सोमिता शर्मा। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने बड़ी मासूमियत के साथ पूछा है “लोग नक्सली क्यों बनते हैं?” इस सिलसिले में मैंने कई लोगों से बात की । कुछ लोगों का कहना है कि कांग्रेस के भ्रष्ट प्रसाशन से मुक्ति के लिए जिन लोगों ने हथियार उठा कर बगावत की वो नक्सली कहलाए। कुछ का मानना है कि सामन्ती प्रथा के खिलाफ जब मजलूमों ने हथियार बंद संघर्ष आरम्भ किया तो उन्हें कुचलने के लिए नक्सली कहा गया, अब प्रश्न यह उठता है कि आखिर सोनी सोरी को आम आदमी पार्टी की सदस्यता देकर लोकसभा चुनाव लड़वाने से लेकर अब तक अरविन्द केजरीवाल ने यह प्रश्न क्यों नहीं पूछा? जब दंतेवाड़ा के लैंड माइन ब्लास्ट में सैकड़ों जवान शहीद हुए तो केजरीवाल ने यह क्यों नहीं पूछा?
जब यू.पी.ए के गृहमंत्री चिदंबरम ने आतंकवादियों के खिलाफ मुहीम लगभग बंद कर थी और नक्सलिओं के खिलाफ ऑपरेशन ग्रीन हंट चलाया तो अरविन्द केजरीवाल ने यह प्रश्न क्यों नहीं उठाया ? पर आज जब देश में नक्सली हिंसा में कमी आ रही है और कई भटके हुए नक्सली समर्पण कर भारत की मुख्य-धारा में जुड़ कर कार्य कर रहें हैं तो अरविन्द केजरीवाल यह प्रश्न कर फिर से नक्सलिओं को भड़काने का काम कर रहे है।
अरविन्द केजरीवाल ने कांग्रेस के साथ समझौता करने के पहले ये प्रश्न पूछा होता तो मैं उनकी मंशा पर सवाल नहीं उठाती । कांग्रेस की भ्रष्ट नीतियों की वजह से देश के गरीब, शोषित, पीड़ित युवा नक्सली बने, युवाओं के साथ साथ महिलाओं और बच्चों ने हथियार उठाये और भारत की सेना और पुलिस को अपने ही लोगों से लड़ना पड़ रहा है।
जे.एन.यू के देशद्रोहियों का समर्थन करने वाले अरविन्द केजरीवाल ईमानदारी से सवाल कर रहे है तो मेरा जवाब है कि देशद्रोही नेता, सत्तालोलुप नेता, ईमानदारी का ढोंग करने वाले नेता, 24 घंटे झूठ बोलकर लोगों को गुमराह करने वाले नेता,कांग्रेस और लालू नीतीश का समर्थन वाले नेताओं की वजह से लोग नक्सली बनते हैं। रोहित वेमुला की लाश पर जातिवाद की सियासत करने वाले नेताओं की वजह से लोग नक्सली बनते हैं। जबकि वह नेता जानते हैं की मरहूम रोहित वेमुला अनुसूचित जाति का था ही नहीं फिर भी उसे अनुसूचित जाति का बताकर देश को जातिवाद की आग में झोंकने का प्रयास किया गया।
जो नेता ‘बिजली हॉफ-पानी माफ़’ का नारा देकर जनता को भ्रष्ट कर सत्ता हासिल करते हैं, उनके झांसे में आकर लोग नक्सली बनते हैं। जो लोग मदर टेरेसा के मिशन से जुड़ कर खुद को हिन्दू बोलने में शर्म महसूस करते हैं और गरीब वनवासियों को गुमराह कर धर्मान्तरण करके ईसाई बनाते हैं, उनकी वजह से लोग नक्सली बनते हैं।
जो नेता कहते हैं की देश की सारी समस्याओं की जड़ भारत का सविधान है! उसे फाड़ कर फेंक देना चाहिए! उनकी वजह से लोग नक्सली बनते हैं। जो नेता गणतंत्र दिवस को न मनाने की वकालत करते हैं उनकी वजह से लोग नक्सली बनते हैं।
जिन नेताओं के पिता अपनी ही बहन की जमीन-जायदाद हड़प लेते हैं और अपनी बुआ को धक्के मार कर घर से निकाल देते हैं तो उनकी वजह से लोग नक्सली बनते हैं। अरविन्द केजरीवाल जी आज तक भारत की संसद या कोई भी विधानसभा दंतेवाड़ा या दूसरे नक्सली प्रभावित क्षेत्रों में मारे गए पुलिस के जवानों को श्रद्धांजलि देने के लिए भंग नहीं हुई इसलिए लोग नक्सली बनते हैं।
अरुंधति रॉय, कमल मित्रा चिनॉय, प्रशांत भूषण जैसे मीडिया के सभ्य लोग जब मानवाधिकार के नाम पर पुलिस को कटघरे में खड़ा कर नक्सलिओं की हिमायत करते हैं तो लोग नक्सली बनते हैं। अरविन्द केजरीवाल जी आप सब मॉर्क्स-लेनिन-माओ की शिक्षा पाये नक्सलिओं का समर्थन करते हैं पर कभी देश के उन बहादुर जवानों का भी समर्थन कर लीजिए, जिन्होंने देश की रक्षा करते हुए अपने प्राण न्योछावर कर दिए और उनकी रोती बिलखती माँ-बीवी और बच्चों ने ये प्रश्न नहीं किया कि ‘लोग फ़ौज में भर्ती क्यों होते हैं?’
आपके राजनैतिक सवाल का जवाब तो मिल ही जायेगा पर जिस दिन शहीदों के परिवार ने ये सवाल पूछना शुरू कर दिया तो आपकी कुर्सी के साथ साथ इस देश को भी बचाने वाला कोई नहीं होगा! इसलिए आप राजनीति कीजिये कुटिलनीति मत कीजिये!