प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अडानी समूह को एके राइफल उत्पादन के लिए अपना साझीदार बनाने के रूस के प्रस्ताव को ठुकरा कर उन लोगों के मुंह पर करारा तमाचा जड़ दिया है जो बेवजह उनपर अपने उद्योगपति मित्रों को मदद करने का लांछन लगाते रहे हैं। रूस के प्रस्ताव को ठुकरा कर मोदी ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि उनके लिए देश हित से बढ़कर कोई नहीं है। उनके इस कदम से यह भी सवाल उठता है कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को छोड़ दें तो कितने पूर्व प्रधानमंत्री रूस जैसे ताकतवर देश के प्रस्ताव को इस प्रकार ठुकराने की हिम्मत दिखा सकते थे? इसके बावजदू कांग्रेस पार्टी खासकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी नरेंद्र मोदी पर अनवरत रूप से अपने उद्योगपति मित्रों को लाभ पहुंचाने का आरोप लगा रहे हैं।
गौरतलब है कि विश्व की मशहूर एके राइफल अब देश में ही बनाने की तैयारी चल रही है। इसके लिए रूस से बातचीत भी हो रही है। रूस देश में एके राइफल के उत्पादन के लिए अडानी समूह को अपना साझीदार बनाना चाहता है। इस संदर्भ में रूस ने नरेंद्र मोदी सरकार को एक प्रस्ताव भी दिया था। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया है। उन्होंने इस काम के लिए देश की ही आयुध फैक्ट्रियों को उत्पादन एजेंसी बनाने का फैसला किया है। प्रधानमंत्री मोदी के इस फैसले के बाद अब देश की आयुध फैक्ट्रियों में ही एके राइफर का उत्पादन किया जाएगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस कदम के बाद उन लोगों को मोदी पर किसी प्रकार के भ्रष्टाचार का आरोप लगाने से पहले थोड़ा होमवर्क अवश्य कर लेना चाहिए। मालूम हो कि फ्रांस के साथ हुई राफेल डील को लेकर अभी भी कांग्रेस मोदी सरकार को घेर रही है, कांग्रेस इस मसले को राजनीतिक मुद्दा भी बनाने जा रही है। जबकि सचाई कांग्रेस भी जानती है कि भ्रष्टाचार के मुद्दे पर मोदी सरकार को घेरना मुश्किल ही नहीं नामुकिन है। क्योंकि इस डील को कांग्रेस ने ही शुरू किया था, मोदी सरकार ने तो कांग्रेस की तुलना में कम कीमत पर इसे अंजाम भर दिया है। इस मसले पर अब कांग्रेस पर ही सवाल उठना शुरू हो गया है। क्या यह सच नहीं कि अमेरिकी रक्षा कंपनियों द्वारा पैसे देकर राफेल सौदा रद्द करने का प्रयास किया गया?
गौरतलब है कि रूस देश में एके श्रृंखला की आधुनिक राइफलों का उत्पादन करना चाहता है। इस संदर्भ में रूस ने प्रस्ताव दिया था कि वह इस असॉल्ट राइफल के संयुक्त उत्पादन के लिए निजी क्षेत्र की कंपनी अडानी के साथ साझेदारी करना चाहता है। परंतु प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया। वैसे भी इस संदर्भ में रूस और भारत के साथ जो समझौता हुआ है उस समझौते के मुताबिक कोई भी पक्ष अपने लिए निजी क्षेत्र के सहयोगी का नाम नहीं सुझा सकता है। रूस के प्रस्ताव नहीं माने जाने के बाद यह दायित्व अब देश की आयुध फैक्ट्रियों को निभाना होगा। इसके लिए आयुध फैक्ट्री को ही उत्पादन एजेंसी बनाया जा सकता है।
URL: Modi Govt rejects Russia’s request for Adanis AK-rifle deal partner
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