बंद कमरे में हुई एक उच्चस्तरीय बैठक के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के उन एनजीओ के फंडिग की निगरानी करने के साथ उसे चेक करने को कहा है जिस पर देश विरोधी गतिविधियों में संलिप्त होने का संदेह है। शीर्ष सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मोदी ने सुरक्षा अधिकारियों के साथ पुलिस अधिकारियों से इस काम को अंजाम देने को कहा है। समझा जाता है कि मोदी ने देश-विरोधी गतिविधियों में शामिल एनजीओ को सबक सिखाने की ठान ली है। प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में इस विषय के संदर्भ में अपनी चिंता जताई थी। अब जब मोदी खुले रूप से इस प्रकार के आदेश दे दिए हैं तो फिर अब इस मामले में गृह मंत्रालय राज्यों के साथ मिलकर उपयुक्त कदम उठाएगा।
मुख्य बिंदु
* एक उच्च स्तरीय बैठक में प्रधानमंत्री ने सुरक्षा अधिकारियों तथा पुलिस अधिकारियों से फंड चेक करने को कहा
* केंद्रीय गृह मंत्रालय अब राज्यों के साथ मिलकर इस मामले में उठाएगा ठोस कदम
देश की संप्रभुता के लिए खतरा उत्पन्न करने वाली गतिविधियों तथा विदेशों से मिलने वाले फंडों के दुरुपयोग करने वाले कई एनजीओ पर विगत दो सारों सरकारी एंजेंसियों की नजर थी। यहां तक सुप्रीम कोर्ट ने भी माना कि केंद्र सरकार से एनजीओ को फंड देने के लिए कानून बनाया जाना चाहिए। देश में करीब 30 लाख एनजीओ देश में कार्यरत हैं लेकिन उनमें से महज 10 प्रतिशत ही अपना बाइलेंस शीट दाखिल करते हैं। इसका दुष्परिणाम ये है कि बड़े स्तर पर बिना किसी जवाबदेही के ये संगठन स्वच्छंद होकर सरकार से मिले 900 करोड़ से भी ज्यादा के फंड प्रति वर्ष खर्च करते हैं, जिसका कोई हिसाब किताब नहीं होता है। इसके अलावा इन संगठनों को विदेशी सहयोग के नाम पर हजारों करोड़ रुपये चंदे के रूप में मिलते हैं।
एक वरिष्ठ पद पर बैठे एक अधिकारी का कहना है कि लोकतंत्र में एक जाग्रत समाज महत्वपूर्ण होता है लेकिन देश में घटित कुछ घटनाओं ने उन एनजीओ की मंशा पर संदेह खड़ा कर दिया है जो अपनी लड़ाई को सामाजिक बुराइयों के खिलाफ बताते हैं। उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने भी इन सामाजिक संगठनों में पारदर्शिता पर सवाल खड़ा किया है। इसके अलावा देश की सर्वोच्च जांच एजेंसी ने तो स्पष्ट रूप से कहा है कि ऐसे अधिकांश समूह बगैर किसी जिम्मेदीरी के चल रहे हैं। इसमें कोई दो राय नहीं कि एनजीओ सामाजिक बदलाव का एक उपकरण हो सकता है लेकिन इस महत्वपूर्ण माध्यों का उन गतिविधियों के लिए उपयोग कर लिया जाता है जो देश हित के खिलाफ होता है।
2017 में सुप्रीम कोर्ट ने एक रिट याचिका की सुनवाई करते हुए एनजीओ की मान्यता के लिए दिशानिर्देश तय करने तथा फंड प्राप्त करने , उसके लिए खाता बनाए रखने तथा उसका ऑडित करने के लिए एक प्रावधान तय करने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने अपने निर्देश में स्पष्ट कहा था कि दिशानिर्देश बिल्कुल स्पष्ट होना चाहिए और उसमें जिक्र होना चाहिए कि डिफॉल्ट होने पर फंड की रिकवरी के लिए कार्रवाई की प्रक्रिया के तहत जरूरत पड़ने पर आपराधिक कार्रवाई की जाएगी।
इस संदर्भ में प्रधानमंत्री का भी यही निर्देश है कि राज्य पुलिस उन एनजीओ तथा संगठनों की फंडिंग की निगरानी करें जिन पर राष्ट विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का संदेह है। जैसे विवादास्पद प्रचारक जाकिर नाइक के नेतृत्व में संचालित इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन ने अपने फंड का उपयोग मुसलिम युवकों को कट्टरपंथी बनाने के लिए करता था।
भारत में चल रहे एनजीओ को देश और विदेश से करीब 27,000 करोड़ रुपये फंड के रूप में मिलते हैं। गृह मंत्रालय के मुताबिक देश में करीब 25,000 संगठन विदेश सहयोग अधिनियम कानून (एफसीआरए) के तहत पंजीकृत हैं। एक आंकड़े के मुताबिक 2016-17 में विभिन्न सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक, शैक्षणिक तथा धार्मिक गतिविधियों को संचालित करने के लिए एनजीओ को 18,065 करोड़ रुपये विदेश से सहयोग के रूप में मिले थे। इनमें से अधिकांश एनजीओ को कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसबिलिटी के अंतर्गत आने वाली कंपनियों से भी फंड मिलते हैं।
इतने फंड मिलने के बावजूद अधिकांश एनजीओ अपना बाइलेंस शीट दाखिल नहीं करते। इसी को देखते हुए गृह मंत्रालय ने राज्यों की पुलिस के साथ मिलकर इसी साल अप्रील में 2011-12 से लेकर 2016-17 तक अपनी बाइलेंस शीट दाखिल नहीं करने के लिए 3000 एनजीओ को नोटिस जारी किया था। नोटिस जारी करने पर पता चला कि कई एनजीओ तो अस्तित्व में ही नहीं हैं। आंध्र प्रदेश में 369, उत्तर प्रदेश में 431, दिल्ली में 299, झारखंड में 71, मध्य प्रदेश में 126, महाराष्ट्र में 519, छत्तीसगढ़ में 43 तथा बिहार में 262 एनजीओ नदारद निकले। पिछले साह ली मंत्रालय ने दिल्ली से संचालित होने वाले 166 एनजीओ के एफसीआरए लाइसेंस कैंसिल कर दिए।
लेकिन जिस प्रकार ने बंद कमरे में हुई उच्च स्तरीय बैठक में इस विषय को लेकर चिंता जताई है उससे उम्मीद की जाती है कि ऐसे एनजीओ के खिलाफ और सख्त कार्रवाई होगी। मोदी का मानना है कि इससे जहां समाज का माहौल बिगड़ता है वही देश की छिव विदेश में भी खराब होती है।
URL: NGOs involved in anti-national activities are no longer good, PM Modi ordered to check funding
Keywords: पीएम मोदी, एनजीओ, देश विरोधी संलिप्तता, PM Narendra Modi, funding of NGOs, anti-national activities, ngo’s anti national activites, foreign funded ngos