आईएसडी नेटवर्क। धर्म परिवर्तन कर मुस्लिम से हिन्दू बने फिल्म निर्देशक अली अकबर उर्फ़ रामसिम्हन की फिल्म ‘पुझा मुथल पूझा वरे’ को प्रमाण पत्र देने से मना कर दिया था। जून माह में रामसिम्हन ने अपनी फिल्म की रिलीज के लिए आवेदन किया था लेकिन उन्हें फिल्म में कट लगाने को कहा गया। कट्स लगाने के साथ सेंसर बोर्ड ने एक असंवैधानिक मांग रखते हुए रामसिम्हन से कहा था कि फिल्म में निर्देशक के रुप में उनका मुस्लिम नाम ही प्रदर्शित किया जाना चाहिए। रामसिम्हन ने ऑप इंडिया से बात करते हुए बताया है कि केरल सेंसर बोर्ड ने उन्हें किस प्रकार प्रताड़ित किया था।
मलयालम फिल्म निर्देशक रामसिम्हन ने सन 2021 में ही मुस्लिम धर्म त्याग कर हिन्दू धर्म ग्रहण कर लिया था। ये वह समय था जब जनरल बिपिन रावत की हैलीकाप्टर दुर्घटना में मौत हो गई थी और मुस्लिम समुदाय का एक धड़ा इस पर ख़ुशी मना रहा था। ये देख रामसिम्हन ने उसी समय निर्णय लेकर धर्म परिवर्तन कर लिया और हिन्दू बन गए। इसके बाद से ही रामसिम्हन केरल के एक धड़े के निशाने पर बने हुए थे।
जब वे अली अकबर से रामसिम्हन बने तो उस समय उनकी फिल्म ‘पुझा मुथल पूझा वरे’ का काम चल रहा था। जब फिल्म पूरी हुई और सेंसर बोर्ड में अनुमति के लिए गई तो सेंसर बोर्ड ने असली रंग दिखाना शुरु कर दिया। रामसिम्हन ने बताया है कि सेंसर बोर्ड ने उन्हें मुंबई बुलाया और बहुत सारे कट्स लगाने की हिदायत दी।
केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) की समीक्षा समिति की बैठक में बोर्ड ने ये तक कहा कि फिल्म की टाइटलिंग में निर्देशक का नाम रामसिम्हन नहीं बल्कि अकबर अली दिखाई देना चाहिए। रामसिम्हन ने कहा ‘ मुझे लगता है कि उन्हें एक समस्या है कि एक मुस्लिम व्यक्ति हिंदू धर्म में परिवर्तित हो गया और हिंदुओं के मालाबार नरसंहार पर एक फिल्म बना रहा है, उन्होंने कहा, वे नहीं चाहते कि यह संदेश जाए।’
बोर्ड ने रामसिम्हन को फिल्म से गाँधी का नाम तक हटाने के लिए कह दिया। एक ब्राम्हण को फिल्म में जबरन गौमांस खिलाते दिखाया गया। बोर्ड ने इस दृश्य को छोटा करने का कह दिया। मालाबार में शरीयत लॉ लागू करने वाले का नाम हटाने के लिए कहा गया। जिस कुँए में हिन्दुओं को डुबाकर मारा गया, उस दृश्य को भी हटाने को कहा गया। ऐसे ही कई दृश्यों को हटाने के लिए कहा गया। रामसिम्हन ने कहा कि ऐसे कई कट फिल्म का मूल चरित्र ही बदल देंगे।
परिवार को इस्लामवादियों ने मारा
उल्लेखनीय है कि रामसिम्हन के परिवार को सन 1947 में इस्लाम से हिंदू धर्म में परिवर्तित करने के लिए इस्लामवादियों द्वारा मार डाला गया था। रामसिम्हन के भाई दयासिम्हन, दयासिम्हन की पत्नी कमला, उनके रसोइया राजू अय्यर और परिवार के अन्य सदस्यों को मलप्पुरम जिले में इस्लामवादी जिहादियों द्वारा बेरहमी से मार डाला गया था।
उल्लेखनीय है कि ‘पुझा मुथल पूझा वरे’ बनाने के लिए किसी एकल निर्माता की सहायता नहीं ली गई थी। रामसिम्हन ने फिल्म निर्माण के लिए उन हिन्दुओं से आर्थिक सहायता ली, जो हिंदुत्व को प्रमुखता से देखते हैं। जनता के सहयोग से रामसिम्हन की फिल्म तेज़ी से और कम समय में पूर्ण हो गई। न चाहते हुए भी रामसिम्हन को केरल सेंसर बोर्ड की बात मानकर फिल्म में कट्स लगाने पड़े। फिल्म को ‘ए’ प्रमाण पत्र दिया गया और निर्देशक के रुप में अली अकबर लगाना पड़ा। ये फिल्म अब ओणम पर्व के बाद प्रदर्शित होगी।
मोपला नरसंहार
1921 का मालाबार नरसंहार हिंदुओं के विरुद्ध एक बड़ा जेहादी अभियान था। उस समय हुए नरसंहार में केरल में दस हज़ार से अधिक हिन्दुओं की हत्या हुई थी। वेरियनकुनाथ कुन्हमद हाजी, अली मुसलियार को मुख्य रुप से इस नरसंहार के लिए दोषी माना गया। वेरियनकुनाथ कुन्हमद हाजी ने मालाबार में शरिया कानून लागू कर दिया था। इस हत्याकांड के कारण करीब एक लाख हिंदुओं को केरल छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा था। इस नरसंहार में लगभग सौ मंदिरों को तोड़ दिया गया था। हिन्दुओं का धर्म परिवर्तन भी किया गया। हजारों महिलाओं का शीलभंग हुआ था। गर्भवती महिलाओं के पेट फाड़ दिए गए थे।