अर्चना कुमारी। मोहम्मद जुबेर से दिल्ली पुलिस की पूछताछ जारी है और उसे 4 दिन की पुलिस हिरासत में भेजा गया। दिल्ली पुलिस का कहना है कि जुबैर मामले में आरोपी के लैपटॉप एवं मोबाइल की जांच करेगी पुलिस और उसके बेंगलुरू स्थित पर भी जाएगी जबकि जांच में पता चला है कि यह सुनियोजित तरीके से नफरत फैलाने में जुटा हुआ था। दिल्ली पुलिस की इंटेलीजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटजिक ऑपरेशन (आईएफएसओ) यूनिट जुबैर मामले की जांच में जुटी है। जांच से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि जुबैर की लैपटॉप एवं मोबाइल की जांच करनी है।
पुलिस का कहना है कि जुबैर ने अपने डिवाइस से कई कंटेंट डिलीट किए हैं। पुलिस टीम यह जानने की कोशिश कर रही है कि आखिरकार उसके डिवाइस में ऐसा क्या था, जिसे उसने नष्ट किया। जांच टीम ने बताया कि भगवान हनुमान को लेकर जुबैर के एक ट्वीट किया था जिसमें फॉलोअर्स ने द्वेषपूर्ण भाषा का उपयोग किया था, यह सांप्रदायिक सद्भाव के लिए हानिकारक था।
इसको लेकर मामला दर्ज किया गया था और जांच के दौरान आरोपी को गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने बताया कि जुबैर के फोन फॉर्मेट किया हुआ मिला । इसी आधार पर उसको गिरफ्तार किया गया। जांच में पता चला कि जुबैर बेंगलुरु का रहने वाला हैं। वह एक आईटी कार्यकारी के रूप में काम करता है। पूछताछ में पता चला कि साल 2017 में जुबैर ने प्रतीक सिन्हा के साथ मिलकर ऑल्ट न्यूज को फैक्ट चेक वेबसाइट के रूप में लॉन्च किया लेकिन वह इसकी आड़ में हिंदू और मुस्लिम विवादों को बढ़ावा देता है।
गौरतलब है कि सोमवार को मोहम्मद जुबैर को पूछताछ के लिए द्वारका स्थित आईएफएसओ के कार्यालय बुलाया गया था। पूछताछ में उसके ट्वीट को आपत्तिजनक पाया गया। उसके बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया। इसके खिलाफ आईपीसी की धारा 153 (ऐसा कार्य जिससे माहौल बिगडने और उपद्रव होने की आशंका हो) और धारा 295 (किसी समाज द्वारा पवित्र माने वाली वस्तु का अपमान करना) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
इस बीच मोहम्मद जुबेर को रिहा करने की मांग बढ़ती जा रही है। वामदलों और कांग्रेस ने इसे आजादी पर कुठाराघात कहा जबकि मुंबई प्रेस क्लब के बाद दिल्ली स्थित प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने भी मोहम्मद जुबेर की रिहाई की मांग की । हालांकि, भाजपा ने जुबेर को एक खास ‘इकोसिस्टम’ का हिस्सा बताया ।