कामी,क्रोधी,लालची,कायर,कुटिल,कपूत ।
गांधी इनका पिता है , ये गांधी के पूत ।।
लोकतंत्र विकृत हुआ, मिली लूट की छूट ।
कानून डराता सभ्य को, गुंडों को हर छूट।।
भ्रष्टाचार की छूट बंद हो, गुंडों की सब लूट ।
वरना निश्चित जान लो , राष्ट्र जायेगा टूट ।।
भ्रष्टाचार में लिप्त हैं , वे नेता कमजोर ।
इसीलिये इस देश में , है चोरों का जोर।।
शाहीन बाग से डर गया , अपना नेता कमजोर ।
पुलिस को बधिया कर दिया,ऐसा गुंडों का जोर।।
आजादी के बाद से , भ्रष्टाचार की दौड़ ।
कोई कितना लूट ले, मची इसी की होड़।।
अपराधी सरकार में, खेलें अपना खेल ।
पटरी भ्रष्टाचार की , दौड़े सरपट रेल ।।
नेता अफसर भ्रष्ट हैं,कुछ अपवाद को छोड़
इतना लिप्त हैं स्वार्थ में ,रहे राष्ट्र को तोड़।।
भ्रष्टाचारी जो बना , हुआ राष्ट्र से दूर ।
गुंडे उनको साधते , देते जन्नत की हूर ।।
गुंडों के हत्थे चढ़ा, नेता होता ब्लैकमेल ।
यही त्रासदी राष्ट्र की , राष्ट्र विरोधी खेल ।।
व्यभिचारी सब बिक गये ,किया राष्ट्र नीलाम ।
गंदी-तृष्णा का कहर , राज्य किया नाकाम ।।
हिंदू, हिंदू न रहा , पढ़कर झूठा इतिहास ।
कोल्हू का बस बैल है,बना हुआ परिहास।।
धर्म से हिंदू कट रहे , वे करते जेहाद ।
ये तो निश्चित पतन है,जितनी कर ले फरियाद।।
कल्याण जो हिंदू चाहता,पकड़ धर्म की राह
लक्ष्य तुझे मिल जायेगा, पूरी हो हर चाह ।।
एकमात्र ये मार्ग है , बच जायेगा राष्ट्र ।
बर्बर – राक्षस नष्ट हों , बनेगा हिंदू राष्ट्र ।।
हिंदू राष्ट्र बनेगा भारत, विश्व शांति पायेगा।
सारे अत्याचार मिटेंगे , राम राज्य आयेगा।।
“वंदे मातरम – जय हिंद”
रचयिता: ब्रजेश सिंह सेंगर” विधिज्ञ”