राफेल डील पर कांग्रेस के घमासान पर पलटवार करते हुए मोदी सरकार ने बड़ा खुलासा करते हुए कहा है कि इस रक्षा डील में रॉबर्ट वाड्रा को फायदा नहीं पहुंचने के कारण कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी तथ्यहीन आरोप लगा रहे हैं। मोदी सरकार ने आरोप लगाते हुए कहा है कि रॉबर्ट वाड्रा अपने दोस्त संजय भंडारी को फायदा पहुँचाने के लिए कॉन्ट्रेक्ट दिलवाना चाहते थे। भारतीय जनता पार्टी ने आरोप लगाते हुए कहा है कि संजय भंडारी और रॉबर्ट वाड्रा को कई रक्षा सौदों में साथ देखा गया है।
बीजेपी के नेता गजेंद्र सिंह शेखावत ने मीडिया को बताया, “संजय भंडारी की कंपनी ऑफसेट इंडिया सॉल्युशंस (ओआईएस) और रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी को यूपीए सरकार बिचौलिए के तौर पर इस्तेमाल करना चाहती थी। लेकिन डील रद्द होने के कारण जब ये नहीं हो सका तो अब कांग्रेस इस डील को खत्म करके इसका बदला लेना चाहती है।”
जानते हैं कौन है संजय भंडारी?
सोनिया गांधी की मनमोहन सरकार के दौरान साल 2008 में संजय भंडारी ने एक लाख रुपए की लागत से ऑफसेट इंडिया सॉल्युशंस (ओआईएस) नाम की एक कंपनी बनाई। ओआईएस का काम रक्षा सौदों में परामर्श और लाइजनिंग करना है। येन-केन-प्रकारेण ऑफसेट इंडिया सॉल्युशंस का मुनाफा बढ़ने लगा तथा अनायास रूप से कई करोड़ रुपयों का वेंचर कैपिटल भी मिल गया। यहाँ से कंपनी की ग्रोथ में एकाएक पंख लग गए। वर्तमान समय में ऑफसेट इंडिया सॉल्युशंस रक्षा क्षेत्र में कई अन्य कंपनियों के साथ काम कर रही है। ऐरोस्पेस और होमलैंड सिक्योरिटी के क्षेत्र में ऑफसेट इंडिया सॉल्युशंस के प्रोजेक्ट चल रहे हैं। ऑफसेट इंडिया सॉल्युशंस की इस ग्रोथ पर ईडी (एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट) तथा इनकम टैक्स विभाग की भी नजर है।
संजय भंडारी का बिजनेस सीबीआई और डायरेक्टेरेट ऑफ रेवेन्यु इंटेलिजेंस के रडार पर है! भंडारी की कंपनी पर कस्टम ड्यूटी चोरी का आरोप है! आरोप है कि भंडारी की कंपनी ने बिना कस्टम ड्यूटी चुकाए कई लग्जरी कारें इम्पोर्ट की हैं। यही नहीं लंदन में एक बेनामी सम्पति खरीदने में भी संजय भंडारी की भागीदारी उजागर हुई है! 2014 में केंद्र में मोदी सरकार के आने के बाद से भंडारी की कंपनी का काम लगभग बंद है!
संजय भंडारी और रॉबर्ट वाड्रा के बीच की घनिष्ठता अब जगजाहिर है! राहुल गांधी का राफेल डील पर प्रपंच भी यह सोचने पर मजबूर करता है, जीजा जी वाड्रा के मुंह से छीनी डील कैसे अम्बानी को मिल गयी?
राफेल डील पर राहुल और उसके गिरोह के झूठ को तार-तार करते तथ्य!
राफेल डील जैसे संजीदा और गंभीर मसले को राहुल गांधी और उसके गिरोह ने अपने झूठ से जिस प्रकार हास्यास्पद बना दिया है, उसे सुरक्षा के लिहाज से कतई उचित नहीं कहा जा सकता। रक्षा क्षेत्र के विशेषज्ञों से लेकर इस डील से जुड़ा हर पक्ष तथ्यों और अपने तर्क से इस डील को बेहतर और पारदर्शी मान रहे हैं जबकि राहुल गांधी और उसका गिरोहे इस डील को ही खत्म करने पर आमादा हैं। राहुल गांधी फ्रांस के जिस पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद के एक झूठे प्रकाशित बयान पर इतना उड़ रहे हैं उन्होंने तो अपना बयान वापस भी ले लिया है, लेकिन वे इसे तिल का तार बनाने में जुटे हैं। तभी तो वित्त मंत्री ने उन्हें मशखरा शहजादा का नया नाम दिया है। राहुल गांधी का राफेल डील को लेकर मोदी सरकार पर लगाया गया हर आरोप झूठ और निराधार साबित हुआ है। तभी तो उन्होंने फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति ओलांद के साथ साजिश कर आए।
मुख्य बिंदु
* राहुल गांधी का राफेल डील पर अभी तक बोला गया झूठ एक घंटे भी नहीं टिक पाया है
* दरअसल फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांदा के प्रकाशित बयान खुद में विरोधाभासी हैं
जेटली ने किया राहुल-ओलांद साजिश का खुलासा
राहुल गांधी की ओलांद के साथ साजिश का खुलासा वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने एएनआई को दिए साक्षात्कार में किया है। उन्होंने कहा है कि किस प्रकार राहुल गांधी 30 अगस्त को यह ट्वीट कर के बताते हैं कि कुछ ही दिनों फ्रांस में बड़ा खुलासा होने वाला है। राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में सीधे मोदी को संबोंधित करते हुए लिखा था कि आप अनिल अंबानी को बता दीजिए कि फ्रांस का माहौल खराब होने वाला है। राहुल के इस खुलासे के करीब 22 दिन बाद ओलांद के प्रकाशित बयान को आधार बनाकर यह खुलास किया जाता है कि मोदी सरकार के कहने पर डसॉल्ट एविएशन ने अनिल अंबानी के रिलायंस डिफेंस कंपनी को ऑफेसट सौदा के लिए पार्टनर बनाया। जबकि सचाई ये है कि रिलायंस और डसॉल्ट के बीच कोई समझौता हुआ ही नहीं है।
जेटली ने अपने साक्षात्कार में कहा है कि भले ही हमारे पास इसे साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं हो लेकिन जिस प्रकार राहुल गांधी और ओलांद के झूठ की जुगलबंदी दिखती है इससे किसी साजिश का अंदेशा होना स्वाभाविक है। 30 अगस्त को राहुल गांधी का अपने ट्वीट के माध्यम से यह बताना कि राफेल डील पर अब फ्रांस में नया खुलासा होने वाला है, और 21 सितंबर को ओलांदा का एनडीए सरकार पर रिलायंस को लेकर आरोप लगाने वाला बयान आना महज एक संयोग है? जबकि ओलांद ने अपने इस बयान से थोड़े ही देर बाद पलटते हुए कहा कि रिलायंस और डसॉल्ट के बीच हुए समझौते के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है, अगर भारत सरकार की तरफ से कोई दबाव भी आया होगा तो डसॉल्ट ही सही जवाब देंगे। जबकि डसॉल्ट कंपनी पहले ही यह कह चुकी है कि भारत सरकार का साझीदार चुनने में कोई भूमिका नहीं रही है। सांप निकल गया लेकिन राहुल गांधी लकीर पीटने में जुटे हैं। इससे साफ है कि राहुल गांधी को राफेल डील की सच्चाई से कोई लेना-देना नहीं है उसे तो बस राफेल डील पर हौआ खड़ा करना है, जिसका साथ उसके कुछ नए-पुराने शागिर्द दे रहे हैं।
राहुल गांधी का एक-एक झूठ और राफेल डील का सच
राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने राफेल डील एचएएल (हिंदुस्तान एरोनॉनिक्स लिमिटेड) से छीनकर रिलायंस डिफेंस को दे दिया। जबकि यह आरोप राहुल गाधी का झूठ और बिल्कुल निराधार है। मोदी सरकार ने फ्रांस सरकार से राफेल डील पर समझौता किया है उसके तहत 36 विमान बिल्कुल बना बनाया फ्रांस से खरीदने का सौदा किया है। लड़ाकू विमान का यह सौदा रेडी टू फाइट कंडिशन का है। कहने का मतलब राफेल विमान युद्ध में जाने को तैयार स्थिति में फ्रांस से आएगा। इस 36 विमान में एक भी भारत में नहीं बनेगा। ऐसे में इसे भारत में एचएएल या रिलायंस द्वारा बनाने का सवाल ही नहीं उठता। अगर इसके अलावा यदि सरकार राफेल विमान खरीदने का निर्णय करती है तो फिर उसे भारत में बनाने की बात होगी। लेकिन उसके लिए बिल्कुल अलग समझौता होगा।
अनिल अंबानी को 20 बिलियन डॉलर के कॉन्ट्रैक्ट मिलने का आरोप गलत
राहुल गांधी का अनिल अंबानी पर 20 बिलियन डॉलर के कॉन्ट्रैक्ट मिलने का आरोप भी उतना ही गलत है जितना अन्य आरोप। जबकि सच्चाई तो यह है कि 36 राफेल लड़ाकू विमान के लिए भारत सरकार महज 8.9 बिलियन डॉलर का भुगतान करने वाली है। जहां तक भारत सरकार द्वारा ऑफसेट समझौता लागू करने की बात है तो इसके तहत डसॉल्ट कंपनी को इसका 50 प्रतिशत हिस्सा भारत में निवेश करना अनिवार्य है। कहने का मतलब है 36 विमानों के लिए होने वाले कुल 8.9 बिलियन डॉलर भुगतान में करीब 4.45 बिलियन डॉलर भारत में निवेश होगा। जबकि राहुल गांधी ने अनिल अंबानी को 4 बिलियन डॉलर लाभ देने का आरोप लगाया है। अब गणित का थोड़ा भी ज्ञान रखने वाले समझ जाएंगे कि राहुल गांधी कितने बड़े झूठे हैं, उन्हें तो ठीक से जोड़-घटाव भी नहीं आता है। इतना ही नहीं राहुल गांधी ने राफेल लाइफसाइकि कॉन्ट्रैक्ट को लेकर अतिरिक 16 बिलियन डॉलर के घोटाले का आरोप लगाया है इसे जोड़ दिया जाए तो कुल 20 बिलियन डॉलर होता है। जबकि सच्चाई यह है कि यह समझौता किसी के साथ अभी तक हुआ ही नहीं है। इस तरह राहुल गांधी का यह झूठ भी बिल्कुल गलत और निराधार है।
Dear Trolls,
I apologise for my earlier tweet in which I stated Mr 56’s friend’s JV, received 4 Billion US$’s of “off set” contracts.
I forgot to add the 16 Billion US$ RAFALE “lifecycle” contract ?
20 BILLION US$, is the actual benefit.
So Sorry!!#130000CroreRafaleScam
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) July 27, 2018
रिलायंस डिफेंस और डसॉल्ट की साझेदारी पर फैला रहे भ्रम
राफेल डील को लेकर राहुल गांधी ही नहीं झूठ फैला रहे हैं बल्कि उनके गुलाम पीडी पत्रकार भी इस पर भ्रम और झूठ फैलाने के खेल में शामिल हैं। तभी तो सबकुछ जानते हुए जानबूझ कर एक खास एजेंडा सेट करने के लिए इस झूठ के खेल में शामिल हैं। ये लोग झूठ के साथ भ्रम फैलाने में लगे हैं कि मोदी सरकार ने अनिल अंबानी को लाभ पहुंचाने के लिए रिलायंस डिफेंस और डसॉल्ट के साथ समझौते की बात को उछाल रहे हैं। जबकि सच्चाई यह है कि डसॉल्ट ने रिलायंस डिफेंस के साथ कोई कोई करार किया ही नहीं है। उसने रिलायंस एयरोस्ट्रक्च के अलावा महिंद्रा, एलएंडटी, सैमटेल, बीईएल तथा कैनेटिक इंजीनियर्स जैसे 70 अन्य कंपनियों के साथ करार किया है जिन्हें राफेल विमान से जुड़े अलग-अलग पूर्जे बनाने में महारत हांसिल है। फिर भी ये लोग जानबूझ कर रिलायंस डिफेंस का नाम घसीट रहे हैं क्योंकि वह समझौते के महज महीने भर पहले अस्तित्व में आई है।
हालांकि कागजी रूप से भले ही यह कंपनी 2015 में अस्तित्व में आई हो जबकि सच्चाई यह है कि रिलायंस ने स्वीडन की एक कंपनी एसएएबी की हिस्सेदारी पिपावाव शिपयार्ड लिमिटेड (पीएसएल) से खरीदी थी और बाद में पीएसएल को भी हस्तगत कर उसके मालिक बन गए। बाद में रिलायंस ने इस संयुक्त कंपनी को अपना नाम देकर रिलायंस डिफेंस एंड इंजीनियरिंग लिमिटेड बना दिया। पीएसएल कंपनी इस क्षेत्र में 1997 से ही काम कर रही है। इस हिसाब से देखा जाए तो रिलायंस डिफेंस का रक्षा क्षेत्र में कार्य करने का अनुभव 21 साल का है। तभी तो रिलायंस डिफेंस को अमेरिकी नेवी फ्लीट मेंटिनेंस का बड़ा टेंडर मिल पाया था। वह भी जापानी और सिंगापुर की कम्पनी को पछाड़ कर। इसलिए डसॉल्ट ने रिलायंस डिफेस से नहीं बल्कि रिलायंस एयरोनॉटिक्स के साथ समझौता किया है, जिसके पास प्रर्याप्त कार्यानुभव है।
दरअसल ओलांद का खुद का बयान विरोधाभासी है
फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति ओलांद के जिस बयान को भारत में राहुल गांधी तिल का तार बनाए हुए हैं वह खुद में विरोधाभासी है। सबसे खास बात यह है कि यह बयान ओलांद का है भी नहीं बल्कि एक फ्रेच पत्रिका “मीडियापार्ट” में प्रकाशित उसके तथाकथित बयान पर बखेरा खड़ा किया जा रहा है। इस पत्रिका ने ओलांद के बयान के हवाले से लिखा था कि ओलांद ने कहा है कि भारत सरकार के कहने पर ही डसॉल्ट एविएशन ने रिलायंस को अपना साभीदार बनाया है। ओलांद के बयान पर जब फ्रांस सरकार तथा डसॉल्ट एविएशन ने यह स्पष्ट कर दिया कि साझीदार चुनने में भारत सरकार की कोई भूमिका नहीं थी, उसके बाद एसोसिएटेड फ्रेंच प्रेस ने ओलांद के हवाले से यह लिखा है कि ओलांद को डसॉल्ट पर भारत सरकार के किसी प्रकार के दबाव के बारे में कोई जानकारी थी ही नहीं। अगर ऐसा कोई दबाव था तो इसके बारे में डसॉल्ट ही बेहतर बता सकता है। अब बताइये! डसॉल्ट पहले ही बता चुका है कि भारत सरकार की कोई भूमिका नहीं थी। असल में ओलांद ने डसॉल्ट और रिलांयस के बीच हुए समझौते को लेकर भारत सरकार पर कोई आरोप लगाया ही नहीं। फिर भी ये लोग देश में झूठ का पहाड़ खड़ा करने में लगे हैं।
बोफोर्स से तुलना करने वालों को बोफोर्स घोटाला उजागर करने वाले का करारा जवाब
कुछ लोग देश में राफेल डील को बोफोर्स से भी बड़ा घोटाला बता रहे हैं जबकि जिस पत्रकार ने बोफोर्स घोटाला का खुलासा किया था उनका कहना है कि यह रालेड डील के तहत खरीदा गया राफेल लड़ाकू विमान दुनिया में सबसे बेहतर है। बोफोर्स घोटाला को उजागर करने वाली वरिष्ठ पत्रकार चित्रा सुब्रमनियन का कहना है कि दिल्ली के लुयियंस पत्रकार जो तत्काल ही डिफेंस विशेषज्ञ बन जाते हैं, उनकी बातों पर ध्यान देने की जरूरत ही नहीं है। जहां तक राफेल विमान की गुणवत्ता का सवाल है तो पूरी दुनिया के मुकाबले सबसे बेहतरीन है। उन्होंने उदाहरण देते हुए समझाया कि आप अगर फेरारी खरीदने जाते हैं तो आप उसकी मशीन के लिए पैसे पे करते हैं, क्यों बाहरी आवरण तो और में मिल जाते हैं। इसी प्रकार राफेल थोड़ा महंगा जरूर है लेकिन देश की सुरक्षा की लिहाज से कुछ भी नहीं है।
Forget what "instant experts" in #NewDelhi tell you #Rafale is one of the best fighter planes in the world. It's a little expensive, but if you want a #Ferrari, you pay for the machine. Besides what's the cost of national security? #RafaelDeal
— Chitra Subramaniam (@chitraSD) 23 September 2018
Military power, 2018.
1. US
2. Russia
3. China
4. India
5. France
6. UK
7. South Korea
8. Japan
9. Turkey
10. Germany
11. Italy
12. Egypt
13. Iran
14. Brazil
15. Indonesia
(Global Firepower)
Longer list: https://t.co/DLv38iS6Pt
— The Spectator Index (@spectatorindex) 23 September 2018
रफाल एयरक्राफ्ट डील से सम्बंधित खबरों के लिए नीचे पढें:
रिलायंस के नाम पर झूठ बोलते राहुल गांधी और उनके ‘पीडी पत्रकार’! पढ़िए सारा सच!
राफेल डील, विरोधियों थोड़ा जान लो इसकी खूबी, फिर मोदी सरकार को घेरना!
पिछले पांच महीने में राहुल गांधी चार बार बदल चुके हैं राफेल एयरक्राफ्ट के दाम!
झूठे राहुल, आपकी सरकार से मोदी सरकार का राफेल एयरक्राफ्ट 59 करोड़ सस्ता है!
राफेल पर राहुल के जिस भाषण को पीडी पत्रकार ऐतिहासिक बता रहे हैं कहीं कांग्रेस को इतिहास न बना दे!
URL: Modi govt alleges, Robert Vadra wanted Rafale deal contract for friend Sanjay Bhandari
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