संदीप देव । मोपला विद्रोह पुस्तक: 1921 में तुर्की में खिलाफत की बहाली के लिए गांधी ने जो भारत के मुस्लिमों के आंदोलन को सपोर्ट किया उसका नुकसान मालाबार के हिंदुओं को भुगतना पड़ा था!
तब कालीकट के उपजिलाधिकारी दीवान बहादुर सी.गोपालन नायर (सेवानिवृत्त) ने इस पर एक रिपोर्ट तैयार की थी, जो आज शापुर नवसारी, तुफैल चतुर्वेदी और अक्षय प्रटाशन के संयुक्त प्रयास से पहली बार हिंदी के पाठकों के लिए उपलब्ध हो सकी है।
इस मोपला विद्रोह को भारतीय इतिहास की पुस्तकों में दबा दिया गया, टेक्स्टबुक से लगभग गायब ही कर दिया गया, क्योंकि पीड़ित हिंदू थे। मुस्लिमों की खिलाफत बहाली में सहायता की कीमत हिंदुओं ने अपनी जान देकर चुकाई थी।
कपोत के पाठकों की मांग पर यह पुस्तक उपलब्ध करा दी गई है। आप निम्न लिंक पर जाकर इसे क्रय कर सकते हैं।
यह एक जीवंत इतिहास है, इसलिए यह हर भारतीय के घर में होनी चाहिए ताकि भविष्य के खतरों को आप भांप सकें। धन्यवाद।
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