Archana Kumari. कोबरा कमांडो राकेश्वर सिंह मन्हास को नक्सलियों ने रिहा कर दिया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सीआरपीएफ जवान से फोन पर बातचीत कर कुशल क्षेम पूछी और उन्हें हर संभव मदद का भरोसा दिलाया ।
शनिवार को छत्तीसगढ़ के बीजापुर में नक्सलियों और सीआरपीएफ के कोबरा बटालियन के बीच भीषण मुठभेड़ हुई थी और इस मुठभेड़ सीआरपीएफ के 22 जवान मारे गए थे जबकि नक्सलियों ने एक कोबरा कमांडो राकेश्वर सिंह को बंधक बना लिया था। करीब 6 दिनों तक बंधक रखे गए जवान को आखिरकार नक्सलियों ने रिहा कर दिया ।
इससे पहले कोबरा जवान राकेश्वर सिंह को छुड़ाने के लिए सरकार ने नक्सलियों से बात करने के लिए मध्यस्थता टीम गठित की थी और दावा किया गया है कि इस टीम की लगातार कोशिशों के बाद उनकी रिहाई संभव हो पाई। बताया जाता है कि मध्यस्थता टीम में पद्मश्री से नवाजे जा चुके धर्मपाल सैनी, गोंडवाना समाज के अध्यक्ष तेलम बोरैया तथा अन्य लोग शामिल थे।
इस बीच जवान को छुड़ाने का वीडियो वायरल हुआ। वीडियो में देखा गया कि सैकड़ों ग्रामीणों के बीच में मध्यस्थता टीम की मौजूदगी में नक्सली जवान को रस्सियों से खोल रहे हैं इसके बाद उन्हें रिहा कर दिया गया । इससे पहले नक्सलियों ने पहल करते हुए एक दिन पहले रिहाई का संदेश दिया था जिसके बाद जवान को छुड़ाने बस्तर के बीहड़ जंगलों में मध्यस्थता टीम के सदस्यों के साथ कुल 11 लोग गए थे।
पति के नक्सलियों के हाथों मुक्त होने पर उनकी पत्नी मीनू ने भी खुशी जताई और कहा यह उनके जीवन का सबसे खुशनुमा दिन है। मीनू का कहना था कि उम्मीद थी कि उनके पति सकुशल वापस लौट आएंगे। वह खुशी व्यक्त करते हुए कहती है कि आज मेरी जिंदगी का सबसे खुशी का दिन है और मैं उनकी वापसी को लेकर हमेशा आशापूर्ण थी।
इसके लिए मैं सरकार को धन्यवाद करती हूं। इस रिहाई के लिए मध्यस्ता कराने गई दो सदस्यीय टीम के साथ बस्तर के 7 पत्रकारों की टीम भी मौजूद रही जबकि इससे पहले नक्सलियों ने अगवा जवान की तस्वीर जारी कर कहा था कि वो पूरी तरह से सुरक्षित हैं । बताया जाता है कि इस मौके पर कुछ पत्रकारों को भी रिहा किया गया है।
टेकलुगड़ा में 3 अप्रैल को हुई मुठभेड़ के बाद नक्सलियों ने सीआरपीएफ जवान राकेश्वर सिंह को रिहा कर दिया है। उनकी रिहाई के लिए बस्तर के गांधी कहे जाने वाले धर्मपाल सैनी, गोंडवाना समाज के अध्यक्ष तेलम बाैरैय्या, रिटायर्ड शिक्षक जयरुद्र करे और बीजापुर के मुरतुंडा की सरपंच सुखमती हक्का ने मध्यस्थता निभाई है। जवान ने कहा कि 3 अप्रैल को जब हमला हुआ, गोलीबारी के बीच मैं बेहोश हो गया। जब होश आया तो मौके से निकला, लेकिन दूसरे ही दिन पीएलजीए की टीम ने मुझे बंदी बना लिया।