Archana Kumari, Delhi| एक चोर तबरेज की जब पीट-पीटकर हत्या हुई थी तब सारा देश के कथित बुद्धिजीवी उस चोर के परिवार के साथ खड़े हुए थे लेकिन एक पुलिसकर्मी को पीट-पीटकर हत्या कर दी गई और अब उसकी मां उर्मिला देवी भी चल बसी है । ऐसे में इस देश के कथित बुद्धिजीवी कहां मर गए । हर मां को अपने बेटे से एक आखिरी उम्मीद होती है कि उसकी चिता को मुखाग्नि उसका बेटा दें लेकिन बिहार के शहर पूर्णिया में एक ही दिन मां और बेटे को मुखाग्नि दी गई ।
ड्यूटी पर शहीद हुए किशनगंज सदर थाने के एसएचओ शहीद अश्विनी कुमार का पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव जब जानकीनगर पहुंचा तो मां का कलेजा फट गया। बताया जाता है कि वर्दी का कर्ज चुकाते-चुकाते, दूध का कर्ज अदा करने से चुक गए अश्वनी कुमार की बूढ़ी मां यह पीड़ा झेल नहीं पाई और उनका अचानक हार्ट अटैक से निधन हो गया ।
जिस बुजुर्ग मां ने बेटे की नौकरी लगने की खुशी में गांव के लोगों को मिठाई खिलाई थी। आज उन्हीं ग्रामीणों ने नम आंखों से मां-बेटों की अर्थियों को कंधा देकर उनकी आखिरी यात्रा पूरी करवाई। जैसा कि आपको मालूम है ममता बनर्जी के तानाशाह राज्य पश्चिम बंगाल के पंतपाड़ा में ड्यूटी करते हुए किशनगंज सदर थाने के एसएचओ अश्वनी कुमार शहीद हो गए थे।
जब उनका पार्थिव शरीर गांव पहुंचा तो यह पीड़ा उनकी बूढ़ी मां बर्दास्त नहीं कर पाई, और बेटे के देहांत के ठीक दो दिन बाद उनकी भी मृत्यु हो गई। शहीद के पिता और बेटी ने शहीद अश्वनी कुमार की मौत की सीबीआई जांच की मांग की जबकि शहीद अश्विनी की बेटी नैंसी ने कहा कि उनके पिता की हत्या की गई है और उनके साथ मौजूद पुलिसकर्मियों के किसी भी सदस्य को खरोच तक नहीं आया ।
जांच कार्रवाई में पता चला है कि बिहार के किशनगंज सीमा से सटे पश्चिम बंगाल में ग्वालपोखर थाना क्षेत्र के पांतापाड़ा गांव में एक चोरी के मामले में शनिवार सुबह आरोपी को पकड़ने गई पुलिस टीम पर भीड़ ने अचानक हमला कर दिया, जिसमें किशनगंज के थाना प्रभारी अश्विनी कुमार की पीट पीट कर हत्या कर दी गई और इस मामले में शांति दूतों को गिरफ्तार किया गया है, जिसमें मुख्य अभियुक्त फिरोज आलम (पिता- इनामुल हक), अबुजार आलम (पिता- इनामुल हक) और सहीनुर खातुन (पति- इनामुल हक) तथा इजराइल और अब्दुल शामिल हैं। मारने वाला मुसलमान है और मरने वाला हिंदू तो कथित बुद्धिजीवियों की मुंह सील गई लगती है ।
फर्ज अदा करने के दौरान शहीद हुए अश्विनी कुमार अपनी टीम के साथ बंगाल सीमा के पास बाइक चुराने वाले गैंग के एक ठिकाने पर उन्हें दबोचने के लिए पहुंचे थे लेकिन इसी दौरान मुस्लिम अपराधियों ने पहले उनसे झगड़ा किया फिर उन पर हमला कर उनकी हत्या कर दी थी।परिजनों ने घटना के पीछे साजिश की आशंका व्यक्त की है।
आरोप है कि किशनगंज सदर थाना प्रभारी अश्विनी कुमार पूरी टीम के साथ आरोपी को पकड़ने गए थे। ऐसे में टीम के अन्य सभी सदस्य सकुशल वापस आ गए और उनकी हत्या कर दी गई। परिजनों का कहना है कि छापेमारी में गए अन्य अधिकारियों और पुलिसकर्मियों के फोन के कॉल डिटेल निकाले जाएं और पूरे मामले की निष्पक्ष जांच हो ताकि इस घटना की पीछे चेहरे को उजागर किया जा सके ।
इस घटना को लेकर बिहार सरकार के पूर्व मंत्री कृष्ण कुमार ऋषि, भाजपा के वरिष्ठ नेता एमएलसी दिलीप जायसवाल ने शहीद अश्विनी की मौत की सीबीआई जांच की मांग की जबकि उन्होंने सरकार से मांग करते हुए कहा कि इस केस कि न सिर्फ निष्पक्ष जांच हो बल्कि एसपीडी ट्रायल चलाकर हत्यारों को सख्त से सख्त सजा दी जाए। शहीद एसएचओ के भाई प्रवीण का कहना है उनके भाई के साथ मॉब लिंचिंग की गई और इसकी जांच होनी चाहिए । अश्वनी 94 बैच के थेे उनके परिवार में पत्नी और तीन छोटे बच्चे हैं।