संयुक्त राष्ट्र में 26 सितंबर को यहूदियों के खिलाफ आयोजित हुए सेमिनार में न जाकर इजराइल के प्रधानमंत्री नेतनयाहू ने उसकी औकात दिखा दी। संयुक्त राष्ट्र के संगठन युनेस्को ने इस सेमिनार में भाग लेने के लिए नेतन्याहू को आमंत्रित किया था। लेकिन नेतन्याहू ने साफ शब्दों में उस सेमिनार में हिस्सा लेने से मना कर दिया, जिसमें सिर्फ यहूदियों की निंदा की जानी थी। उन्होंने सेमिनार में भाग लेने से मना करते हुए कहा है कि वैसे तो विरोधवाद से निपटने के लिए मैं पूरा प्रयास कर रहा हूं। लेकिन मैंने युनेस्को के सेमिनार में जाने से इसलिए मना किया है कि यह संस्था शुरू से ही इजरायल के खिलाफ पूर्वाग्रह से ग्रसित है।
मुख्य बिंदु
* यहूदियों के लिए अपमानजनक माने जाने वाले विरोधावद विषय पर आयोजित किया था सेमिनार
* नेतन्याहू ने संयुक्त राष्ट्र संघ पर लगाया इजरायल और यहूदियों के खिलाफ पूर्वाग्रह ग्रसित होने का आरोप
उन्होंने इस विश्व संगठन को आईना दिखाते हुए कहा है कि 2009 से लेकर अभी तक इस संगठन ने इजराइल के खिलाफ 71 निंदा प्रस्ताव पास किए है जबकि अन्य देशों के खिलाफ महज दो निंदा प्रस्ताव पारित किए गए हैं। इससे इजरायल तथा यहूदियों के प्रति उनकी मंशा का पता अंदाजा से लगाया जा सकता है। नेतन्याहू ने कहा कि विरोधवाद (एंटसेमिटिज्म) शब्द का प्रयोग सिर्फ यहूदियों को गाली देने और उनकी निंदा करने के लिए किया जाता है। उन्होंने कहा है कि अगर संयुक्त राष्ट्र संघ को विरोधवाद पर सही मायने में सेमिनार करना है तो सबसे पहले यहूदियों के खिलाफ होने वाले इस शब्द को अपने विषय से हटाना होगा।
इसके साथ ही नेतन्याहू ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र और उनके सारे आनुषांगिक संगठन इजरायल के खिलाफ पूर्वाग्रहपूर्व रवैये के साथ काम करते हैं। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र को इतिहास को झुठलाने का प्रयास अब बंद कर देना चाहिए तथा सच्चाई के साथ खड़ा होना चाहिए। जब तक वह ऐसा नहीं करता ऐसे सेमिनारों का यह हश्र होगा।
Netanyahu accuses the United Nations of prejudice against Israel and Jews
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