जिस मनमोहन सरकार पर हर महीने करीब 9 हजार फोन टैपिंग करने से लेकर सैकड़ों ई-मेल में ताक-झांक करने पर कभी कोई सवाल नहीं उठाया गया, उसी मामले में मोदी सरकार के आदेश पर देश में बवाल खड़ा किया जा रहा है। जबकि मोदी सरकार के गृहमंत्रालय ने उन्हीं 10 एजेंसियों को इंटरसेप्शन, मॉनिटरिंग और डिक्रिप्शन के उद्देश्य से किसी भी कंप्यूटर के डाटा चेक करने का अधिकार देने का आदेश जारी किया है, जिसे यूपीए सरकार ने ही चुनी थी। संचार उपकरणों तथा कंप्यूटर की निगरानी के लिए 2013 में कानून वनाने वाली पूर्व यूपीए सरकार आज विपक्ष में बैठने पर मोदी सरकार पर जासूसी करवाने का आरोप लगा रही है, और कांग्रेस के यूको सिस्टम के पत्रकार उसे बेवजह हवा देने में तुले हैं। जबकि सच्चाई यह है कि यह कानून यूपीए सरकार ने ही लाया था, और देश की 10 एजेंसियों रक्षा, सुरक्षा तथा सरकारी निर्णय के साथ खिलवाड़ करने वालों के संचार उपकरणों की जांच के लिए 10 एजेंसियों को अधिकृत किया था। यह खुलासा एक आरटीआई के तहत हुआ है।
https://twitter.com/Satyanewshi/status/1076459872789516288?s=19&fbclid=IwAR2ASy43GgKmsBuXDbpqlUmoWmFaqPmbOFrtDkQ0G1D6H85gpPJloGBYdLk
इस मामले में 5 अगस्त 2013 को जासूसी विवाद में आरटीआई के तहत मिली जानकारी के मुताबिक यूपीए सरकार के दौरान हर महीने जहां 9000 लोगों के फोन टैप किए जाते थे वहीं 500 से अधिक ईमेल खंगाले जाते थे। यह खुलासा आरटीआई के तहत हुआ है। यूपीए सरकार की निगरानी से उस समय तथाकथित वरिष्ठ पत्रकार बरखा दत्त और नीरा राडिया भी नहीं बची थी। वही नीरा राडिया जो हाईप्रोफाइल संबंधों के लिए जानी जाने वालीं कॉरपोरेट लॉबिस्ट है। आयकर विभाग ने 2008-09 में नीरा राडिया का देश के कई राजनेताओं, पत्रकारों एवं व्यावसायिक घरानों के महत्वपूर्ण व्यक्तियों से टेलीफोन पर हुई बातचीत टेप किया था। उसी की बातचीत के आधार पर व्यापारिक घरानों के भ्रष्टाचार के साथ यूपीए सरकार के कई मंत्रियों का काला कारनामा सामने आया था। क्या तब किसी ने कोई शिकायत की थी?
An RTI reply in 2013 under UPA said Govt issues orders to tap 7500-9000 phones and 300-500 email accounts every month #SnoopingControversy pic.twitter.com/0eg8AaWajy
— Aman Sharma (@AmanKayamHai_) December 22, 2018
साल 2013 में यूपीए सरकार के अधीन आरटीआई के एक जवाब में कहा गया था कि सरकार ने ही हर महीने साढ़े सात हजार से लेकर 9 हजार तक के लोगों के फोन टैप करने तथा तीन से पांच सौ ई-मेल जांचने के आदेश जारी किया था। इससे साफ है कि यूपीए सरकार अपने कार्यकाल के दौरान हर महीने 9000 कॉल्स टैप करने के साथ 500 ईमेल्स में ताक-झांक करत थी। कंप्यूटर और संचार उपकरणों की निगरानी के मुद्दे पर सियासी वार-पलटवार के बीच कुछ पुराने आरटीआई से तो यहां तक खुलासा हुआ है कि मनमोहन सरकार अपने शासन काल में हजारों फोन कॉल्स और ई-मेल्स इंटरसेप्ट की थी। यूपीए सरकार के गृह मंत्रालय ने 6 अगस्त 2013 को प्रसेनजीत मंडल की आरटीआई के जवाब में यह जवाब जारी किया था।
गौरतलब है कि इसी तरह दिसंबर 2013 के एक आरटीआई के जवाब में गृह मंत्रालय ने बताया था कि टेलिग्राफ ऐक्ट के तहत देश की जांच एजेंसियों को फोन कॉल्स और ईमेल इंटरसेप्शन के अधिकार मिले हुए हैं। अमृतानंद देवतीर्थ की आरटीआई के जवाब में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बताया था कि इंडियन टेलिग्राफ ऐक्ट के सेक्शन 5 (2) के प्रावधानों के तहत लॉ एन्फोर्समेंट एजेंसियां कॉल्स/इमेल्स इंटरसेप्शन के लिए अधिकृत हैं। उसने बताया था कि देश की जिस 10 एजेंसियों को इंटरसेप्शन का अधिकार मिला हुआ है उनमें आईबी, नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, ईडी, सीबीडीटी, डायरेक्टोरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस, सीबीआई, एनआईए, रिसर्च ऐंड ऐनालिसिस विंग, डायरेक्टोरेट ऑफ सिग्नल इंटेलिजेंस और दिल्ली पुलिस कमिश्नर का नाम शामिल है।
मालूम हो कि 20 दिसंबर 2018 को मोदी सरकार के गृह मंत्रालय ने एक नोटिफिकेशन जारी कर इंटरसेप्शन, मॉनिटरिंग और डिक्रिप्शन के लिए किसी भी कंप्यूटर के डेटा को खंगालने का अधिकार दिया है। मोदी सरकार ने उन्हीं 10 एजेंसियों को यह अधिकार दिया है जिसे यूपीए सरकार ने दिया था।
मोदी सरकार पर जासूसी का आरोप लगाने वाले राहुल गांधी, कांग्रेस पार्टी तथा पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को जवाब देना चाहिए कि आखिर वे ऐसे गुपचुप तरीके से क्यों काम करते थे? और अब जब मोदी सरकार उन्ही की पूर्ववर्ती सरकार द्वारा नोटिफाइड एजेंसियों को देश की सुरक्षा के लिए कंप्यूटर के उपकरण जांचने के अधिकार संबंधी आदेश जारी किया है तो उन्हें एतराज क्या है?
प्वाइंट वाइज समझिए
मनमोहन सरकार की जासूसी
* मनमोहन सिंह सरकार के समय में हर महीने होते थे 9 हजार फोन टेप
* इसके अलावा हर महीने 500 ईमेल्स को भी केंद्रीय एजेंसियां करती थीं इंटरसेप्ट
* 2013 में आरटीआई के जवाब में गृह मंत्रालय ने 10 एजेंसियों का बताया था नाम
* 20 दिसंबर 2018 के गृह मंत्रालय के एक आदेश पर किया जा रहा है विवाद
* मोदी सरकार पर कांग्रेस और विपक्ष लगा रहे हैं जासूसी करने का निराधार आरोप
* यूपीए सरकार के दौर से ही चला आ रहा है यह कानून
* मोदी सरकार ने यूपीए सरकार द्वारा तय 10 एजेंसियों को दिया है अधिकार
URL : Modi govt followed former upa govt decision on snooping issues !
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