मजहब के नाम पर देश के बंटवारे की मांग के वक्त भी भारत के राजनेता मौन थे और आज फिर संविधान को लात मारने वाले मजहबी उन्माद पर मौन हैं! मुसलिम पर्सनल लॉ बोर्ड देश के संविधान, न्यायपालिका और पूरे राष्ट्र-राज्य की अवधारणा को चुनौती दे रहा है। वह कह रहा है कि उसे संविधान नहीं, शरिया चाहिए। वह कह रहा है कि वह देश की अदालतों पर नहीं अपने शरिया अदालतों पर भरोसा करता है, इसलिए हर जिला में अलग से शरिया अदालत स्थापित करेगा। वह हलाला के नाम पर किसी औरत का यौन शोषण कराएगा, बहु को ससुर के साथ सोने का फरमान सुनाएगा और संविधान के ठेकेदार खमोश देखते रहेंगे। बस अब बहुत हुआ मजहबी ब्लैकमेलिंग! इस जाहिल और मध्ययुगीन सोच को फैलने से रोकना ही होगा। मुसलिम महिलाएं आप आगे बढ़ें, इन मुल्ला-मौलवियों और जाहिल कट्टरपंथियों को सड़क पर घसीट कर मारें। देश की जनता आपके साथ खड़ी होगी।
तीन तलाक और हलाला का इतना घिनौना रूप भी हो सकता है इसके बारे में शायद ही पहले सुना हो, जो बरेली के बानखाना निवासी एक मुसलिम महिला के साथ हुआ है। पति ने पहले तलाक देकर अपने बाप से हलाला करवाया। और अब अपने भाई से उसका हलाला कराने पर आमादा है। यानि पहले ससुर से हलाला कराकर निकाह किया और फिर तलाक देकर अब देवर से हलााला कराने पर तुला हुआ है।
मुख्य बिंदु
* पीड़ित महिला ने देवर से हलाला कराने से किया इनकार, आला हजरत हेल्पिंग सोसाइटी के अध्यक्ष को सुनाई आपबीती
* शादी के दो साल बाद पति वसीम तलाक देकर घर से निकाला, फिर बाप से हलाला कराकर दोबारा कर लिया निकाह
यह मामला बानखाना निवासी एक महिला का है। उसकी शादी 2009 में गढ़ी चौक निवासी वसीम के साथ हुई थी। दो साल बाद ही उसके शौहर ने तलाक देकर घर से बाहर निकाल दिया। साल 2011 में वसीम ने दोबारा उससे निकाह करने को राजी हुआ। दोबारा निकाह करने के लिए मुसलिम रिवाज की वजह से उसका हलाला कराना जरूरी था। ध्यान रहे केंद्र सरकार मुसलमानों में व्याप्त इसी कदाचार को मिटाने के लिए तीन तलाक की प्रथा खत्म करने के बाद हलाला को भी कानूनी रूप से खत्म करना चाहती है। वसीम ने इसके लिए अपने ही बाप से उसका हलाला करा दिया। महिला का कहना है कि हलाला के बाद दोबारा निकाह करने के बाद भी घर का झगड़ा खत्म नहीं हुआ। इस दौरान वसीम और उसके घरवालों ने उसपर जुल्म जारी रखा। इस तरह करीब छह साल बीत गए। इसके बाद 2017 में वसीम ने उसे दोबारा तलाक दे दिया।
बात यहीं खत्म नहीं हुईं। महिला पर यौन शोषण की इंतिहा अभी बांकी है। अब वसीम उससे दोबारा निकाह करना चाहता है। इसके लिए दोबारा हलाला होना जरूरी है। एक बार वह अपने ही बाप से हलाला करा चुका है। लेकिन इस बार वह अपने भाई से हलाला कराने पर आमादा है। लेकिन इस बार महिला ने उसकी शर्त मानने से इनकार कर दिया है।
आला हजरत हेल्पिंग सोसाइटी की अध्यक्ष निदा खान की रविवार को आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान ही इस महिला ने अपने ऊपर हुए जुल्म के बारे में बताया। इस मामले में मुफ्ती खुर्शीद आलम का कहना है कि अगर महिला के साथ ऐसा हुआ तो इसमें कई लोग गुनहगार होंगे। क्योंकि एक बार बाप के साथ हलाला होने के बाद पति उसका बेटा बन गया। ऐसी स्थिति में वह दोबारा अपनी मां से निकाह कैसे कर सकता है?
बेटा से पति बना वसीम अगर फिर अपने भाई से हलाला कराना चाहता है तो यह और बड़ा गुनाह होगा। इसके लिए वसीम पर कड़ी कार्रवाई करने की जरूरत है। तलाक की सजा भुगत रही पीड़ित महिला अभी अपनी बहन के घर उसके साथ रह रही है। उसे जीवन-यापन के लिए भी वसीम के परिवार से कुछ नहीं दिया जा रहा है। अगर ऐसी स्थिति में हलाला और तीन तलाक को खत्म न कर दिया जाए तो और क्या किया जाए। मुसलमानों का तीन तलाक और हलाला जैसी कूरीति किसी महिला के जीवन को जीते जी दोजख बना देती है।
मुसलमानों के घर के अंदर बाप, भाई, ससुर, पति, देवर, जेठ जैसे रिश्तों के द्वारा महिलाओं के यौन शोषण की इतनी लंबी दर्दनाक कहानी है कि इसे रोकना ही होगा। अभी आज ही एक मुसलिम बहन ने भाई पर 10 साल तक यौन शोषण करने का आरोप लगाया है। दिल्ली में रहने वाली निजी अस्पताल की महिला डॉक्टर ने बिहार की राजधानी पटना के सब्जीबाग में रहने वाले अपने ममेरे भाई सागिर अहमद के खिलाफ यौन शोषण का मामला दर्ज कराया है।
URL: muslim woman pushed for halala with father in law after triple talaq
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halala ek bahut hi ghatiya aur kroor pratha hai jo muslim tabke ki striyon ki bebasi aur dukh bhari dastan ko bayan karti hai ise jitna jaldi ho utna jaldi samapt kar dena chahiye.