
करण जौहर और अर्जुन रामपाल को घसीट कर लाने का जिगरा नारकोटिक्स में नहीं है
नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने फिल्म निर्माता करण जौहर को उस कथित ड्रग्स पार्टी के डिटेल्स देने को कहा है, जिसके बारे में मनिंदरजीत सिंह सिरसा ने शिकायत की थी। एनसीबी ने करण से उस पार्टी की जानकारी और इलेक्ट्रानिक साक्ष्य देने के लिए कहा है।
ये एक सामान्य प्रक्रिया है जो पिछले कई माह से अनवरत जारी है। इसमें मीडिया को कुछ विशेष खोजने का प्रयास नहीं करना चाहिए। मीडिया में चल रहा है कि एनसीबी करण जौहर से पूछताछ करेगी। ऐसा कुछ लोग सूत्रों के हवाले से लिख रहे हैं लेकिन आधिकारिक रुप से इस बात की कोई सूचना नहीं है कि एनसीबी ऐसा कुछ करने जा रही है।
करण जौहर का नाम सुशांत केस के बाद लगातार ड्रग्स से संबंधित मामलों में आता रहा है। ऐसे मामले जो उनके घर हुई पार्टी से भी अधिक संगीन हैं लेकिन क्या अब तक करण से पूछताछ करने का साहस एनसीबी दिखा सकी? जबकि करण के धर्मा प्रोडक्शन में काम करने वाले क्षितिज रवि प्रसाद को एनसीबी ड्रग्स सप्लाई करने के आरोप में जेल भेज चुकी है।
ये प्रचारित करने के प्रयास हुए कि क्षितिज करण का पूर्व कर्मचारी है। इस गंभीर मामले को लेकर एनसीबी ने कुछ नहीं किया। अकाली दल नेता मनिंदर जीत सिंह सिरसा ने इस मामले में सितंबर माह में शिकायत दर्ज करवाई थी। तीन माह बाद एनसीबी ने करण से केवल पार्टी की जानकारी ही मांगी है।
देश को महसूस हो रहा है कि विशेष रुप से बॉलीवुड के लोगों के साथ एनसीबी विशेष नरमी दिखा रही है। गुरुवार की ही बात है जब फिल्म अभिनेता अर्जुन रामपाल ने एनसीबी के सामने पेश होने से इनकार कर दिया और एनसीबी आसानी से मान भी गई?
मुंबई में क्या मज़ाक चल रहा है या भारत के नागरिक के सामान्य ज्ञान की परीक्षा ली जा रही है। अर्जुन रामपाल के घर से ड्रग्स बरामद हुई लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। लिव इन में साथ रह रही गेब्रियॅला का भाई तक ड्रग्स केस में जेल भेजा जा चुका है लेकिन अर्जुन पर कार्रवाई से डर क्यों है।
एनसीबी अब तक भारती और हर्ष को पुनः गिरफ्तार नहीं कर सकी है। दरअसल मुंबई में ऐसा कुछ घटा है कि स्वयं एनसीबी, केंद्र सरकार और मीडिया ये भूल गया कि उन्होंने किस केस में जाँच शुरु की थी और किन मामलों में उलझ गए या उलझा दिए गए।
नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो सुशांत केस में सीबीआई की सहयोगी संस्था थी। वे इस केस पर सुशांत से जुड़ी जाँच कर रही थी। आज सीबीआई का तो कुछ पता नहीं लगता। क्या सीबीआई मुंबई से अपना मुख्यालय कहीं और ले गई है? तो मुंबई में सीबीआई लापता है, ईडी लापता है। जीवित है तो बस एनसीबी।
अब एनसीबी का काम छोटे ड्रग पैडलर्स को उठाकर जेल भेजने का रह गया है। जहाँ से वे चार दिन में ज़मानत लेकर बाहर आ रहे हैं और फिर से ड्रग्स सप्लाई कर रहे हैं। अर्जुन रामपाल, भारती सिंह, हर्ष लिंबाचिया, करण जौहर, रणबीर कपूर, सारा अली खान के साथ मुंबई में अब भी सक्रिय ड्रग्स के बड़े खिलाड़ी एनसीबी के राडार से बाहर क्यों हैं।
विगत छह माह से नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के पास सुशांत केस में जनता को दिखाने के लिए कोई लीड नहीं है। ये एजेंसियां भूल जाती हैं कि जनता के प्रति उनकी कोई जवाबदेही बनती है। वे जनता के लिए काम करते हैं, न कि स्वांत सुखाय के लिए। करण जौहर को गोआ जाकर ले आइये।
उन्हें एनसीबी की चाय दो वक्त पिलाइये। उनसे वही सुलूक कीजिये, जो आप आम ड्रग पैडलर के साथ करते हैं। एक सेलेब्रेटी होने का बेजा फायदा इस देश में पहले से ही बहुत उठा लिया गया है। क्या लोग भूल जाए कि निर्दोष लोगों को शराब के नशे में कुचलने वाला सलमान खान उस रात पुलिस थाने में किस अकड़ के साथ कुर्सी पर बैठा था।
वह अकड़ फिल्म उद्योग के सभी लोगों में बराबर मात्रा में हैं। करण जौहर जानता है कि कानून और व्यवस्था सेलेब्रेटी की गुलामी करते हैं। वह जानता है कि उसे घसीट कर एनसीबी ऑफिस में लाने का जिगरा इस एजेंसी में कभी था ही नहीं।
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बहुत ठीक कह रहे हैं, ये सब बिखे हुए हैं।