आवश्यकता है आज राष्ट्र को , चरित्रवान नेताओं की ;
भारतवासी अनुसरण करेंगे , राष्ट्रभक्त नेताओं की ।
सब कुछ है इस देश में लेकिन , स्वार्थ बहुत ही ज्यादा है ;
अपने स्वार्थ में अंधे हैं सब , केवल अपना फायदा है ।
कहीं नहीं ऐसा रोल मॉडल , जिसका सब अनुसरण करें ;
जिसे भी देखो चोर – लुटेरा , राष्ट्र का हरदम क्षरण करें ।
पैसा खूब कमाया लेकिन , चरित्र का नाम निशान नहीं ;
धर्म को भूले ,राष्ट्र को भूले , देशभक्ति का नाम नहीं ।
भक्ति है केवल पैसे से , चारों ओर बदहाली है ;
आबादी बढ़ रही बेतरह , गुंडों में खुशहाली है ।
हजार वर्ष में जितना भुगता , कुछ भी उससे सीख नहीं ;
आजादी सब व्यर्थ हो गई , जो अनमोल है ,भीख नहीं ।
सबकुछ है पर कुछ भी नहीं है , कोई भी सुख चैन नहीं है;
लगता है सब व्यर्थ हो गया , लोकतंत्र में जान नहीं है।
पूरा जंगलराज हो गया , किसी का अब सम्मान नहीं है ;
केवल गुंडे मौज मनाते , उनको कोई अपमान नहीं है ।
खुले आम गद्दारी करते , देश में गुंडे भरे पड़े हैं ;
वोटों का कितना है लालच ? नियम तो सारे मरे पड़े हैं ।
गुंडों की अवैध बस्तियां , मुफ्त में बिजली ,राशन मिलता ;
इन्हें पालते बेईमान नेता , क्योंकि उनको वोट है मिलता ।
गुंडा -तत्व सब बढ़ता जाता , मूलनिवासी लुटता जाता ;
उनकी जर जमीन जोरू लुटती है,राष्ट्र पे बोझा बढ़ता जाता
अब तो मूलनिवासी चेतें , अपनी रक्षा आप करो सब ;
अपने सारे भेद भुलाकर , एक ही दल में आओ अब सब।
अपने अपने स्वार्थ को छोड़ो , राष्ट्रप्रेम की अलख जगाओ ;
ऐसी ताकत बन कर उभरो , सारे गुंडे मार भगाओ ।
शौर्य , न्याय , मर्यादा लाओ , धर्म सनातन को अपनाओ ;
रामराज्य भी पा जाओगे , पर पहले हिंदू राष्ट्र बनाओ ।
“वंदे मातरम -जय हिंद”
रचनाकार :ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”