ज़मानत पर बाहर आते ही कॉमेडियन भारती सिंह और उनके पति हर्ष लिंबाचिया ने खुशियां मनानी शुरु कर दी थी। ज़मानत पर रिहा होने के बाद पति-पत्नी का व्यवहार कुछ ऐसा था, जैसे वे स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ने के अपराध में जेल गए थे। रिहा होने के कुछ दिन बाद ये भी पता चल गया कि ड्रग्स मामले में गिरफ्तार पति-पत्नी को नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के ही दो अधिकारियों ने ज़मानत दिलवाने में मदद की थी।
सिर्फ अधिकारी ही नहीं बल्कि एनसीबी के एक वकील तो भारती और हर्ष के केस को कमज़ोर करने के लिए न्यायालय से ही अनुपस्थित हो गए थे। भारती और हर्ष का ये प्रकरण दिखा रहा है कि देश की मुख्य जाँच एजेंसी की महाराष्ट्र में क्या गत है।
केंद्रीय जाँच एजेंसी जब मुंबई में कार्य करती है तो इसका ओरा राज्य की क्राइम ब्रांच से भी कमज़ोर दिखाई देता है। सुशांत सिंह राजपूत केस में एनसीबी छह माह से कार्य कर रही है लेकिन परिणाम के नाम पर इसने अंडा ही दिया है।
बॉलीवुड के सितारों से पूछताछ कर एजेंसी ने थोड़ी सनसनी अवश्य मचाई थी, लेकिन उस सनसनी का कोई परिणाम नहीं निकल सका। आज इतनी पूछताछ और जाँच के बाद एजेंसी किसी बड़े नाम को गिरफ्तार नहीं कर सकी।
उसके हाथ में छोटे-छोटे ड्रग पैडलर्स अवश्य लगे, जिनकी गिरफ्तारी से सुशांत केस में कोई प्रगति देखने को नहीं मिली। बॉलीवुड के ही किसी सितारे को दोबारा पूछताछ के लिए नहीं बुलाया गया। करण जौहर के विश्वस्त व्यक्ति को कोर्ट में पेश करते समय एनसीबी की बेचारगी देखते ही बनती थी।
इस मामले में एनसीबी भीगी बिल्ली ही बनी रही। इनके चीफ पर गली में ड्रग्स बेचने वाले प्राणघातक हमला कर जाते हैं और इसके बाद भी मुंबई में ड्रग्स की सप्लाई बाधित नहीं होती। रेव पार्टियां थोड़ी सावधानी के साथ आज भी चल रही है। आज भी फ़िल्मी सितारों को ड्रग आसानी से उपलब्ध हो रही है।
अब तो किसी सितारे को मुक्त वातावरण में सेवन करना हो तो गोवा का विकल्प उपलब्ध हो गया है। मुंबई के ड्रग पैडलर्स के सामने केंद्र के भेजे गए शार्प अफसर नाकाम ही रहे हैं। भारती सिंह के प्रकरण में तो एनसीबी की कमज़ोरी खुलकर सामने आ गई है।
ये मालूम होते हुए कि भारती और हर्ष को एनसीबी के अधिकारी की मिलीभगत से ज़मानत मिली थी, आज तक एजेंसी पुनः गिरफ्तारी नहीं कर सकी है। भारती और हर्ष आए दिन समारोहों में शामिल होते हैं। कुछ दिन पहले वे आदित्य नारायण की शादी में शामिल हुए। दो दिन पूर्व किसी अन्य दोस्त की शादी में उन्होंने भंगड़ा भी किया।
एनसीबी इस समय मोक्ष की अवस्था में पहुँच गई है। वह न अब तक बता सकी है कि दीपिका पादुकोण और सारा अली खान के जब्त मोबाइल की रिपोर्ट क्या आई। न वह भारती सिंह जैसे छोटे सितारों को जेल में पुनः ठूंसने की हिम्मत दिखा पा रही है।
मायने रखता है जब केंद्र के शानदार अफसर छह माह से एक केस की जाँच में लगे हो और उन्हें भारती सिंह जैसे सितारों के साथ भी जलील होना पड़े। उनके चीफ पर गली में ड्रग्स बेचने वाला दो कौड़ी का गुंडा जानलेवा हमला कर दे। कोई नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो को ये बता दे कि वे केंद्र सरकार के लिए काम करते हैं। उनकी नियुक्ति निर्भयता के साथ काम करने के लिए हुई है। उद्धव राज में छह माह काम करते हुए वे ये भूल चुके हैं।