4 नवंबर को रिपब्लिक भारत के प्रधान संपादक अर्नब गोस्वामी को रायगढ़ पुलिस ने दो वर्ष पुराने आत्महत्या के केस में गिरफ्तार कर लिया था। इस केस में अर्नब के साथ और दो लोगों फ़िरोज़ शेख और नितिन शारदा को भी चौदह दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था। इस केस को क्यों खोला गया, जब दो वर्ष पहले रायगढ़ पुलिस इसे खुद बंद कर चुकी थी।
मौत और उसके बाद एफआईआर
5 मई 2018 को आर्किटेक्ट अन्वय नाइक और उनकी माँ कुमुद नाइक अलीबाग के काविर गांव के फॉर्महॉउस पर मृत अवस्था में मिले थे। वे दोनों एक दिन पूर्व 5 मई को मुंबई से काविर जाने के लिए निकले थे। 5 तारीख को जब फॉर्महॉउस के चौकीदार ने दोनों के शव देखे तो पुलिस को सूचना दे दी।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उस समय अन्वय नाइक भारी कर्ज में डूबे हुए थे। घटनास्थल से पुलिस को एक सुसाइड नोट बरामद हुआ, जो अंग्रेजी में लिखा हुआ था। नोट के अनुसार अन्वय नाइक और कुमुद नाइक कॉनकॉर्ड डिजाइन कंपनी प्राइवेट लिमिटेड के डाइरेक्टर थे। सुसाइड नोट में लिखा गया था कि हमारा पैसा फंस गया है और निम्नलिखित कंपनियां हमारा बकाया पैसा नहीं चुका रही हैं।
अर्नब गोस्वामी ARG Outlier (रिपब्लिक भारत) पर 83 लाख बकाया है। ये पैसा बॉम्बे डायिंग स्टूडियो प्रोजेक्ट के लिए बकाया था, जो अब तक नहीं दिया गया। फिरोज शेख ने अब तक 4 करोड़ रुपया वापस नहीं किया। ये पैसा अँधेरी के लक्ष्मी आयडिया प्रोजेक्ट के लिए बकाया था।
नितिन शारदा पर 55 लाख रुपये बकाया हैं, जो मगरपट्टा और बानेर प्रोजेक्ट के लिए बकाया था और अब तक वापस नहीं किया गया। सुसाइड नोट में लिखा गया है कि सम्बंधित व्यक्तियों से बकाया पैसा वसूला जाए और इनको हमारी मौत के लिए ज़िम्मेदार माना जाए। ARG Outlier वह कंपनी है, जिसे अर्नब गोस्वामी का रिपब्लिक चलाता है।
अन्य दो आरोपियों फ़िरोज़ शेख और नितिन शारदा से अर्नब गोस्वामी या उनकी कंपनी का सीधा कोई संबंध नहीं है। 5 मई को इस मामले में पुलिस ने अलीबाग पुलिस स्टेशन पर गोस्वामी, फिरोज शेख और शारदा के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली। ये एफआईआर 4 अगस्त 2018 की बीत चुकी तारीख पर की गई थी। एफआईआर कुमुद की मौत को लेकर भी की गई थी।
पुलिस इस नतीजे पर पहुंची कि अन्वय ने पहले अपनी माँ कुमुद का गला दबाकर हत्या की और उसके बाद खुद का जीवन समाप्त कर लिया। इसके बाद 6 मई को अलीबाग थाने की पुलिस अर्नब गोस्वामी के ऑफिस जाती है और उनसे कहती है कि आप पर आत्महत्या के लिए बहकाने का केस दर्ज किया गया है।
गोस्वामी से उनके आर्थिक लेनदेन के बारे में पुलिस सवाल करती है। अर्नब से कॉनकॉर्ड डिजाइन कंपनी से हुए आर्थिक लेनदेन का हिसाब मांगा गया। उनसे इस लेनदेन से संबंधित बैंक स्टेटमेंट, इमेल्स, वर्क ऑर्डर्स के डिटेल्स और अन्वय नाइक के साथ हुई बैठकों का ब्योरा माँगा गया।
दो दिन बाद रिपब्लिक के मुख्य वित्त अधिकारी एस.सुंदरम और मुख्य कार्यकारी अधिकारी विकास खानचंदानी को अलीबाग पुलिस स्टेशन बुलाया गया। 8 मई को उन्होंने फोन के बिल और अर्नब गोस्वामी, सुंदरम और मोहित धामने के कॉल रिकार्ड्स पुलिस के पास जमा करवा दिए।
इसी केस में 16 अप्रैल 2019 को समरी रिपोर्ट पेश की थी। इसमें लिखा गया था कि जाँच में पर्याप्त सबूत प्राप्त नहीं हुए थे। अर्नब गोस्वामी, शेख और शारदा के खिलाफ कोई प्रमाण नहीं मिले थे और इसलिए कोर्ट में ये केस बंद कर दिया गया था। इसमें महत्वपूर्ण बात ये है कि अन्वय की पत्नी अक्षता और बेटीअदन्या इस जाँच से संतुष्ट नहीं थी।
उन्होंने बाद में मीडिया से कहा कि पुलिस ने केस की क्लोजर रिपोर्ट देने के बाद उन्हें सूचना ही नहीं दी थी। अदन्या के अनुसार जब वे 5 मई को फॉर्महॉउस पहुंचे तो पता चला उनके पिता और माँ ने आत्महत्या कर ली है।
जब उनको पता चला कि पुलिस को सुसाइड नोट मिला है तो उन्होंने पुलिस से निवेदन किया कि जिन लोगों के नाम इसमें हैं, उन पर एफआईआर की जाए। अदन्या के मुताबिक इंस्पेक्टर सुरेश वरदे एफआईआर करने में अनिच्छुक दिखाई दे रहे थे।
पुलिस ने अदन्या से कहा कि इस केस में बहुत प्रभावशाली लोग शामिल हैं और इसके कारण आपकी जान को ख़तरा हो सकता है। अदन्या के मुताबिक उनसे कहा गया कि इस केस को आगे न बढ़ाएं और मीडिया से इस बारे में बात न करें।
लेकिन बाद में बहुत से आवेदनों और दबाव के बाद पुलिस ने आख़िरकार एआईआर दर्ज कर ली। यहाँ ध्यान देने योग्य बात ये है कि एफआईआर शवों के मिलने के कुछ घंटों बाद ही दर्ज कर ली गई थी। अदन्या ने कहा कि उनका परिवार किसी भी कीमत पर इस केस को आगे बढ़ाना चाहता था।
उनके पिता की आखिरी इच्छा थी कि सुसाइड नोट में जिन व्यक्तियों का जिक्र है, उनसे पैसा लेकर कर्जदारों को लौटा दिया जाए। अदन्या के मुताबिक केस रजिस्टर होने के बाद उन तीन व्यक्तियों की जाँच करने के बजाय इंस्पेक्टर वरदे हमारे कागज इकट्ठा करने में ज्यादा रूचि दिखा रहे थे।
उन्होंने आरोप लगाया कि हम कई बार पुलिस स्टेशन गए और उनसे कई बार फोन पर बात की। लेकिन हर बार हमें कहा गया कि जाँच चल रही है और पूरी होने पर कॉल करके उन्हें बताया जाएगा।
अदन्या ने कहा कि उन्हें सही तारीख याद नहीं है लेकिन उनकी माँ ने ने आखिरी बार पुलिस से फरवरी 2020 और अप्रैल के बीच बात की थी। तब भी उन्हें यही कहा गया था कि केस की जाँच अभी चल रही है। उन्होंने ये आरोप भी लगाया कि उनके परिवार को इस केस में गवाही देने के लिए कभी नहीं बुलाया गया था।
और उसके बाद धमकाने वाले फोन कॉल्स आने लगे। उन्होंने आरोप लगाया कि अजनबी लोग उनको घर आकर मारने की धमकी दे रहे थे। हमें धमकी वाले कॉल्स आ रहे थे। अजनबी लोग हमारा पीछा करने लगे थे। उन्होंने बताया कि कई बार अजनबी लोगों द्वारा हमारी कार रोक ली जाती थी।
सब हम पर दबाव बना रहे थे। इसके बाद अदन्या और उनकी माँ मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर संजीव बर्वे से मिली। उन्होंने बर्वे को बताया कि उनके परिवार को धमकियाँ दी जा रही हैं।
परिवार ने आरोप लगाया कि केस बंद होने की जानकारी नहीं दी गई
अप्रैल 2019 में इस केस की क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी गई थी। अदन्या ने बताया कि उनके परिवार को इस बात की जानकारी एक साल बाद मई 2020 में मिली थी। उन्होंने कहा कि 5 मई 2020 को उनकी माँ ने एक वीडियो जारी कर इस केस में जाँच की मांग की थी।
उनकी माँ ने अर्नब गोस्वामी और अन्य व्यक्तियों का नाम भी लिया था। उन्होंने कहा कि हमें डराया और धमकाया गया और फिर हमने सोशल मीडिया पर अपनी आवाज़ उठाने का निश्चय किया। हमारे पास अर्नब की तरह कोई चैनल तो था नहीं। ये वीडियो ट्वीटर पर पोस्ट किया गया था।
इस ट्ववीट पर किसी ने कमेंट कर बताया कि ये केस तो बंद हो चुका है। इसके बाद हमें पता चला कि केस बंद कर दिया गया है। हालांकि इस ट्वीट की पुष्टि न्यूज़लांड्री ने नहीं की है। न्यूज़लांड्री ने जब अपने स्तर पर जाँच की तो पता चला कि अन्वय नाइक की पत्नी अक्षता ने स्पष्ट रुप से कहा कि पुलिस ये केस बंद कर चुकी है।
बाद में मई 2020 में अदन्या ने बताया कि उन्होंने महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख से मिलकर न्याय की मांग की। इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर के मुताबिक देशमुख ने मई में एक ट्वीट किया था। ट्वीट में कहा गया था कि अदन्या ने मुझसे मिलकर शिकायत की है कि अलीबाग पुलिस ने अर्नब गोस्वामी के रिपब्लिक चैनल की भूमिका की जाँच नहीं की।
पुलिस ने अर्नब गोस्वामी के चैनल द्वारा पैसों का भुगतान न करने की जाँच नहीं की। इसके कारण उनके पिता और माँ को आत्महत्या करनी पड़ी। देशमुख ने ट्वीट में लिखा कि मैंने इस मामले में सीआईडी जाँच के आदेश दे दिए हैं।
इसके बाद जब अतुल कुलकर्णी के बयान को देखते हैं तो बात कुछ और ही निकलती है। महाराष्ट्र सीआईडी के असिस्टेंट डाइरेक्टर अतुल कुलकर्णी ने इस दावे का खंडन कर दिया। उन्होंने न्यूज़लांड्री से कहा कि केस हमारे पास कभी आया ही नहीं था। उन्होंने स्पष्ट कहा कि सीआईडी का इस केस में कोई रोल ही नहीं था। 12 अक्टूबर को अक्षता नाइक ने रायगढ़ पुलिस अधीक्षक अशोक दुधे के सामने पुनः गुहार लगाई। दुधे ने इस मामले में अलीबाग कोर्ट को सूचना देकर केस की दोबारा जाँच के लिए कहा।
नाइक परिवार के अनुसार जाँच में कमियां
अक्षता नाइक द्वारा 12 अक्टूबर को दोबारा जाँच के लिए आवेदन दिया, जिसमे अन्वय और कुमुद नाइक की मौत की जाँच को लेकर आरोप लगाए गए थे। जैसे अक्षता का आरोप है कि उन्हें मौतों के बारे में अपने परिचितों से जानकारी मिली। अलीबाग पुलिस ने उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी।
उनके पति और सास के शव सात घंटे तक फॉर्महॉउस पर पड़े रहे थे और उसके बाद पुलिस आई। उनका आरोप था कि आत्महत्या होने के बावजूद पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में इसे दुर्घटनावश हुई मौत बताया था। डॉक्टर अजय इंग्ले की घोषणा से पहले ही पुलिस ने इसे दुर्घटना में हुई मौत लिख दिया था।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट डॉक्टर इंग्ले ने ही बनाई थी। परिवार का कहना है कि अन्वय के शरीर पर फांसी जैसे कोई निशान नहीं मिले थे लेकिन पुलिस ने उन्हें फांसी लगाकर मरना बता दिया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में ये भी मेंशन नहीं है कि अन्वय की माँ कुमुद की गला दबाकर हत्या की गई थी।
फॉर्म हॉउस से बरामद रस्सी भी जाँच के लिए फोरेंसिक लैब नहीं भेजी गई थी। मौतों का समय पोस्टमार्टम रिपोर्ट में नहीं लिखा गया था। हालांकि बाद में इंग्ले ने कहा कि मौतें पोस्टमार्टम के छह से चौबीस घंटों के बीच हुई थी। अक्षता ने कहा कि इंस्पेक्टर वरदे ने पुलिस रिकार्ड में लिखा है कि अन्वय और कुमुद की मौत अस्पताल में इलाज के दौरान हुई थी।
उन्होंने कहा कि अर्नब गोस्वामी को 12 मई को पेश होने का नोटिस भेजा गया था लेकिन वरदे उनसे सवाल करने खुद मुंबई गए थे। क्लोजर रिपोर्ट के अनुसार गोस्वामी को 23 मई को नोटिस भेजा गया था। उनसे 30 मई को अलीबाग पुलिस स्टेशन पेश होने के लिए कहा गया था। इसके बाद अधीक्षक के मौखिक आदेश पर एक पुलिस टीम अर्नब गोस्वामी से पूछताछ करने मुंबई गई थी।अक्षता ने कहा कि अर्नब का बयान मुंबई पुलिस कमिश्नर के कार्यालय में 30 मई 2018 को लिया गया था।
नाइक और ARG के बीच संबंध
कॉनकॉर्ड डिजाइन और ARG Outlier के व्यावसायिक संबंधों की शुरुआत दिसंबर 2016 में हुई थी। ARG ने कॉनकॉर्ड से सिविल और इंटीरियर के काम के लिए एक अनुबंध किया था। ये काम इसके लोअर परेल स्थित स्टूडियो के लिए किया जाना था। यहीं पर इस समय रिपब्लिक का कार्यालय स्थित है।
इसे देखते हुए कहा जाना चाहिए कि दोनों कंपनियों के अनुबंध में कोई चूक नहीं हुई थी। ARG ने कॉनकॉर्ड को अपने प्रोजेक्ट से संबंधित चार वर्क आर्डर दिए। ARG इस काम के लिए 6 करोड़ के भुगतान के लिए तैयार थी। ये अनुबंध इस शर्त पर हुआ था कि काम में आने वाली खराबियों को ठीक करने के बाद ही शेष भुगतान किया जाएगा।
न्यूज़लांड्री ने वे सारे डॉक्युमेंट्स हासिल किये, जिनमे ये सारी जानकारियां दी गई थी। ARG के मुताबिक दिसंबर 2016 से अक्टूबर 2017 के बीच 5.21 करोड़ का भुगतान कर दिया गया था। बाकी का भुगतान कॉनकॉर्ड डिजाइन द्वारा छोड़ दिए गए दोष या अधूरे कार्य पूरा करने पर दिया जाता।
हालांकि अक्षता नाइक इस बारे में कुछ और ही बात कहती हैं। उनका कहना है कि कुल भुगतान 6.49 करोड़ का था और 70.39 लाख पेनल्टी का काटकर ARG को 5.74 करोड़ का भुगतान करना था लेकिन उन्होंने केवल 4.33 करोड़ का ही भुगतान किया। अक्षता के अनुसार 88.02 लाख का भुगतान बाकी था।
अन्वय और कुमुद की मौत के लगभग एक वर्ष बाद 12 अप्रैल 2019 को ARG Outlier ने कॉनकॉर्ड डिजाइन को एक पत्र भेजा था। पत्र में लिखा गया था कि 39.01 लाख का भुगतान उनकी कंपनी को कर दिया गया है। ये पैसे एसबीआई के खाते से कॉनकॉर्ड के बैंक अकाउंट में डाल दिए गए थे।
11 जून 2019 को ARG ने एक और पत्र इस कंपनी को भेजा। इसकी एक-एक कॉपी अक्षता और अदन्या को भी भेजी गई थी। इन पत्रों का ARG को कोई रिस्पॉन्स नहीं दिया गया। पत्र में सूचित किया गया था कि आपके खाते में 39.01 लाख का भुगतान कर दिया जाएगा।
इस बारे में अक्षता नाइक अलग ही बात कहती हैं। उनका कहना है कि काम का कुल भुगतान 6.49 करोड़ का था और उनके हिसाब से 88.02 लाख का भुगतान बाकी है। पत्र में लिखा गया था कि पेंडिंग रहे काम का जो भुगतान ठेकेदारों का बनता था, वह उन्हें दे दिया गया है और आपके लिए 39,01,721 की राशि का भुगतान बनता है। लेकिन अक्षता ने ARG को पत्र लिखकर 88.02 लाख का भुगतान देने के लिए कहा।
क्लोजर रिपोर्ट
ये केस अप्रैल 2019 में बंद कर दिया गया था। न्यूज़लांड्री ने क्लोजर रिपोर्ट की एक कॉपी प्राप्त की है। ये रिपोर्ट 16 अप्रैल 2019 को प्रस्तुत की गई थी। रिपोर्ट कहती है कि अन्वय और कुमुद ने कॉनकॉर्ड डिजाइन के जरिये कई लोगों से इंटीरियर के काम के कांट्रेक्ट लिए थे।
ये लोग उन तीन आरोपियों के लिए काम कर रहे थे, जिनका उल्लेख रिपोर्ट में किया गया है। रिपोर्ट में ये भी लिखा गया कि कॉनकॉर्ड ने काम पूरा नहीं किया और तय समय पर काम पूरा करने में नाकाम रही। ये भी पाया गया कि आरोपी ARG कंपनी ने अपने स्तर पर अधूरा काम पूरा करवाया और काम के लिए वेंडरों को भुगतान भी किया।
दिलचस्प बात ये है कि क्लोजर रिपोर्ट के मुताबिक कॉनकॉर्ड डिजाइन पिछले सात साल से आर्थिक समस्याओं से जूझ रही थी। ये समस्याएं ARG से उनके अनुबंध होने से पहले से ही चली आ रही थी। अन्वय की ये कंपनी सन 2015 से ही लगभग 2 करोड़ के घाटे में चल रही थी। ये घाटा सन 2015 में बढ़कर 5.06 करोड़ हो गया था।
इस आधार पर रिपोर्ट में कहा गया था कि अन्वय लंबे समय से तनाव में चल रहा था। इसी तनाव में उसने कंपनी में पार्टनर अपनी माँ का गला दबाकर हत्या कर दी और उसके बाद खुद को भी मौत के गले लगा लिया। अर्नब गोस्वामी और अन्य दो आरोपियों के बारे में रिपोर्ट स्पष्ट कहती है कि वे किसी भी तरह से इसमें शामिल नहीं थे और न एक दूसरे को जानते थे।
रिपोर्ट के मुताबिक इस बात के कोई प्रमाण नहीं मिले कि उन्होंने ऐसा कुछ किया था, जिसके कारण अन्वय और उसकी माँ को जान देनी पड़ी। 904 पन्नों की रिपोर्ट में तीस गवाहों के बयान शामिल हैं। रिपोर्ट में कंपनी डॉक्युमेंट्स की जानकारी, इमेल्स की जानकारी, पोस्टमार्टम रिपोर्ट, आर्थिक लेनदेन, पंचनामा, फोरेंसिक रिपोर्ट और पुलिस जाँच की रिपोर्ट की पूरी जानकारी दी गई है। इसमें ये भी उल्लेख किया गया है कि कंपनी का पेंडिंग भुगतान 5.75 करोड़ का था, न कि उतना, जितना अक्षता नाइक ने बताया था।
क्लोजर रिपोर्ट में अर्नब गोस्वामी ने बयान दिया है कि वे अन्वय नाइक द्वारा भेजी गई इमेल्स से अनजान थे। ये सारी व्यवस्थाएं रिपब्लिक के सीएफओ एस.सुंदरम ही देख रहे थे। अर्नब ने बयान दिया है कि वे 2018 में अन्वय नाइक द्वारा भेजी गई ईमेल के बारे में कुछ नहीं जानते थे, जिसमे उन्होंने लिखा था कि उनका परिवार तनाव में है और पचास लाख की राशि उनकी जान बचा सकती है।
अन्वय नाइक के साथ काम करने वाले बिल्डिंग मटेरियल सप्लायर अक्षित लखानी ने पुलिस को बताया कि अर्नब गोस्वामी ने अन्वय को 4.30 करोड़ का भुगतान कर दिया था। इसके बाद अन्वय का अर्नब पर 1.73 करोड़ और डिपॉजिट रखा 32.25 लाख का भुगतान शेष था।
रिपब्लिक भारत के फाइनेंशियल हेड मोहित धामने ने नाइक को मेल किया था। इसमें कहा गया था कि उन्हें छह इन्स्टालमेन्ट में बाकी का भुगतान कर दिया जाएगा। इनमे से तीन इन्स्टालमेन्ट नाइक के खाते में जमा भी हो चुकी थी।
इसके बाद नाइक ने सुंदरम से कांटेक्ट किया और बताया कि उसे बाकी का भुगतान नहीं किया गया है। नाइक ने अर्नब गोस्वामी को भी मैसेज किया और बाकी का अमाउंट देने के लिए कहा। हालाँकि नाइक को कोई रिप्लाय नहीं दिया गया था। हालांकि रिपोर्ट में ये पाया गया कि बकाया 5.75 करोड़ में से 5.21 करोड़ नाइक की कंपनी और 41 लाख का अमाउंट वेंडरों को किया जा चुका था। कंपनी को केवल 13.17 लाख रुपया अन्वय की कंपनी को देना बाकी था।
केस को फिर से खोला जाना
8 सितंबर को महाराष्ट्र विधानसभा में अर्नब गोस्वामी के विरुद्ध विशेषाधिकार प्रस्ताव के हनन का मामला लाया गया। प्रस्ताव शिवसेना की ओर से लाया गया था। शिवसेना अर्नब गोस्वामी पर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की छवि ख़राब करने और उनके व शरद पवार के विरुद्ध आपत्तिजनक कमेंट्स करने का आरोप लगा रही थी। इस समय तक उनके खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का केस उठाया जा चुका था। महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख ने कहा कि वे इस मामले में विस्तृत जाँच के आदेश दे रहे हैं। अर्नब गोस्वामी को गिरफ्तार करने के लिए चालीस सदस्यीय टीम का गठन किया गया। और इसके बाद उन्हें उनके घर से घसीटते हुए अलीबाग पुलिस स्टेशन ले जाया गया था।