प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदीर को लेकर सुप्रीम कोर्ट के डिले टैक्टिस को भांपते हुए अब इस मामले में अपना ‘राम बाण’ चला दिया है। अयोध्या मामले में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में आवेदन दाखिल कर विवादित 2,77 एकड़ जमीन के आसपास के करीब 67 एकड़ जमीन असली भूमि मालिकों को वापस करने की मांग की है। अयोध्या मामले को लेकर मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में आवेदन कर जो 67 एकड़ जमीन असली मालिक को लौटाने की जो मांग की है उस पर इंडिया स्पीक्स डेली के संस्थापक संपादक संदीप देव ने जो त्वरित विश्लेषण किया है उसे आप भी सुनिए और समझिए।
अयोध्या मामले में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में आवेदन दाखिल कर विवादित 2,77 एकड़ जमीन के आसपास के करीब 67 एकड़ जमीन को असली भूमि मालिकों को देने की मांग की, 67 एकड़ जमीन सरकार ने अधिग्रहण की थी. इसपर सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2003 में यथास्थिति बरकरार रखने का आदेश दिया था।
— Rajeev Sinha (@rajeevksinha) January 29, 2019
सुप्रीम कोर्ट कवर करने वाले अमर उजाला के विशेष संवाददाता राजीव सिन्हा ने इस संदर्भ में ट्वीट करते हुए लिखा है कि केंद्र सरकार ने अयोध्या विवादित स्थल के समीप 67 एकड़ जमीन अधिग्रहण की थी। लेकिन साल 2003 में सुप्रीम कोर्ट ने वहां यथास्थिति बरकरार रखने का आदेश दे दिया था। मोदी सरकार ने अब सुप्रीम कोर्ट से अपना वही आदेश वापस लेते हुए विवादित भूमि को छोड़ शेष 67 एकड़ जमीन असली मालिक को लौटाने की मांग की है।
सरकार ने आवेदन दाखिल कर कहा है कि
जमीन का विवाद सिर्फ 2.77 एकड़ का है, बल्कि बाकी जमीन पर कोई विवाद नहीं है. इसलिए उस पर यथास्थित बरकरार रखने की जरूरत नहीं है. इसीलिए सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से वर्ष 2003 के आदेश में बदलाव करने की गुहार की है
— Rajeev Sinha (@rajeevksinha) January 29, 2019
सरकार ने इस मामले में आवेदन दाखिल कर कहा है कि जमीन का विवाद सिर्फ 2.77 एकड़ का है। इसके अतिरिक्त बाकी जमीन पर कोई विवाद नहीं है। इसलिए उस पर यथास्थित बरकरार रखने की कोई जरूरत नहीं है। मोदी सरकार ने सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से साल 2003 में दिए अपने आदेश में बदलाव करने को कहा है। ध्यान रहे तत्कालीन सरकार द्वारा जमीन अधिग्रहण करने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने उस जमीन पर यथास्थिति बरकरार रखने का आदेश दे दिया था।
अयोध्या में जन्मभूमि विवाद में कूदी केंद्र सरकार। सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा गैर विवादित जमीन पर यथास्थिति बहाल करने का आदेश वापस किया जाए और जमीन राम जन्मभूमि न्यास को लौटाई जाए। ऐसा होने पर मंदिर निर्माण का रास्ता खुल सकता है।
— Akhilesh Sharma (@akhileshsharma1) January 29, 2019
मोदी सरकार के इस कदम का राम जन्म भूमि न्यास के अध्यक्ष राम विलास वेदांती ने समर्थन करते हुए खुशी जताई है। उन्होंने कहा कि यह सरकार का स्वागत योग्य कदम है। मालूम हो कि 2019 लोकसभा चुनाव से पहले अयोध्या के विवादित राम मंदिर-बाबरी मस्जिद को लेकर केंद्र की मोदी सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल कर कहा है कि विवादित जमीन छोड़कर बाकी बची जमीन मालिकों को वापस लौटाई जाए।
Centre moves Supreme Court seeking permission for release of excess vacant land acquired around Ayodhya disputed site and be handed over to Ramjanambhoomi Nyas. Centre seeks direction to release 67 acres acquired land out of which 0.313 acres is disputed land. pic.twitter.com/1rAho51bUJ
— ANI (@ANI) January 29, 2019
मोदी सरकार ने कहा है कि 67 एकड़ जमीन गैर विवादित है और इसे राम जन्मभूमि न्यास को लाटौई जाए। केंद्र सरकार ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट विवादित जमीन पर सुनवाई करते रहे लेकिन जो विवादित जमीन नहीं है उसे लौटाया जाए। ताकि मंदिर का कार्य शुरू हो सके। केंद्र सरकार का कहना है कि जो विवादित जमीन नहीं है उस पर तो मंदिर का निर्माण कार्य शुरू किया ही जा सकता है।
वहीं प्रयागराज कुंभ में योगी सरकार के कैबिनेट की बैठक चल रही है। यूपी सरकार के मंत्री श्रीकांत शर्मा ने कहा है सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले में बार-बार सुनवाई की तारीखों को बदलना एक बड़ी साजिश का हिस्सा है। सुप्रीम कोर्ट ऐसा कर हिंदुओं की धैर्य की परीक्षा ले रहा है। उन्होंने कहा कि हिंदू समाज इस साजिश से भलीभांत वाकिफ है। मोदी सरकार के सुप्रीम कोर्ट में आवेदन देकर गैर विवादित जमीन असली मालिक को लौटाने की मांग करने के फैसले से कुंभ में जमा हुए साधु महात्माओं में खुशी की लहड़ दौर गई है। उन्हें लगने लगा है कि मोदी सरकार अब राम मंदिर बनवा कर ही दम लेगी।
URL : modi govt moves supreme court for release vacant undisputed land!
Keywords: supreme court, Modi Govt, Ayodhya dispute, Ram temple