नरेंद्र मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री बनेंगे या राहुल गांधी की किस्मत बदलेगी, इसका खुलासा अगले हफ्ते यानी 4 जून को होगा। हालांकि, इस चुनावी सीजन सोशल मीडिया की जंग किसने जीती, ये आज की मंडे मेगा स्टोरी में जानेंगे…
फेसबुक, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर नरेंद्र मोदी दुनिया में सबसे ज्यादा फॉलो किए जाने वाले राजनेता हैं। एक्स (पहले ट्विटर) पर भी ओबामा के बाद उनका दूसरा स्थान है। चारों प्लेटफॉर्म मिलाकर नरेंद्र मोदी के फॉलोअर्स 26 करोड़ से ज्यादा हैं। राहुल गांधी के चारों सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म मिलाकर 4.7 करोड़ फॉलोअर्स ही हैं।
इस इलेक्शन सीजन दोनों की सोशल मीडिया परफॉर्मेंस देखने के लिए हमने 1 अप्रैल से 20 मई तक दोनों के एक्स प्रोफाइल की सभी 1279 पोस्ट की स्टडी की। इसके अलावा चारों प्लेटफॉर्म पर उनकी हफ्तेवार फॉलोअर्स ग्रोथ को भी ट्रैक किया। एक्सपर्ट्स से ये भी जाना कि इसका चुनाव पर कितना असर होगा…
सोशल मीडिया पॉपुलैरिटी का 2024 लोकसभा चुनाव में कितना इम्पैक्ट होगा?
- इलेक्शन एक्सपर्ट अमिताभ तिवारी का कहना है कि 2014 में राहुल गांधी ज्यादातर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर नहीं थे। इसका फायदा सीधे तौर पर बीजेपी को मिला। 2019 आते-आते राहुल गांधी और कांग्रेस भी सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव हो चुकी थी।
- अमिताभ तिवारी के मुताबिक 2019 के बाद बीजेपी ने अपना गेम बदल लिया। वो अब पब्लिक सोशल साइट्स के साथ वॉट्सऐप ग्रुप्स पर बड़ी ताकत बन चुकी है। ज्यादातर नैरेटिव की लड़ाई आज भी बीजेपी अपने पक्ष में कर लेती है। इसलिए राहुल की सोशल मीडिया पॉपुलैरिटी का चुनाव में जितना फायदा मिलना चाहिए, उतना नहीं मिल रहा है।
- अमिताभ कहते हैं पिछले साल मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में हुए चुनावों के समय का डेटा देखा तो उस वक्त भी राहुल मोदी की तुलना में काफी आगे थे। इसके बावजूद चुनावी नतीजों पर इसका कोई फर्क नहीं पड़ा।
- पॉलिटिकल स्ट्रैटिजिस्ट प्रशांत किशोर के मुताबिक, लोगों को लगता है कि प्रधानमंत्री मोदी का सोशल मीडिया पर फुल कंट्रोल है, लेकिन ऐसा नहीं है। राहुल गांधी की पोस्ट पर लोगों का एंगेजमेंट, लाइक और कमेंट मोदी से ज्यादा है। वो अलग बात है कि चुनाव में उन्हें इसका रिजल्ट नहीं मिल रहा। इसकी सबसे बड़ी वजह है कि वे सही मुद्दों को नहीं उठाते हैं।
- CSDS के प्रोफेसर और पॉलिटिक्ल एक्सपर्ट संजय कुमार के मुताबिक अगर सत्ता पक्ष में पीएम मोदी हैं तो राहुल गांधी विपक्ष के सबसे बड़े नेता हैं। राहुल गांधी युवा चेहरा हैं, बीते समय में यात्राओं के जरिए लोगों से कनेक्ट हुए हैं। लगातार हारने के बाद भी मजबूती से खड़े हुए हैं और सत्ता को घेरते हैं। इन तमाम वजहों से राहुल की अपनी एक आइडेंटिटी है। उनके सोशल मीडिया एंगेजमेंट से यह जाहिर भी होता है।
- संजय कुमार के अनुसार, सोशल मीडिया पर पॉपुलरिटी का असर चुनावों में जरूर देखने को मिल सकता है। राहुल गांधी की छवि एक ईमानदार नेता की है। हालांकि बीजेपी की तरह बड़े रणनीतिकार नहीं होने की वजह से परिणाम में ज्यादा असर अब तक नहीं मिला है। निश्चित तौर पर राहुल की पॉपुलैरिटी का फायदा मिलेगा। लोकतंत्र में जो जितना लोगों से कनेक्ट होता है उसका फायदा मिलता ही है।
- पॉलिटिकल एक्सपर्ट अभय दुबे के मुताबिक, कोई भी नेता अगर किसी भी प्लेटफॉर्म पर पॉपुलर होता है तो उसका चुनाव में फायदा ही होगा। सोशल मीडिया पॉपुलैरिटी का नुकसान तो हो नहीं सकता। कितना फायदा होगा, यह 4 तारीख को सामने आएगा।