महेन्द्र पाल आर्य । आज आर,एस,एस, प्रमुख मोहन भगवत वैदिक मर्यादा पर कुठराघात करते हुए यह बता रहे हैं पुरुष पुरुषों से सम्लेंगिक व्यबहार कर सकते हैं, जो लोग धर्म का ध नहीं जानते है अगर वही लोग धर्म का उपदेश दे तो मानव जीवन में खतरा उत्पन्न होगा । धर्म क्या है उसे जानना मानव मात्र के लिए जरूरी है, वरना वह मानव कहलाने के अधिकारी नहीं बनेंगे | धर्म मानव मात्र के लिए है कोई भी मानव धर्म से अलग नहीं हो सकता अगर मानव धर्म को छोड़ दे तो उन्हें हमारे शास्त्र में पशु बताया है । जैसा धर्मेण हीनः पशुर्भी समान: ।। अर्थात जो धर्म से हीनः है वह पशु के सामान है,
अब धर्म क्या है उसे जानें धर्म उसे कहते हैं जो धारण करने योग्य, जो सार्वभौम हो सर्वकालिक हो सब के लिए हो किसी भी जाती विशेष के लिए न होकर जो मानव मात्र के लिए हो वह धर्म है । धर्म पशु पक्षियों के लिए नहीं है कारण पशु नहीं जानता है माता पिता भाई बहन अपना पराया, परन्तु मानवों के लिए यह सभी बातें होने हेतु बताया गया की धर्म हीनः मानव पशु के सामान है ।
आज आर,एस,एस, प्रमुख मोहन भगवत वैदिक मर्यादा पर कुठराघात करते हुए यह बता रहे हैं पुरुष पुरुषों से सम्लेंगिक व्यबहार कर सकते हैं इस का समर्थन किया मोहन भगवत ने | और इतिहास का गलत प्रमाण दिया इन वाक्यों को महाभारत के साथ जोड़ा, जो सर्वथा अन्याय है झूठ है असत्य है और यह वक्तव्य फूहड़पन को दर्शाता है ।
यह वक्तव्य हिन्दू तथा वैदिक संस्कृति को गर्त में ले जाने वाली वक्तव्य है हमारे शास्त्र में यह प्रमाण कहीं भी नहीं है वेद उपवेद वेदांग, दर्शन उपनिषद और पूराण हो रामायण हो या महाभारत कहीं पर भी यह प्रमाण नहीं मिलता है ।
हिन्दुओं के मसीहा कहेजाने वाले भी अपनी धर्मिक पुस्तकों को नहीं जानते और न ही शाश्त्र को जानते हैं अगर इन सब का ज्ञान होता तो यह अज्ञानता रूपी बातें न करते । वह कहते हैं मैं पशुओं का डाक्टर होने हेतु पशुओं में यह देखा है, यह बातें कितनी झूठी है देखें अगर पशु हो या मानवों में क्रोस बिट न हों तो प्रजनन नहीं हो सकती क्या इतनी सी छोटी बातों की जानकारी मोहन भगवत जी को नहीं ? पुरुष अगर पुरुषों से यौन व्यबहार करे जिसे समलैंगिकता कह रहे हैं क्या इससे संतानोत्पत्ति का होना संभव है ?
न जाने यह लोग अपने को पढ़े लिए बताते हैं जिन्हें इन छोटी सी बातों की जानकारी ही नहीं है यह लोग हिन्दू समाज का नेत्तृत्व कैसे करते हैं ? और इतना बड़ा हिन्दू समाज के लोग इन असत्य को कैसे स्वीकारते हैं ?
इसपर हमारा मित्र भाई संदीप देव जी ने अपने चेनल में बड़ा अच्छा जवाब दिया विभिन्न शास्त्रों का प्रमाण देकर आप लोगों को चाहिए उस विडिओ को जरुर सुनें जिससे सत्यता को आब लोग भी जानें, की हिन्दू समाज को किस प्रकार बदनाम कर रहे यह हिन्दुओं के मसीहा बनकर ।
मेरी खुली चुनौती है श्रीमान मोहन भगवत जी की आप इसे शास्त्र सांगत प्रमाण के लिए सामने बैठ कर डिबेट करें ताकि दुनिया के लोगों को भी सच्चाई का पता लगे और लोग यह जान सकें की सच्चाई क्या है ? आप किस प्रकार लोगों को गलत पाठ की और ले जा रहे हैं वैदिक मर्यादा पर किस प्रकार आप के द्वारा कुठाराघात हो रहा है ?
अगले फरवरी 12 को आर्य समाज वालों ने माननीय प्रधान मंत्री नरेंद्रभाई मोदी जी को बुलाया है ऋषि दयानन्द जी के 200 वर्ष का उत्सव मानने के लिए, इन आर्य समाजियों को चाहिए की माननीय प्रधान मंत्री नरेन्द्रमोदी जी से यह पूछना चाहिए की मोहन भगवत जी के इन विचारों से वह सहमत है अथवा नहीं ?
फिर इस पर ऋषि दयानन्द जी के क्या विचार हैं इस पर उसे भी सामने स्पष्ट करना चाहिए जो आर्य समाज वैदिक मान्यता का धरोहर मानता है अपने को वह भी जनमानस में आना चाहिए ।।
धन्यवाद के साथ