
नेटफ्लिक्स राजामौली की फिल्म मोटे दाम पर खरीद सकता है लेकिन सलमान की नहीं
विपुल रेगे। एक रिपोर्ट के अनुसार भारत ओटीटी प्लेटफॉर्म में विश्व का सबसे तेज़ उभरता हुआ बाज़ार है। सन 2024 तक भारत ओटीटी में विश्व का छठवां बाज़ार बन जाएगा। भारत में रेवेन्यू बढ़कर 2.9 बिलियन डॉलर तक पहुँच सकता है। इस रेवेन्यू में कौन बड़ा हिस्सा ले जाएगा, ये उसके कंटेंट पर निर्भर करेगा। भारत में हिन्दी से विलग अन्य भाषाओं की फिल्मों का बड़ा बाज़ार खड़ा हो रहा है।
कंटेट की दृष्टि से निर्धन बॉलीवुड के हिस्से में क्या आएगा, ये तो समय ही बताएगा। हिन्दी सिनेमा के लिए दोधारी चुनौती सामने है। एक तरफ वह सिनेमाई दर्शक तेज़ी के साथ खोता जा रहा है और दूसरी ओर ओटीटी प्लेटफॉर्म पर खालिस मसाला बॉलीवुड स्टाइल को उतनी सफलता नहीं मिली, जितनी अपेक्षा की गई थी। डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर अपनी फिल्म को बेचते समय बार्गनिंग करना इतना आसान नहीं होता।
यहाँ नियम दूसरे चलते हैं। यहाँ फिल्मों को सितारों की मार्केट वेल्यू से नहीं तौला जाता। यहाँ कंटेंट ही सब कुछ है। यहाँ आप सलमान या शाहरुख़ के नाम से फिल्म नहीं बेच सकते। सलमान ख़ान की नई फिल्म राधे : योर मोस्ट वांटेड भाई को ज़ी प्लेक्स ने लगभग 200 करोड़ में ख़रीदा लेकिन नेटफ्लिक्स या अमेजॉन संभवतः ये फिल्म खरीदता ही नहीं।
एस.एस.राजामौली की आगामी फिल्म आर आर आर ओटीटी के लिए उपलब्ध हुई तो नेटफ्लिक्स ने आगे बढ़कर पहल करते हुए इस फिल्म के हिन्दी प्रसारण के ओटीटी प्रसारण अधिकार खरीद लिए। जब आपके पास कंटेंट होता है तो मंच स्वयं चलकर आता है और आपको मुंहमांगी क़ीमत मिलती है। राजामौली की फिल्म बेचने के लिए नेटफ्लिक्स को दर्शक को सब्सक्रिप्शन का लालच नहीं देना पड़ेगा, जैसा ज़ी प्लेक्स ने राधे बेचने के लिए किया था।
ये फ़िल्में हैं, यहाँ एक के साथ एक फ्री वाली स्कीम नहीं चलाई जा सकती। जबसे ओटीटी प्लेटफॉर्म भारतीय फिल्मों के लिए खोला गया, तबसे देखा गया कि मुंबइया मसाला फ़िल्में यहाँ नहीं चल सकी। मसाला फिल्मों का जादू सिनेमाघरों में ही फलीभूत होता है। ओटीटी प्लेटफॉर्म पर विभिन्न विषयों को लेकर फ़िल्में प्रदर्शित होती हैं।
यहाँ डॉक्यूमेंट्रीज का एक बड़ा बाज़ार स्थापित हो चुका है। कंटेंट की दृष्टि से देखें तो बंगाली,मराठी, तमिल, तेलगु भाषा की फिल्मों ने ओटीटी पर बेहतर प्रदर्शन किया है लेकिन हिन्दी फिल्मों ने दर्शक को उतना प्रभावित नहीं किया। बॉलीवुड एक ही तरह की फ़िल्में बना रहा है। ओटीटी प्लेटफॉर्म को बॉलीवुड ने गलत ढंग से ले लिया। उसने सोचा यहाँ स्वतंत्रता है तो और गंदगी फैलाते हैं।
उसे ऐसा लगता है कि सेक्स जैसे विषयों पर उन्मुक्त फ़िल्में बनाकर वह ओटीटी का मार्केट कब्जे में कर सकता है। लेकिन वह ये नहीं सोचता कि सलमान खान की राधे को नेटफ्लिक्स छोड़ देता है और राजामौली की आर आर आर के लिए मोटी रकम चुकाने के लिए क्यों तैयार हो जाता है।
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