
कुतुब मीनार पर 17 मई को अगली सुनवाई !
अर्चना कुमारी। कुतुबमीनार परिसर में मौजूद कुव्वुतुल इस्लाम मस्जिद में हिंदू देवताओं की पुनर्स्थापना और पूजा का अधिकार की मांग करने वाली याचिका की सुनवाई फिलहाल टाल दी गई । साकेत कोर्ट अब इस मामले पर अगली सुनवाई 17 मई को करेगी। गौरतलब हो कि अभी दो रोज पहले ही हिंदू संगठन से जुड़े लोगों ने कुतुब मीनार के आगे हनुमान चालीसा का पाठ किया था और कुतुब मीनार को हिंदू जनमानस को सौंपने की मांग की थी।
इससे पहले साकेत कोर्ट ने भारतीय पुरातत्व विभाग को निर्देश दिया था कि कुतुब मीनार परिसर में मौजूद कुव्वत उल इस्लाम मस्जिद परिसर में रखी गई भगवान गणेश की मूर्तियों को परिसर से नहीं हटाए। आपको बता दें कि इस मामले में पहले से ही पूजा-अर्चना अधिकार को लेकर याचिका दायर करने वाले याचिकाकर्ता ने नई अर्जी में कहा है कि गणेश की मूर्तियों को नेशनल म्यूजियम या किसी दूसरी जगह विस्थापित नहीं किया जाना चाहिए।
साथ ही इसके बजाए उन्हें परिसर में ही पूरे सम्मान के साथ उचित स्थान पर रखा जाए। इस बारे में वकील विष्णु जैन की मुख्य याचिका में कहा गया कि हिंदुओं और जैनों के 27 मंदिरों को तोड़कर मस्जिद बनाई गई है जबकि जैन तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव और भगवान विष्णु को इस मामले में याचिकाकर्ता बनाया गया।
29 नवंबर 2021 को सिविल जज नेहा शर्मा ने याचिका खारिज कर दिया था लेकिन सिविल जज के याचिका खारिज करने के आदेश को डिस्ट्रिक्ट जज की कोर्ट में चुनौती दी गई । याचिका में कहा गया है कि कुतुबद्दीन ऐबक ने 27 हिंदू और जैन मंदिरों की जगह कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद बना दिया। दावा किया गया है कि ऐबक मंदिरों को पूरी तरीके से नष्ट नहीं कर सका और मंदिरों के मलबे से ही मस्जिद का निर्माण किया गया।
याचिका में कहा गया था कि कुतुब मीनार परिसर की दीवारो, खंभों और छतों पर हिन्दू और जैन देवी-देवताओं के चित्र बने हुए हैं जबकि इन पर भगवान गणेश, विष्णु, यक्ष, यक्षिणी, द्वारपाल, भगवान पार्श्वनाथ, भगवान महावीर, नटराज के चित्रों के अलावा मंगल कलश, शंख, गदा, कमल, श्रीयंत्र, मंदिरों के घंटे इत्यादि के चिह्न मौजूद हैं ।
सभी प्रमाण साबित करते हैं कि कुतुब मीनार परिसर हिंदू और जैन मंदिर थे और याचिका में कुतुब मीनार को ध्रुव स्तंभ बताया गया । याचिका में आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) के उस इतिहास का जिक्र किया गया जिसमें कहा गया है कि 27 मंदिरों को गिराकर उनके ही मलबे से कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद का निर्माण किया गया
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