यति नरसिंहानंद सरस्वती , हिंदू राष्ट्र का गौरव हैं ;
इनको जो अपमानित करते , वे तो सारे कौरव हैं ।
धर्म-युद्ध आसन्न है सर पर , भीषण रक्तपात होना है ;
यति के जितने भी अनुयायी , केवल उन्हीं को बचना है।
क्योंकि वे ही शेर के बच्चे , सारे गीदड़ मरना है ;
सेक्युलरिस्ट्स,जिम्मी व कायर,उनको कतई न बचना है।
क्योंकि वे गफलत में रहते , गुंडों को अपना माने ;
गुंडे घुसे हैं उनके घर में , ये संकट न पहचाने ।
इनके अलावा जितने हिंदू , वे सब अपनी शक्ति बढ़ायें ;
शक्ति वृद्धि में बहे पसीना , उतना ही कम खून बहायें ।
शक्तिमान हिंदू इकलौता , दस गुंडों पे पड़ेगा भारी ;
डीएनए वालों का नहीं भरोसा,उनकी तो गुंडों से यारी ।
जितने भी नेता हैं तेरे , तथाकथित जो ठेकेदार ;
बिल्कुल भी न इनका भरोसा , ये सारे मतलब के यार ।
अपना ये भ्रम जल्दी तोड़ो , हर हिंदू से नाता जोड़ो ;
एक नया हिंदू दल लाओ , हर हिंदू को इससे जोड़ो ।
शक्तिमान हिंदू दल लाकर ,राष्ट्र की सत्ता पे आ जाओ ;
अभी नहीं तो कभी नहीं अब ,देश को हिंदू राष्ट्र बनाओ।
इसका अगुआ कौन बनेगा ? फौरन ऐसा नेता ढूंढों ;
योग्य व्यक्ति की कमी नहीं है ,सारे मिलकर जल्दी ढूंढों।
एक राय तुम बना न पाओ , तो नरसिंहानंद से पूछो ;
जिसका नाम करें वो आगे ,उसके आगे कुछ मत पूछो ।
जल्दी अपना नेता पाओ ,उसकी ध्वजा के नीचे आओ ;
धर्म युद्ध में विजय है निश्चित , जैसा चाहो वैसा पाओ ।
शौर्य का कोई विकल्प नहीं है , हिंदू का संकल्प हो ;
कायर हैं जितने भी हिंदू , उनका कायाकल्प हो ।
हिंदू को कायर करने में , हिंदू नेता जिम्मेदार ;
ऐसों से अब पल्ला झाड़ौ , गिरी हुयी इनकी सरकार ।
इसमें बिल्कुल देर न करना , वरना सब मिट जायेगा ;
यति जो शौर्य का सूरज लाया , वो सूरज छिप जायेगा ।
“वंदे मातरम -जय हिंद”
रचनाकार : ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”