अर्चना कुमारी । जब अपने ही बेगाने हो जाए तो फिर दूसरे तो उनके सर कलम के लिए आतुर तो होंगे ही। यही हाल भाजपा की प्रवक्ता रही नूपुर शर्मा और नवीन जिंदल के साथ हुआ। कभी केजरीवाल के खिलाफ कोई चेहरा भाजपा में उम्मीदवार बनने लायक नहीं था तो यही नूपुर शर्मा भाजपा से उम्मीदवार बनी थी लेकिन अब धकिया कर निकाले गए दोनों पार्टी नेताओं को नाग -नागिन का दर्जा दिया जा रहा है।
उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद से समाजवादी पार्टी के सांसद है डॉ एसटी हसन। उसने नूपुर शर्मा और नवीन जिंदल को भारतीय जनता पार्टी से निष्कासित किए जाने के फैसले का स्वागत करते हुए भारतीय जनता पार्टी का तहेदिल से शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि ऐसे जहरीले नाग और नागिन का फन कुचल देना ही चाहिए।
उन्होंने संघ प्रमुख मोहन भागवत के उस बयान का भी स्वागत किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि ज्ञानवापी का इतिहास हम बदल नहीं सकते और हर रोज मस्जिद में शिवलिंग तलाशना ठीक नहीं, बेवजह विवाद नहीं बढ़ाना चाहिए। गौरतलब हो कि इससे पहले नूपुर शर्मा और नवीन जिंदल को भारतीय जनता पार्टी ने प्राथमिक सदस्यता से निलंबित कर दिया था ।
इस पर नूपुर शर्मा ने माफी भी मांगी थी और कहा था कि कि यदि उनकी बात से किसी की भावना को ठेस पहुंची है तो वह इसके लिए क्षमा प्रार्थी है लेकिन इसके बावजूद उनको पार्टी से चलता कर दिया गया। आरोप है कि उन्होंने पैगंबर मोहम्मद पर कथित विवादित बयान दिए थे और इसका अनुकरण नवीन जिंदल ने किया था। भाजपा ने कहा कि सोशल मीडिया पर उनकी टिप्पणियों ने सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने का काम किया। हिंदू धर्म की वकालत करके सत्ता में आई भाजपा का अब कथन है कि वह सभी धर्मों का सम्मान करती है और किसी भी धर्म के पूजनीय लोगों का अपमान स्वीकार नहीं करती। भाजपा महासचिव अरुण सिंह ने एक बयान जारी कर कहा कि उनकी पार्टी को ऐसा कोई भी विचार स्वीकार्य नहीं है, जो किसी भी धर्म या संप्रदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाए।
इतना ही नहीं आगे भाजपा की अनुशासनात्मक समिति की ओर से जारी एक पत्र में कहा गया कि दोनों नेताओं में विभिन्न मुद्दों पर पार्टी की राय के विपरीत जाकर विचार प्रस्तुत किए हैं, जो कि इसके संविधान का स्पष्ट उल्लंघन है। इनमें नूपुर शर्मा लंबे समय तक संघ परिवार से जुड़ी रही है और वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के छात्र नेता की राजनीति के बाद भाजपा में शामिल हुई थी जबकि नवीन कुमार जिंदल पहले मूल तौर पर क्राइम रिपोर्टर थे और उन्होंने कुछ साल पहले भाजपा ज्वाइन किया था।
सूत्रों का दावा है कि भारतीय जनता पार्टी ने जानबूझकर दोनों नेताओं के नाम के साथ उनके पते भी सार्वजनिक कर दिए ताकि देश-विदेश में फैले इस्लामी चरमपंथी जो भी कार्रवाई करना चाहते हैं उन्हें इसमें कोई दिक्कत ना पहुंचे।
मुस्लिम वोट के लिए उनके प्रेम में पागल हुए भारतीय जनता पार्टी को लगता है कि इससे उनका वोट बैंक बढ़ जाएगा लेकिन जानकारों का कहना है कि पार्टी के इस कदम से मुस्लिम वोट तो बिल्कुल भी पूर्व की भांति नहीं मिलेंगे अलबत्ता हिंदू वोटर भी अब वोट देने से पहले सोचेंगे कि क्या ऐसे पार्टी को सपोर्ट करें जो अपने ही कार्यकर्ता को मरने के लिए खुला छोड़ देता है ।
ऐसा लगता है कि इस्लामिक कुछ देश इस मामले को लेकर राजनीति शुरू कर दी है और इसको लेकर भारत सरकार बैकफुट पर है तथा डैमेज कंट्रोल करने को लेकर अपने ही कार्यकर्ताओं की बलि चढ़ा कर उन्हें खुश करने का प्रयास किया है ।