संदीप देव
समलैंगिकता को लेकर अमेरिका का ‘वोक एजेंडा’ न केवल OTT के जरिए फैलाई जा रही है, बल्कि ऐसी फिल्मों को राष्ट्रीय पुरस्कार देकर, समलैंगिकता को अपराध से बाहर कर और समलैंगिकता को महाभारत में थोपने का प्रयास कर यह सरकार, इसकी मातृसंगठन RSS और सुप्रीम कोर्ट- चारों अमेरिकी एजेंडे को द्रुत गति से भारतीय समाज पर थोप रही है।
सरकार ने जिस ‘गुलमोहर’ फिल्म को सर्वश्रेष्ठ फिल्म का राष्ट्रीय अवार्ड दिया है, वह भारतीय परिवार के दादी-पोती तक में समलैंगिकता का प्रचार-प्रसार को बढ़ावा देने वाली फिल्म है। इसमें दादी अपनी पोती को समलैंगिकता के लिए उकसाती है और दादी खुद समलैंगिक होती है।
ऐसा लगता है जैसे सरकार सांस्कृतिक रूप से भारत को अमेरिका का उपनिवेश बनाने पर तुली हुई है! ऐसे मामलों के कारण ही अमेरिकी संस्था #ACYPL द्वारा भारतीय नेताओं की ट्रेनिंग और उसका एजेंडा शक के दायरे में आता है!
आपको महाभारत काल के दो सगे और एक पत्नीव्रता भाई को जबरदस्ती समलैंगिक साबित करते संघ प्रमुख मोहन भागवत और संघी पत्रिका पांचजन्य व आर्गेनजर का वह कुत्सित प्रयास याद है न जिसके विरुद्ध मैंने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन जिस पर गृहमंत्रालय के अधीन वाली दिल्ली पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की।
देखिए आपके विरोध न करने के कारण अब समलैंगिकता को राष्ट्रीय रूप से पुरस्कृत किया जा रहा है! मेरी बात याद रखिएगा, प्रचार, कानून और नीतियों के कारण यह बीमारी जब कल आपके घरों में घुसेगी, तब तक बहुत देर हो चुकी होगी!