विपुल रेगे। हॉलीवुड निर्देशक रोनाल्ड एमरीच ने अपने चमकदार फिल्म कॅरियर में ‘डिजाजस्टर मूवीज़’ सबसे अधिक बनाई है। विश्वभर के दर्शक उन्हें द इंडिपेंडेंस डे, गॉडजिला, स्टारगेट, द आफ्टर टुमॉरो, 2012 के लिए जानते हैं। साइंस फिक्शन और प्राकृतिक विनाश पर आधारित फिल्मों को पसंद करने वाले रोनाल्ड एमरिच की फ़िल्में बहुत पसंद करते हैं। उनकी पिछली फिल्म द इंडिपेंडेंस डे का सीक्वल थी और वे इस वर्ष की शुरुआत में पुनः एक डिजाजस्टर फिल्म लेकर प्रकट हुए हैं। मूनफॉल उन अफवाहों/कहानियों पर आधारित है, जो चन्द्रमा के बारे में वर्षों से कही जा रही है।
ऐसी कहानियां सोशल मीडिया पर बहुत चलती है कि चंद्रमा प्राकृतिक पिंड न होकर एक विशाल कृत्रिम सेटेलाइट है और ये करोड़ों वर्षों से हमारी निगरानी कर रहा है। सन 1969 में एक ऐसी घटना हुई, जिसने इन रोमांचकारी कथाओं को और पंख दे दिए। अपोलो-13 के अंतरिक्ष अभियान के समय जब नासा ने अपने कुछ मॉडल्स को योजनाबद्ध ढंग से चन्द्रमा की सतह पर क्रेश करवाया तो, चन्द्रमा से ऐसी ध्वनि निकली, जैसी घंटे को बजाने पर निकलती है।
ये घटना सरकारी रिपोर्ट में दर्ज है और इसे लेकर खोजियों ने बड़े शोध तक कर डाले हैं। रोनाल्ड एमरीच की इस फिल्म की कथा का सार ये है कि एक दिन वैज्ञानिकों को पता चलता है कि चन्द्रमा अपनी कक्षा से निकलकर धीरे-धीरे पृथ्वी की ओर आ रहा है। इसके कारण पृथ्वी और चन्द्रमा के बीच पहले से स्थापित संतुलन बिगड़ जाता है और प्राकृतिक आपदाओं में बढ़ोतरी हो जाती है।
पृथ्वी से नासा का एक स्पेसशिप जब चन्द्रमा पर जाता है तो उनका सामना एक ऐसी अंतरिक्षीय सत्ता से होता है, जिसने चन्द्रमा का रोटेशन बिगाड़ दिया है। नासा से ब्रायन हार्पर और जोसिंडा फ्लावर पृथ्वी के लिए अंतिम आशा है। यदि चन्द्रमा पुनः अपनी कक्षा में स्थापित नहीं होता तो पृथ्वी और मानव जाति का अस्तित्व समाप्त हो सकता है।ये एक रोमांचक फिल्म हो सकती थी किन्तु निर्देशक ने बहुत सी गलतियां कर डाली है।
संभवतः यही कारण है कि बहुत महंगी लागत से बनाई गई इस फिल्म को लेकर विश्वभर के दर्शकों ने उत्साह नहीं दिखाया। भारत के सिनेमाघरों में भी ये लगभग खाली ही जा रही है। निर्देशक के पास एक रोचक विषय था लेकिन वे इसे भुना नहीं सके हैं। चन्द्रमा के पृथ्वी के पास आने के दृश्य अवास्तविक से लगते हैं और उसके आकार को भी सही ढंग से दिखाया नहीं गया है।
146 मिलियन डॉलर की महंगी लागत से बनी ये फिल्म अब तक मात्र दस मिलियन डॉलर ही बटोर सकी है। रोनाल्ड एमरिच के लिए ये एक सदमे जैसा परिणाम है। कई गलतियां फिल्म को ले डूबी। फिल्म के विज्ञान को लेकर भी बहुत सी आपत्तियां है। कई समीक्षकों ने इस पर भी आपत्ति ली है कि अंतरिक्ष से आने वाले बड़े उल्का पिंडों का प्रभाव असली नहीं लगता।
चाँद के प्रभाव से अचानक भयंकर बाढ़ आ जाने को भी ठीक से एक्सप्लेन नहीं किया गया है। मूनफॉल में सभी कुछ बेकार हो ऐसा भी नहीं है। जब ब्रायन और जोसिंडा चन्द्रमा के गर्भ में पहुँचते हैं तो वह सीक्वेंस मन को भा जाता है। निर्देशक ने कल्पना की है कि यदि चन्द्रमा वास्तव में भीतर से खोखला हो तो वह कैसा दिखाई देगा। यदि वह कृत्रिम है तो अंदर की इंजीनियरिंग कैसी होगी, इसकी बड़ी ही सुंदर कल्पना की गई है।
एक चूक और हुई है और वह है इसका क्लाइमैक्स। क्लाइमैक्स बहुत बिखरा सा लगता है जबकि एमरीच तो अपनी फिल्मों के अंत दृश्य बहुत ही भव्यता से रचते हैं। यदि आप रोनाल्ड एमरीच के बड़े प्रशंसक हैं और ऐसे विषयों को पसंद करते हैं तो ये फिल्म देख सकते हैं। खालिस हॉलीवुडी फ़िल्में देखने वाले दर्शकों को इसमें कुछ नहीं मिलने वाला है।