रामेशवर मिश्र पंकज| परमपूज्य स्वामी रामदेव जी महाराज पर बने एक धारावाहिक के प्रारम्भिक दृश्यों पर कई सौ फोन और दर्जनों ईमेल तथा फेसबुक सन्देश अ चुके हैं! अतः उत्तर देना मेरा कर्तव्य है। मैंने वह नहीं देखा क्योंकि अभी घर से दूर हूँ और टीवी सुविधा नहीं है,परन्तु सब लोग एक ही बात कह रहे हैं तो गलत नहीं है।
अतः मेरा मत:
* पूज्य स्वामी जी के नाम पर हरियाणा के ब्राह्मणों के विषय में जो दिखाया गया है, वह सरासर झूठ है। मेरा हरियाणा में गहरा संपर्क 40 वर्षों से है।
* आर्यसमाज के असर से हरियाणा में प्रायः ब्राह्मणों का तिरस्कार होता है! ऐ पंडत! कहते हुए अक्सर मजाक होता है अतः स्वामीजी की आड़ में कहा गया उक्त कथन झूठ है।
* स्वामी जी का परिवार आर्य समाजी है और वे कभी मंदिर बचपन में गए ही नहीं, इसलिए उक्त बात झूठ है।
* स्वामी जी को तनिक भी ब्राह्मण द्वेष नहीं है। वे अति व्यस्त हैं और पतंजलि योग पीठ में विशेषतः पतंजलि विश्व विद्यालय में कुछ बड़े अधिकारी भयंकर ब्राह्मण द्वेषी हैं,
उन्होंने ही यह एपिसोड डलवाया है।
* इसका पूज्य स्वामी जी को तत्काल खंडन करना चाहिए! झूठ से कोई बड़ा प्रयोजन नहीं सिद्ध होता, यह योग साधक से अधिक कौन जान सकता है (अगर आप पूज्य स्वामी
जी को महान सिद्ध योग पुरुष न माने तो भी उनके एक उत्कृष्ट साधक और कतिपय सिद्धियों का स्वामी होने का अकाट्य प्रमाण प्रत्यक्ष है), अतः झूठ का खंडन पुण्य
कारक होगा।
* मेरे साथ पूज्य स्वामी जी ने सदा लगभग अपने पिता जैसा व्यवहार किया है और मुझे उनसे पुत्रवत ही स्नेह और प्रबल प्रेम है। अतः यह बात मैं सामने समझाता पर मैं अभी
दूर गोवा में हूँ और फोन पर संपर्क नहीं हो पाया, उधर दुखी जनों के फोन आदि निरंतर आ रहे हैं इसलिए सोशल मीडिया में यह लिखना पड़ा है।
* इसके पीछे विदेश की भारत विरोधी शक्तियां भी हैं। ध्यान रहे, विदेश में भारत समर्थक और प्रशंसक शक्तियां भी बहुत हैं पर लगता है कि इधर स्वामी जी के आसपास के
लोगों का भारत विरोधी शक्तियों से मेलजोल बढा है।
* भारत स्वाभिमान के किसी भी अधिकारी या कायकर्ता में रंच मात्र ब्राह्मण द्वेष नहीं है ,यह मेरा अनुभव है विश्विद्यालय के कुलसचिव आदि पदों पर प्रचंड ब्राह्मण द्वेषी अवश्य हैं।
* विदेश में लोकप्रिय होने और ख्रीस्त शक्तियों से लाभ लेने के लिए यदि यह झूठ गढा गया है तो यह अनर्थकारी है। विदेश में सत्तारूढ़ लोगों में ख्रीस्त अंध आस्था इन दिनों
बिल्कुल नहीं है अतः इस से लाभ भी नहीं मिलेगा।
नोट: लेखक इतिहासकार है।
साभार: फेसबुक