“मनुस्मृति” को पढ़ना होगा
कर्तव्यनिष्ठता नहीं बची है , पूरी तरह कुशासन है ;
सर्वोच्च-पदों पर जो बैठे हैं , भ्रष्टाचार का आसन है ।
भ्रष्टाचार दुश्मन हिंदू का , कितना हिंदू को मरवाता ?
अब्बासी-हिंदू भारत का नेता , हिंदू का संहार कराता ।
हर आयोजन हिंदू-धर्म का , अब ठीक तरह न हो पाता ;
धर्म-द्वेष का जहर हर तरफ , हिंदू का हाल बुरा होता ।
गंदे नेता – अफसर व बाबा , इन तीनों की मिलीभगत है ;
हिंदू तेरा बचना मुश्किल है,अब्बासी-हिंदू तो बगुला-भगत है ।
कानून का शासन परमावश्यक , संविधान भी तभी बचेगा ;
बेईमान अब्बासी – हिंदू , लोकतंत्र को नष्ट करेगा ।
ये हिंदू – धर्म का जानी – दुश्मन , गजवायेहिंद करायेगा ;
हिंदू ! अब भी न संभला तो , पूरी तरह मिट जायेगा ।
हिंदू ! पहचानो अपने दुश्मन , वरना तू मारा जायेगा ;
महाकुम्भ की बात दूर है , घर में ही तू मारा जायेगा ।
हर जगह सुरक्षा टूट चुकी है , भ्रष्टाचार का दलदल है ;
पूरा देश धंस चुका इसमें , अब्बासी-हिंदू नेता का छल है ।
धर्महीन – अज्ञानी हिंदू , अपनी – चिता सजाता है ;
अपने अज्ञान में अंधा होकर , गंदे – नेता को जिताना है ।
जो गंदा है वो नहीं किसी का , सबको धोखा देता है ;
चरित्रहीन ये भ्रष्टाचारी , अपने लिये ही जीता है ।
जो परिवार का नहीं हो सका , वो क्या तेरा हो पायेगा ?
शत्रु-बोध से रहित जो हिंदू , उसका जीवन मिट जायेगा ।
स्वार्थ , लोभ ,भय, भ्रष्टाचार से , जिम्मी-हिंदू-नेता पीड़ित ;
म्लेच्छों से हरदम डरते हैं , स्टॉकहोम-सिंड्रोम से पीड़ित ।
इसका बस उपचार यही है , धर्म-सनातन में आ जाओ ;
अपने सच्चे-इतिहास को जानो व धार्मिक-शिक्षा को पाओ ।
धर्म – सनातन में ही शक्ति , हिंदू – शौर्य जाग सकता है ;
राणा प्रताप व वीर शिवा सा , हिंदू शासक पा सकता है ।
एकदम से कुछ भी ठीक न होगा, पहले अंधों में काना लाओ ;
सर्वोच्च पदों पर इनको बैठाओ,सेवानिवृत जनरल को लाओ ।
अनुशासन परमावश्यक है , हिंदू ! तुम अच्छा-शासन पाओ ;
धर्म का शासन देगा अनुशासन,”मनुस्मृति” से देश चलाओ ।
सर्वश्रेष्ठ ये संविधान हैं , चरित्रहीन इससे डरते हैं ;
“मनुस्मृति” को पढ़े बिना ही , इसके विरोध को करते हैं ।
“मनुस्मृति” को पढ़ना होगा, शासन करना सीख जाओगे ;
हिंदू ! तुम इसको पढ़कर देखो , सही-मार्ग पा जाओगे ।