अर्चना कुमारी । बिहार में पुलिसकर्मी की हत्या कर फरार हुए एक नक्सली को 26 साल बाद दिल्ली से पकड़ा गया । पुलिस का दावा है कि इसकी पहचान किशुन पंडित के रूप में हुई है, जो आईपीएफ माले का नेता है। पूछताछ में पता चला है कि वह 26 साल से हत्या के इस मामले में वांछित चल रहा था। जबकि पुलिस के रिकॉर्ड में उसने खुद को मृत घोषित कर दिया था।
इस बारे में दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच को जानकारी मिली थी वह फरीदाबाद में अपनी पहचान बदलकर रहता रहा है । जबकि मूल तौर पर किशुन पंडित पटना बिहार का रहने वाला है। छानबीन में पता चला कि 1990 के समय वह बिहार में सक्रिय इंडियन पीपुल्स फ्रंट आईपीएफ माले का सदस्य रहा है। वह एक पुलिसकर्मी की हत्या कर उससे राइफल और 40 राउंड लूटने के मामले में भी है। जबकि साल 1996 में इस वारदात को अंजाम दिया गया था और इसके बाद से ही वह फरार चल रहा था।
इस जानकारी पर बिहार में पुलिस टीम को भेजा गया। वहां छानबीन की गई पता चला कि 23 नवंबर 1996 को गोली मारकर देवेंद्र सिंह नामक माले नेता की हत्या कर दी गई थी। आईपीएफ़ माले का वह उस समय सरगना था। हत्या के बाद दूसरे नंबर का सरगना किशुन पंडित वहां पर आया और उसके साथ लगभग 2000 समर्थक थे। उन्होंने पुलिस टीम पर हमला किया और एक पुलिस अधिकारी की हत्या कर दी थी। वहीं तीन अन्य पुलिसकर्मी इस घटना में घायल हुए थे।
यहां से उपद्रवी नक्सली अपने नेता दविंदर सिंह का शव ले गए थे। इसे लेकर पटना के पुनपुन थाना में मामला दर्ज किया गया था। वह तब से फरार चल रहा था। उसकी गिरफ्तारी पर इनाम भी घोषित किया गया था। इस बीच आठ अप्रैल को क्राइम ब्रांच को सूचना मिली कि किशुन पंडित पुल प्रहलादपुर इलाके में आएगा। इस जानकारी पर पुलिस टीम ने उसे पकड़ लिया। पूछताछ के दौरान उसने अपना नाम सुरेंद्र पंडित बताया। उसके पास से जमीन का एक दस्तावेज मिला जिसमें उसका नाम किशुन पंडित था।
इसके अलावा एक आधार कार्ड उसकी पत्नी का बरामद हुआ जिसमें उसका नाम लिखा हुआ था। गिरफ्तार किए गए किशुन पंडित की उम्र 60 साल है। उसे नेताजी के नाम से बुलाया जाता था क्योंकि उसका जन्म नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जन्म के दिन हुआ था। 1994 में उसके खिलाफ साधु पासवान के अपहरण का मामला भी दर्ज हुआ था।