‘सरकारी हिंदु’ #JNU और जामिया को तो सुधार नहीं सके, उल्टा BHU को JNU और जामिया जैसा बनाने पर तुले हैं!
BHU में माता सरस्वती के आगे रोजा इफ्तार पार्टी करते बीएचयू के कुलपति सुधीर जैन।
BHU में JNU और जामिया जैसे नारे- ‘ब्राह्मणों तेरी कब्र खुदेगी बीएचयू की छाती पर!’
आखिर बीएचयू में ऐसे कम्युनिस्ट-इस्लामिस्ट को केंद्र ने कुलपति बनाया ही क्यों है? वैसे सही व्यक्तियों को न पहचानने की बीमारी से भाजपा अपने प्रथम अधिवेशन से ही ग्रस्त रही है।
बता दूं कि 1980 में भाजपा की स्थापना के प्रथम अधिवेशन (तब बंबई) की अध्यक्षता अटल बिहारी बाजपेई जी ने की थी और उस अधिवेशन में जिन्हें मुख्य अतिथि बनाया गया था, वह भारत के पूर्व शिक्षा मंत्री मोहम्मद करीम छागला थे। उन्हें राष्ट्रवादी मुस्लिम के रूप में भाजपा और संघ ने प्रचारित कर रखा था, और आज भी उन्हें राष्ट्रवादी मुस्लिम के रूप में ही प्रचारित करते हैं।
आपको जानकर हैरानी होगी कि जवाहरलाल नेहरू की JNU की संकल्पना को साकार करीम छागला ने ही किया व मंत्री के पद से हटने के बाद लॉबिंग के जरिए कराया था। यही नहीं, हिंदू शब्द से उन्हें इतनी चिढ़ थी कि 1960 के दशक में BHU से H अर्थात हिंदू हटाने के लिए संसद के जरिए पहला घनघोर प्रयास भी करीम छागला ने ही किया था, तब बीएचयू में आंदोलन भड़क गया था, जिसके कारण बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से ‘हिंदू’ हटाने की हिम्मत तब की सरकार की नहीं हुई थी।
पर्याप्त ज्ञान के अभाव में तथाकथित राष्ट्रवादी नेता, पार्टी और व्यक्ति कई बार किसी सेक्यूलर से अधिक हिंदुओं और भारत को नुकसान पहुंचा जाते हैं!
शिक्षा की महत्ता को न जानने वाले, क्या जानें कि BHU का इतिहास क्या है? मुझे दुख है कि मेरा बीएचयू भी अब कम्युनिस्ट-इस्लामिस्ट एजेंडे की भेंट चढ़ रहा है! 😢