एक तरफ अमेरिका ईरान से कच्चा तेल खरीदने वाले देशों को धमका रहा है वहीं दूसरी तरफ भारत ईरान के साथ रुपया और रियाल में द्विपक्षीय कारोबार करने का समझौता करने का फैसला किया है। यह जानकारी रॉयटर्स ने सूत्रों के हवाले से दी है। रॉयटर्स का कहना है कि इस समझौते के बाद भारत को ईरान से कच्चा तेल खरीदने के लिए डॉलर फर निर्भर रहने की मजबूरी खत्म हो जाएगी। मालूम हो कि अमेरिका की धौंस को नजरंदाज कर मोदी सरकार ने हाल ही में संयुक्त अरब अमीरात से दोनों देशों के राष्ट्रीय मुद्रा में कारोबार करने का समझौता किया है। मोदी सरकार जिस प्रकार रुपये में दि्वपक्षीय कारोबार समझौता कर रही है इससे वैश्विक स्तर पर रुपये की चमक और बढ़ने की संभावना बढ़ गई है।
एक महीने पहले ईरान पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए प्रतिबंध का परमाणु समझौते में शामिल अन्य देश भी विरोध करने लगे हैं। मालूम हो कि ट्रंप ने दुनिया के देशों को ईरान से कच्चा तेल आयात करने पर धमकी दी है कि अगर उसे आयात खत्म नहीं किया गया तो उन देशों के खिलाफ किसी स्तर तक जा सकते हैं। लेकिन ट्रंप के धौंस को नजरंदाज करते हुए भारत ने चीन के साथ एक बार फिर खड़ा होने का साहस दिखाया है।
मोदी सरकार ने न केवल ईरान के पक्ष में खड़ा होने का फैसला किया है बल्कि ईरान से कच्चा तेल आयात करना जारी रखने के साथ ही उससे रुपया और रियाल में द्विपक्षीय कारोबार करने का समझौता करने का संकेत दिया है। अगर यह समझौता होता है तो भारत को ईरान से कच्चा तेल खरीदने के लिए न तो डॉलर पर निर्भर रहना होगा न ही तत्काल पूरी कीमत चुकानी होगी। इस समझौते के तहत भारत को आयातित कच्चे तेल की आधी कीमत रुपये में चुकानी होगी और आधी कीमत के बदले में भारत को ईरान में अपना उत्पाद निर्यात करना होगा।
गौरतलब है कि मोदी सरकार देश हित में कड़े फैसले लेने के लिए जानी जाती है। तभी तो उसने डॉलर पर प्रहार करते हुए संयुक्त सऊदी अरब के साथ रुपये और दिरहम में द्विपक्षीय समझौता किया है। इस समझौते के तहत दोनों देशों के बीच अब अमेरिकी डॉलर में नहीं बल्कि दोनों देशों के अपने राष्ट्रीय मुद्रा में व्यापार होंगे। मोदी सरकार ने इस समझौते से एक तीर से दो निशाना साधा है। इस समझौते के बाद जहां देश की अपनी मुद्रा की वैश्विक पहचान बढ़ेगी वहीं अमेरिकी डॉलर की बादशाहत खत्म होती चली जाएगी।
मालूम हो कि ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध लगे एक महीना हो चुका है। अमेरिकी प्रतिबंध के कारण दुनिया का कोई भी देश ईरान के साथ व्यापार करने से कतरा रहा है। चीन के अलावा भारत ईरान का सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर है। ईरान पर प्रतिबंध लगाने के बाद भारत और चीन समेत कुल 8 देशों को अपना-अपना कारोबार बंद करने के लिए छह महीने अल्टीमेटम मिला हुआ है। लेकिन भारत अपने हित को देखते हुए ईरान के साथ द्विपक्षीय कारोबार को लेकर दृढ़ संकल्पित है।
प्वाइंट वाइज समझिए
भारत-ईरान समझौता
* अमेरिकी प्रतिबंध के बाद भी भारत की मोदी सरकार ईरान के साथ खड़ा है
* मोदी सरकार का ईरान के साथ रुपया और रियाल में द्विपक्षीय समझौता का फैसला
* इस समझौते से कच्चा तेल खरीदने के लिए भारत की डॉलर पर निर्भरता खत्म होगी
* भारत रुपये में भुगतान कर ईरान से खरीद सकेगा कच्चा तेल
* भारत को खरीदे गए कच्चे तेल की पूरी कीमत तत्काल भी नहीं चुकानी पड़ेगी
* आधी कीमत देने के बाद शेष रकम के बदले भारत अपना उत्पाद निर्यात कर सकेगा
URL : Modi Govt will sign agreement with Iran to do business in rupees and riyals!
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