पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी की सरकार को नौ साल पूरे हो गए हैं। पहली बार 20 मई 2001 और दूसरी बार 27 मई 2016 को राज्य की मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाली ममता बनर्जी ने 2010 से 2014 तक राज्यपाल रहे और पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एम के नारायणन, 2014 से 2019 तक राज्यपाल रहे उत्तर प्रदेश विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष और मौजूदा राज्यपाल जगदीप धनखड़ से कई मुद्दो पर टकराव रहा। जगदीप धनखड़ से टकराव तो चरम पर पहुंच गया है। पश्चिम बंगाल सरकार से जारी टकराव के बीच राज्यपाल जगदीप धनखड़ का निजी मोबाइल नंबर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया गया। नंबर वायरल होने के बाद राज्यपाल के निजी नंबर पर बड़ी संख्या में अनजान लोगों के फोन और मैसेज आने लगे। मैसेज की भाषा बहुत सख्त थी। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने तो राज्यपाल पर सत्ता हड़पने का आरोप भी लगा दिया। धनखड़ लगातार ममता सरकार पर सवाल उठा रहे हैं। 12 मई को कहा कि धनखड़ ने कहा था कि राज्य सरकार लोगों की चिंताओं को समाधान करने पर ध्यान केंद्रित करे। अगर ऐसा नहीं हुआ, तो थोड़ी सी चूक सत्यानाश का कारण बनेगी। धनखड़ ने एक ट्वीट किया था और उसमें मुख्यमंत्री ममता बनर्जी टैग करते हुए लिखा था कि यह ऐसा समय है जब राज्य सरकार को प्रवासियों, स्वास्थ्य और लोगों की भोजन की समस्याओं को दूर किया जाना चाहिए। इसी दौरान भाजपा के महासचिव और प्रदेश प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने ममता बनर्जी से स्वास्थ्य सचिव को हटाने के बजाय मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा मांग लिया। कोरोना मामले में सही इंतजाम न करने आरोप के बाद मुख्यमंत्री ने राज्य के स्वास्थ्य व परिवार कल्याण विभाग के प्रधान सचिव विवेक कुमार को हटा दिया था। विजयवर्गीय का कहना था कि अपनी असफलता के लिए दूसरों के माथे दोष मढ़ना एक कमजोर व्यक्ति ही करता है। इससे दो दिन पहले 10 मई को धनखड़ ने ममता बनर्जी पर हमला बोलते हुए कहा था कि कोरोना संकट के समय बंगाल के लोगों की जरूरतें पूरी करने में ममता सरकार विफल रही है। राज्यपाल ने ट्वीट करते हुए लिखा था कि संकट के समय मुख्यमंत्री मौजूद नहीं हैं। यह ऐसा समय है, जब किसी को भी बलि का बकरा नहीं बनाया जा सकता। चिंताजनक बात यह है कि मौजूदा स्थिति में बंगाल के लोगों की जरूरतें पूरा करने में ममता बनर्जी की सरकार विफल है। आज के समय में जब जनता उनकी ओर उम्मीद से देख रही है, उन्हें उनकी उम्मीदों की कोई परवाह नहीं। उन्हें लगता है कि वह कुछ छुपा लेंगे, तो बेवकूफ हैं, क्योंकि जनता है इसके सामने कुछ भी छिपा नहीं रहता, सबकुछ जानती है। इससे पहले बंगाल सरकार की ओर से कोलकाता नगर निगम (केएमसी) में प्रशासक के तौर पर मेयर रहे फिरहाद हकीम को नियुक्त करने की जानकारी न देने से नाराज राज्यपाल धनखड़ ने अपने संवैधानिक अधिकारों का प्रयोग करते हुए मुख्यमंत्री से संविधान के अनुच्छेद 167 के तहत जानकारी मांगी थी। इस अनुच्छेद के तहत मांगी गई जानकारी देने के लिए मुख्यमंत्री बाध्य होते हैं। राजभवन की ओर से जारी बयान में कहा गया कि कोलकाता नगर निगम में बोर्ड ऑफ एडमिनिस्ट्रेटर्स की नियुक्ति से संबंधित 6 मई, 2020 की अधिसूचना की जानकारी संविधान के अनुच्छेद 167 के तहत देने के लिए मुख्यमंत्री से अनुरोध किया गया है। राज्यपाल ने कहा, संविधान के तहत दिये गये ‘कर्तव्यों’ का मुख्यमंत्री पालन करें। मुख्य सचिव इस बाबत सूचना दें। राज्यपाल ने मुख्य सचिव को भेजे गये पत्र में लिखा कि कोलकाता नगर निगम के बारे में छह मई की अधिसूचना अभी तक उपलब्ध नहीं करायी गयी है। इसे बिना किसी देरी के राजभवन भेजा जाना चाहिए, जबकि यह अधिसूचना मीडिया में उपलब्ध है। मुख्य सचिव तत्काल अधिसूचना के निर्णय की प्रक्रिया व निर्णय लेने के अधिकार के बार में बतायें। संविधान के तहत इसे सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए। पत्र में जिक्र किया गया कि मुख्य सचिव को पत्र लिखा गया था, लेकिन मुख्य सचिव का जवाब नहीं मिलने के कारण संविधान के अनुच्छेद 167 के तहत जवाब मांगा गया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी एक तरफ तो केंद्र सरकार पर संगीय़ ढांचा तोड़ने का आरोप लगाती है कि दूसरी तरफ लगातार राज्यपाल की अवहेलना कर रही हैं। राजभवन से सूचनाएं मांगने पर भी नहीं दी जाती है। इस बारे में राज्यपाल ने कई बार अपनी नाराजगी जताई। भारत के संविधान में 1949 के अनुच्छेद 167 के तहत व्यवस्था दी गई है कि मुख्यमंत्री को राज्यपाल को सूचना देना अनिवार्य है। राज्य के मुख्यमंत्रियों का दायित्व है कि अपने-अपने राज्यपाल से राज्य के प्रशासन से संबंधित मंत्रिपरिषद के सभी निर्णयों और कानून के प्रस्तावों के लिए संवाद करना, राज्य के मामलों के प्रशासन से संबंधित जानकारी प्रस्तुत करें।
प्रशासक नियुक्त करने पर राज्यपाल ने पहले ट्वीट कर आरोप लगाया था राज्य सरकार ने मेरे नाम से अधिसूचना तो जारी की है, लेकिन मुझे इस बारे में कुछ बताया ही नहीं। पहले मुख्य सचिव राजीव सिन्हा से इस मामले पर जवाब तलब किया। राज्यपाल का कहना था कि सबसे पहले इस नोटिस को बिना देरी किये राजभवन को विचार के लिए भेजा जाना चाहिए था। राजभवन को न भेजकर नोटिस मीडिया में भेज दिया। राज्यपाल की यह नाराजगी बिना जानकारी प्रशासक नियुक्त करने को लेकर थी। कोलकाता नगर निगम के बोर्ड की अवधि गुरुवार, 7 मई को खत्म होने के कारण 8 मई को निगम में प्रशासक के तौर पर वर्तमान मेयर फिरहाद हकीम को ही नियुक्त कर दिया गया। नगर निगम के एमएमआइसी सदस्यों को ही बोर्ड के सदस्य के तौर पर मनोनीत कर दिया गया है। भाजपा ने भी इस नियुक्ति पर सवाल उठाये और मामला हाईकोर्ट तक पहुंच गया। फिरहाद हकीम को नियुक्त करने को लेकर भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव व बंगाल के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने ममता बनर्जी पर हमला बोला और आरोप लगाया कि यह ममता की तुष्टीकरण की नीति है। एक ही व्यक्ति को मंत्री- मेयर और प्रधान सचिव व निगम आयुक्त बना कर भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया जा रहा है। उनका कहना था कि कि यह तुष्टीकरण की नीति का सबसे बड़ा उदाहरण है जो नगरपालिका और नगर विकास मंत्री हैं, वही कोलकाता का मेयर है, जो नगर निगम के आयुक्त हैं, वही नगरपालिका और नगर विकास का प्रधान सचिव हैं। लेने वाले भी हम हैं और देने वाले भी हम।
इसी दौरान प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष दिलीप घोष की अगुवाई में पार्टी के प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल मुलाकात कर कोरोना मुकाबले में राज्य सरकार के असफल रहने की शिकायत की। भाजपा की तरफ से इस मामले में राज्यपाल से हस्तक्षेप करने की मांग की गई। राज्यपाल से मुलाकात के बाद घोष का कहना था कि मुख्यमंत्री कोरोना मुकाबले में पूरी तरह से असफल रही हैं। मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव और गृह सचिव सभी कोरोना के अलग-अलग आंकड़े दे रहे हैं। कोविड-19 को लेकर राजभवन और राज्य सचिवालय के बीच तकरार चल ही रही है। ममता बनर्जी ने 2 मई को राज्यपाल जगदीप धनखड़ पर आरोप लगाया था वह कोरोना वायरस संकट के दौरान सत्ता हड़पने की कोशिश कर रहे हैं। कुछ दिन पहले राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को दो पत्र भेजे थे। इस पर चिढ़ते हुए ममता ने यह तीखी टिप्पणी की। ममता का कहना था कि संकट की इस घड़ी में सत्ता हड़पने की अपनी कोशिशें तेज करने से बाज आने की मैं आपसे विनती करती हूं। आपको सोशल मीडिया पर अपने लगातार ट्वीट में आधिकारिक पत्र/ लोगो इस्तेमाल करने से दूर रहना चाहिए। ममता ने धनखड़ के 14 पेज के अपने जवाब में कहा कि एक राज्यपाल से एक निर्वाचित मुख्यमंत्री को इस तरह के शब्द और इस तरह की विषय-वस्तु, अभिप्राय और लहजे वाले पत्र भारत के संवैधानिक एवं राजनीतिक इतिहास में पूर्ण रूप से अभूतपूर्व हैं। ममता ने कहा है कि स्वाधीन भारत के इतिहास में धनखड़ जैसा खराब बर्ताव करने वाला राज्यपाल कोई नहीं हुआ। धनखड़ द्वारा केंद्र सरकार के आर्थिक पैकेज की तारीफ करने पर तृणमूल कांग्रेस ने विधानसभा के अगले चुनाव में भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ने की सलाह दे दी। राज्यपाल ने देशभर में ‘किसानों की परेशानियों को दूर करने के प्रयासों’ के लिए प्रधानमंत्री नरेंद मोदी की तारीफ करते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से केंद्र की पीएम-किसान योजना में शामिल होने का आग्रह किया था। अपने ट्वीट में धनखड़ ने लिखा था ‘किसानों, प्रवासियों और रेहड़ी-पटरी वालों की दिक्कतों को दूर करने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रशंसनीय प्रयास। पीएम-किसान लाभार्थी कृषकों को किसान क्रेडिट कार्ड से दो लाख करोड़ रुपये का रियायती कर्ज मिलेगा। इसके अलावा रेहड़ी-पटरी वालों को अपना काम शुरू करने के लिए 10 हजार रुपये दिये जाएंगे। धनखड़ ने केंद्र सरकार द्वारा घोषित आर्थिक पैकेज को दूरदर्शी और कायापलट करने वाला करार दिया। तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तथा सांसद कल्याण बनर्जी ने धनखड़ के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उनके ट्वीट से पता चलता है कि राज्यपाल भाजपा के एजेंट के तौर पर काम कर रहे हैं और उन्हें अगले साल भाजपा के टिकट पर विधानसभा चुनाव के मैदान में उतरना चाहिए।
अप्रैल महीने के आखिर में पश्चिम बंगाल सरकार और राजभवन के बीच टकराव और तेज हो गया था। 23 अप्रैल को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्यपाल जगदीप धनखड़ को कड़े शब्दों में पत्र लिखा। राज्यपाल मे मुख्यमंत्री को पत्र का जवाब भेज दिया और ट्विटर पर लिखा कि उन्हें और कुछ कहूंगा ताकि राज्य की जनता को यह पता चले की राज्य की वास्तविक तस्वीर क्या है। जवाब में पांच पेज के पत्र में मुख्यमंत्री ने पिछले कई दिनों से राज्यपाल की ओर से भेजे गए पत्र और एसएमएस उल्लेख किया। ममता ने कहा कि जिस भाषा में राज्यपाल ने एक निर्वाचित मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है वो अत्यंत ही आपत्तिजनक है। ममता ने अपने पत्र के माध्यम से राज्यपाल को कहा है कि ‘आपको देखने से लगता है कि शायद आप यह भूल गए हैं कि वह देश के मर्यादित राज्य की निर्वाचित मुख्यमंत्री हैं। धनखड़ ने कोरोना के हालात का जायजा लेने पहुंची केन्द्रीय टीम को रोकने पर ममता सरकार की आलोचना थी। राज्यपाल ने ममता बनर्जी को टैग करते हुए ट्वीट में लिखा था मैं ममता बनर्जी से अपील करता हूं कि केंद्रीय टीमों को सहज तरीके से अपना काम करने दिया जाए। इसके बाद राज्यपाल ने ममता बनर्जी से कहा कि संकट की इस घड़ी में राज्य को आपके भरोसे नहीं छोड़ सकते। ममता पक अल्पसंख्यक समुदाय का तुष्टीकरण करने का भी आरोप लगाया।