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India Speak Daily > Blog > राजनीतिक विचारधारा > संघवाद > ट्रिपल तलाक- सर्वसमावेश की ओर मोदी और भाजपा!
संघवाद

ट्रिपल तलाक- सर्वसमावेश की ओर मोदी और भाजपा!

ISD News Network
Last updated: 2019/07/18 at 7:40 PM
By ISD News Network 112 Views 9 Min Read
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9 Min Read
India Speaks Daily - ISD News
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक खासियत रही है कि उन्होंने कभी कोई घोषणा अभी तक वोटों के नफा नुकसान के लिहाज से नहीं की है। दूसरी खासियत यह कि महज सरकार या अपनी लोकप्रियता बढ़ाने के ध्येय से कोई काम नहीं किया है। बड़ी घोषणा या वादा करने से पहले वे काफी होमवर्क करते हैं। इसी कारण देश को हमेशा सकारात्मक परिणाम देखने को मिला है। वह चाहे स्वच्छ भारत अभियान हो या नोटबंदी, जीएसटी लागू करना हो या देश में अब तक का सबसे बड़ा स्वस्थ्य वीमा योजना ‘आयुष्मान भारत’ हो। इसी प्रकार जब उन्होंने लाल किले की प्राचीर से स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर मुस्लिम बहनों से उन्हें तीन तलाक के बंधन से आजादी दिलाने का वादा किया था और कहा था कि वे देश की किसी भी मुसलिम बहनों के साथ किसी प्रकार का अन्याय नहीं होने देंगे तो उस समय भी उन्हें अपने इस वादे को निभाने के लिए आने वाली अड़चनों और वोट के लिहाज से होने वाले नुकसान का भान रहा होगा। लेकिन उन्होंने मजहबी व्यवहार को नहीं देखा उन्होंने इससे होने वाले नुकसान को भी नहीं देखा। देखा तो बस तीन तलाक के कारण महिलाओं पर होने वाले अत्याचार को देखा। आज उनकी इसी दृष्टि के कारण लाल किले से मुसलिम बहनों से तीन तलाक खत्म करने का किया वादा पूरा हुआ। केंद्र सरकार ने तीन तलाक पर ऐतिहासिक अध्यादेश को मंजूरी दे दी है। इसके साथ ही चुनावी साल में इसके असर पर भी चर्चा शुरू हो गई है। वैसे भी किसी भी समाज में सालों संघर्ष के बाद मिली जीत को कोई आसानी से नहीं गंवाना चाहेगा न ही जिताने वाले बाजीगर को हराना ही चाहेगा।

प्रधानमंत्री श्री @narendramodi ने लाल किले की प्राचीर से कहा था की मुस्लिम बहनो के साथ किसी प्रकार का अन्याय नहीं होने देंगे और आज केंद्र सरकार ने ऐतिहासिक #TripleTalaq अध्यादेश को मंजूरी दे कर उन्हें सम्मान से जीने का अधिकार दिया है।#SabkaSaathSabkaVikas pic.twitter.com/9gqzb5zxg6

— BJP Delhi (@BJP4Delhi) 19 September 2018

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अब सवाल उठता है कि मोदी के वादे के अनुरूप केंद्र सरकार द्वारा तीन तलाक के खिलाफ अध्यादेश को मंजूरी देने से पार्टी पर प्रभाव क्या पड़ेगा? खासकर तब जब यह चुनावी साल माना जा रहा है। हालांकि यह सवाल इतने दिनों बाद अब असांदर्भिक हो जाना चाहिए, लेकिन इसका संदर्भ चुनाव तक बना रहेगा क्योंकि मोदी और भाजपा के प्रतिद्वंद्वी दल इसे असांदर्भिक होने नहीं देंगे। वे इसे हथियार बनाकर मोदी के खिलाफ मुसलमानों को एकजुट करने का प्रयास करेंगे। लेकिन इस सवाल को असांदर्भिक हो जाने की बात इसलिए कही गई क्योंकि इसका प्रभाव उसी दिन से दिखना शुरू हो गया जब मोदी ने मुसलिम बहनों से तीन तलाक से आजादी दिलाने का वादा किया था। जब किसी समस्या के संदर्भ में सुझाए गए समाधान की बजाए समाधान सुझाने वालों पर नया विमर्श शुरू हो जाए तो समझ जाना चाहिए कि समाधान सही है। इसलिए दोषी पक्ष के लोगों ने समाधान पर नहीं बल्कि समाधानकर्ता पर प्रहार करना शुरू कर दिया है। तीन तलाक के मामले में भी यही हुआ है। जब से मोदी ने तीन तलाक को अपराध घोषित करने का वादा किया है तब से लेकर आज तक विपक्षी पार्टियों से लेकर कट्टरपंथी मजहबी संगठन तक सभी की आलोचना के केंद्र मोदी हैं ‘तीन तलाक’ नहीं।

यही वो प्रभाव है जो प्रधानमंत्री मोदी को सर्वमान्य बनाता है। क्योंकि उन्होंने न तो किसी मजहब विशेष पर चोट की है न ही व्यक्ति विशेष पर उन्होंने तो एक सामाजिक क्रूरता और समस्या पर चोट की है। जहां तक इस फैसले से जुड़े अध्यादेश लाने को लेकर चुनाव पर पड़ने वाले असर की बात है तो वह भी सुखद ही होने वाला है। जिसका संकेत पहले से ही मिलने शुरू हो गए हैं वो भी चुनाव से लेकर विमर्श तक के स्तर पर। इस मामले में जहां कांग्रेस किसी विमर्श में हिस्सा लेने से हिचकती है वहीं वह इस मुद्दे को नहीं बल्कि प्रधानमंत्री मोदी पर हमला करने का प्रयास करती है। जबकि मोदी के वादे से लेकर अध्यादेश लाने तक जितनी भी बहस इस मसले पर हुई है उसकी रायशुमारी से अंदाज लगा सकते हैं कि इस मामले में हवा का रूख किया है। जिस प्रकार मोदी के इस फैसले से मुसलिम महिलाएँ खुलकर उनके पक्ष में आने लगी हैं उसे देखते हुए इसका प्रभाव गलत होने का अंदेशा करना भी मूर्खता ही कही जाएगी।

सबसे खास बात यह है कि राजनीति अपनी जगह है और सामाजिक रूढिता और क्रूरता को खत्म करना अपनी जगह। राजनीतिक फैसले का विरोध करना जायज भी होता है और प्रतिद्वंद्वियों का अधिकार भी। लेकिन सामाजिक बुराइयों को खत्म करने के फैसले को किस आधार पर गलत ठहराया जा सकता है। क्योंकि तीन तलाक को हथियार बनाकर महिलाओं पर मजहब के नाम अत्याचार करना समाज का सामूहिक अपराध की श्रेणी में ही आता है। मोदी ने इस मामले में मुसलिम बहनों से किया वादा पूरा कर एक प्रकार से उन्हें एक नई आजादी दी है। इसका प्रभाव मोदी या पार्टी के खिलाफ कैसे हो सकता है।

अगर गौर से देखिये तो कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का देश के हिंदुओं को रिझाने का समय और मोदी द्वारा तीन तलाक जैसी सामाजिक बुराइयों को खत्म करने की घोषणा का समय थोड़ा आगे पीछे ही दिखेगा। मोदी के तीन तलाक को खत्म करने की घोषणा से कांग्रेस बिल्कुल हतप्रभ हो गई थी। क्योंकि उसे समझ नहीं आ रहा था कि अब वह किधर जाए। कांग्रेस ने मोदी के इसी चोट से तिलमिलाकर बड़े वर्ग की ओर जाने का फैसला किया। क्योंकि कांग्रेस कहे या न कहे लेकिन वह जानती है कि मोदी ने तीन तलाक पर जो चोट मारी है उससे मुसलिमों को वोट बैंक समझने वाले सारे के सारे दल टूट कर बिखर जाएंगे।

मोदी के इस कदम से सामाजिक बुराइयां तो खत्म होगी ही लेकिन मोदी के प्रति उन मुसलिम महिलाओं के मन में मान भी बढ़ेगा। मान और प्रभाव के बीच बल का सापेक्षित सिद्धांत काम करता है। लोगों के मन में जिसके प्रति जितना मान बढ़ेगा प्रभाव उतना ही गहरा और व्यापक होगा। वैसे भी नया अध्यादेश आ जाने के बाद से तीन तलाक अब कोई वैध प्रक्रिया नही रहकर एक अपराध बन गया है। इस अध्यादेश के बाद से तीन तलाक देने वालों को जेल की हवा खानी पड़ेगी। इस फैसले को मुसलिम महिलाओं के लिए एक बड़ी जीत के रूप में देखा जा रहा है। अब सवाल उठता है कि क्या कोई अपनी जीती बाजी फिर से हारना चाहेगा? हमारे इसी सवाल में तीन तलाक पर आए नए अध्यादेश से देश में होने वाले चुनाव के संदर्भ में पड़ने वाले सारे प्रभाव समाहित हैं।

URL: modi government passed ordinance to criminalise triple talaq

Keywords: triple talaq ordinance, triple talaq, modi government, pm modi, muslim women, ट्रिपल तलाक अध्यादेश, ट्रिपल तलाक, मोदी सरकार, पीएम मोदी, मुस्लिम महिलाएं

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TAGGED: muslim women, pm modi, triple talaq
ISD News Network September 20, 2018
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