किसी की आलोचना बहुत हद तक ठीक मानी जाती है लेकिन पत्रकार के छद्म वेश में आलोचना खुद की मंशा पर सवाल खड़ा कर देती है। कांग्रेस भाजपा की एक प्रकार से प्रतिद्वंद्वी राजनीतिक पार्टी है। ऐसे में भाजपा की आलोचना करना उसका हक भी बनता है। लेकिन जब आप खुद को स्वतंत्र पत्रकार मानते हैं तो भाजपा की सही चीज को भी लोगों के सामने गलत पेश करना पत्रकारिता तो नहीं कही जा सकती। राजदीप सरदेसाई सरीखे पत्रकार आज-कल यही कर रहे हैं।
राजदीप ने ट्वीट करते हुए कहा है कि समय के सूक्ष्म प्रबंधन के जिस दौर में हम लोग रह रहे हैं, ऐसे में अब सत्ताधारी दल के सांसद हमे बताएंगे कि हमें क्या बोलना है, किस भाषा में बोलना है, क्या ट्वीट या एसएमएस करना है और तो और हमें कौन कौन से ऐप का उपयोग करना है।
The micro managed times in which we live in: ruling party MPs are now told what to say, language to use, what to tweet/SMS/what's app! Gnight, shubhratri. pic.twitter.com/OoJDboLiu8
— Rajdeep Sardesai (@sardesairajdeep) April 19, 2018
जज लोया के मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश आने के बाद भारतीय जनता पार्टी के संसदीय दल ने अपने सांसदों और नेताओं के लिए प्रेस रिलीज जारी कर एक दिशा निर्देश जारी किया है। दिशा निर्देश में पार्टी ने अपने नेताओं से इस केस के बारे में लोगों को बताने का निर्देश दिया है। कहा गया है कि सांसद अपनी स्थानीय भाषा में भी स्थानीय पत्रकारों को बाइट दे। आखिर भाजपा ने क्या बुरा किया है? लेकिन कांग्रेस ने भाजपा के इस कदम की आलोचना की है। कांग्रेस की आलोचना समझ में आती है, लेकिन स्वतंत्र पत्रकार कहलाने वाले राजदीप सरदेसाई ने भी ट्वीट कर इसकी खिल्ली उड़ाई है। अभिव्यक्ति की आजादी होने के नाते वे ऐसा कर भी सकते हैं, लेकिन जब आप स्वतंत्र पत्रकार कहलाते हैं तो फिर आपकी मंशा पर सवाल खड़ा ही किया जा सकता है। इससे आपकी स्वतंत्र पत्रकारिता पर सवाल उठता है।
अंधभक्तों को कोल्हू के बैल की तरह हाँकने का नया भाजपाई फ़रमान।
न सोचिये, न जानिए, न समझिए,
केवल लिखित आदेशों पर श्री राहुल गांधी और कांग्रेस पर हमला कीजिए, ब्यान दीजिए, ट्वीट कीजिए।
क्योंकि #JudgeLoya की मौत की जाँच की माँग को झूठ के शौरगुल में डुबोना है। pic.twitter.com/Jx2XJVvLos
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) April 20, 2018
जिस प्रकार जज लोया के मामले को तूल देकर साजिश के तहत भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और पार्टी को बदनाम करने का प्रयास किया गया। जिस प्रकार राजनीतिक लड़ाई के लिए न्यायपालिका को बदनाम करने की कोशिश हो रही है। अब जब सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में फैसला सुना दिया है तो क्या भाजपा को देश के लोगों को ये नहीं बताना चाहिए कि देश के ही कुछ लोग क्या साजिश कर रहे हैं। कैसे न्यायपालिक और पार्टी को बदनाम करने का खेल चल रहा है। ऐसे में भाजपा ने स्थानीय पत्रकारों से अपने सांसदों को स्थानीय भाषा में बाइट देने को कहा है तो क्या गुनाह किया है?
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URL: name of journalist Rajdeep Sardesai became agent of Congress
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