सुरेश चिपलूनकर। आंधी से महाकाल कॉरीडोर की क्षतिग्रस्त मूर्तियों को लेकर सोशल मीडिया पर भाजपाई डिफेंडरों द्वारा जमकर लीपापोती, रफूगरी, बचाव वगैरा चल रहा है… चारों तरफ से आपको घेरकर बताया जा रहा है कि मामला अधिक गंभीर नहीं है… मूर्तियाँ रिपेयर की जाएंगी… दोबारा पत्थरों की बनाई जाएँगी… इतनी आंधी में तो ऐसा हो ही जाता है… वगैरा-वगैरा

लेकिन अब जैसे जैसे जमीनी रिपोर्ट्स आने लगी हैं, वैसे-वैसे दबी ज़बान में खुद भाजपाई भी मानने लगे हैं कि छीछालेदार तो हो रही है… भास्कर की टीम ने जब फाइबर की बनी खोखली मूर्तियों की गहनता से छानबीन की तो सामने आया कि छः मूर्तियों के उड़/टूट जाने के बाद और ११ और मूर्तियों में दरार, टूटफूट, बेस छोड़ना से लेकर रंग उड़ने जैसी गंभीर समस्याएँ हैं… और सनद रहे कि ये सब केवल मात्र सात महीने में ही हुआ है… अभी तो अगले कुछ वर्षों में इन मूर्तियों को घनघोर बारिश और कड़ी धूप सहना बाकी है…
= बड़ी शिव प्रतिमा के दाएं हाथ में दो बड़ी दरारें…
= शिव बरात की कई मूर्तियों के पैरों में दरारें…
= गजासुर संहार की १० मूर्तियों में से एक ने अपना स्थान छोड़ दिया है…
= त्रिपुरासुर वध की मूर्ति के रथ के छत्र में बड़ी दरार…
= कई मूर्तियों के घुटनों, कोहनियों और सिर का रंग अभी से उड़ने लगा..
खैर… “देते हैं भगवान् को धोखा… इंसान को क्या छोड़ेंगे”… बाबा महाकाल सभी पैसा खाने वाले भ्रष्टों और निकम्मों को देख रहे हैं… समय आने पर ईश्वर का “असली वाला सेंगोल” ही उन्हें दंड देगा… ताकि फर्जीवाड़े, नौटंकी, इवेंट और झाँकीबाजी करने वालों की अक्ल ठिकाने आए… हालांकि तब तक बुरी तरह फटी हुई इज्जत को सिलने हेतु “सोशल मीडिया के भाजपाई रफूगरों” की असफल और नाकाम कोशिश जारी रहेगी..