दिल्ली दंगा को लेकर पकड़े गए पिजरा तोड़ कार्यकर्ता नताशा नरवाल, देवांगन कलिता तथा छात्र नेता आसिफ इकबाल तन्हा को बृहस्पतिवार शाम तिहाड़ जेल से रिहा कर दिया गया । इन लोगों को जमानत दो दिन पहले मिली थी और बताया जाता है कि पहले नताशा और देवांगना जेल से बाहर आई और फिर आसिफ इकबाल तन्हा।
जिन लोगों पर दिल्ली को दंगे की आग में झोंकने का आरोप लगा था ,उनके समर्थक काफी संख्या में जेल के बाहर पहुंच गए और उन लोगों ने जमकर नारेबाजी की। जेल से रिहा होने के समय तीनों ने कहा अभी तो आधी लड़ाई ही हुई है, जिसे अब पूरा किया जाएगा।
तिहाड़ जेल के आगे तीनों कथित छात्रों के समर्थक अपने साथ बैनर और पोस्टर भी लाये थे, जिसमें सरजील इमाम और उमर खालिद के साथ-साथ दूसरे छात्रों की रिहाई की मांग कर रहे थे। अदालत के इस फैसले से दिल्ली पुलिस को हैरानी हुई है क्योंकि जिन लोगों को रिहा किया गया है, उन पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं।
इसी के चलते तीनों दंगा आरोपियों की रिहाई की इस आदेश के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है और उच्चतम न्यायालय इस मसले पर आज यानी शुक्रवार को सुनवाई करेगा। दरअसल हाई कोर्ट से तीनों को जमानत मिलने के बाद कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली हिंसा में यूएपीए के तीन आरोपियों नताशा ,देवांगन और आसिफ को रिहा करने का आदेश दिया।
16 जून को दिल्ली पुलिस ने कड़कड़डूमा कोर्ट से मांग की थी कि आरोपियों के जमानतियों के वेरिफिकेशन के लिए तीन दिन का समय दिया जाए। इस पर कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था लेकिन बृहस्पतिवार को आरोपियों ने तत्काल रिहाई की मांग करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया तब दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि दिल्ली हिंसा के यूएपीए के तीन आरोपियों की जेल से जमानत पर रिहाई के मुद्दे पर पहले ट्रायल कोर्ट आदेश पारित करे।
इसके बाद ट्रायल कोर्ट का फैसला तीनों के रिहाई का दिया, जिसके बाद तीनों को रिहा कर दिया गया । इससे पहले 15 जून को हाईकोर्ट ने तीनों आरोपियों को नियमित जमानत दी थी। जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस अजय जयराम भांभानी की बेंच ने नियमित जमानत देने का आदेश दिया।