पहले इसपर राजनीतिक दलों, संविधान विशेषज्ञों, नौकरशाहों, शिक्षाविदों और अन्य लोगों सहित सभी हितधारकों से इस पर सुझाव मांगे हैं।
विधि आयोग के साथ देश के मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय और क्षेत्रीय पार्टियों की दो दिवसीय बैठक शनिवार और रविवार को आयोजित की गई थी। इसमें भाग लेने वाले क्षेत्रीय दलों में समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, बीजू जनता दल, द्रमुक, अन्नाद्रमुक, रालोद, शिरोमणि अकाली दल शामिल हैं। चुनाव आयोग ने पहले ही कह दिया है कि वह एक साथ चुनाव करवाने में सक्षम है, बशर्ते कानूनी रूपरेखा और लॉजिस्टिक्स दुरुस्त हो। कुछ पार्टियों का स्टैंड अभी क्लियर नहीं है, और कुछ पार्टियां विरोध कर रही है, परन्तु विधि आयोग बहुत जल्द अपनी अंतिम रिपोर्ट केन्द्र सरकार को सौंप देगा, जिसपर केंद्र सरकार आवश्यक संविधान संशोधन करेगी।
अब यहां ध्यान दीजिए यह एक और बहुत बड़ा बदलाव होने जा रहा है देश की राजनीति में और यह इसी साल के अंत तक हो कर रहेगा। किसी भी कीमत पर! इसके साथ साथ कुछ चीजें और होंगी, सभी वोटर्स को आधार से जोड़ा जाएगा, 1 वोटिंग लिस्ट भी बनेगी जो आपके आधार के साथ जुड़ी होगी, चुनाव आयोग पहले ही सहमति दे चुका है, एक राष्ट्र एक चुनाव दो चरणों में करवाए जाने का प्रस्ताव भी दिया है, पहला चरण 2019 होगा, इसमें सभी 2019 से 2021 तक होने वाले विधानसभा चुनाव को, संबंधित संविधान संशोधन में बदलाव कर विधानसभा के कार्यकाल को कम किया जाएगा, इसमें 19 राज्य/केंद्र शासित प्रदेश शामिल है।
दूसरा चरण 2024 होगा इसमें 2022, 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव को विधानसभा कार्यकाल बढ़ा कर 2024 में करवाने का प्रस्ताव है। इसमें 12 राज्य/केंद्रशासित प्रदेश शामिल है।
एक साथ चुनाव के फायदे
1-चुनावी चक्र का अंत, जहां हर साल औसतन पांच से ज्यादा राज्यों के चुनाव होते रहते हैं और इसके कारण पार्टियों व चुनावी मशीनरी पर बहुत ज्यादा बोझ पड़ता है।
2-चुनावों पर लगातार बढ़ता खर्च घटेगा। चुनाव के लिए सरकारी कर्मचारियों को बार-बार नहीं भेजना होगा।
3-सुरक्षा संसाधनों/शांतिपूर्ण चुनाव कराने के लिए पुलिसकर्मियों के इस्तेमाल में कमी।
4-कुछ ही समय के लिए चुनावी आचार संहिता लागू होगी जिससे सामान्य सरकारी कामकाज में बार-बार रुकावट नहीं आएगी। जबकि बार-बार चुनाव होने से इस तरह की बाधाएं ज्यादा आती हैं।
5-कम संख्या में चुनाव होने से भ्रष्टाचार पर भी लगाम लगाने में मदद मिलती है और दलालों की संख्या व काले धन में कमी आती है।
साभार: Abhijeet Srivastava के फेसबुक वाल से
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