अर्चना कुमारी । महात्मा गांधी जैसा बनने की चाहत में नीतीश कुमार ने शराबबंदी तो कर दी लेकिन अवैध तौर पर शराब बिक्री पर वह रोक नहीं लगा पाए । इसका परिणाम यह निकला कि बिहार के छपरा में 36 से अधिक लोगों की जहरीली शराब पीने से मौत हो चुकी है जबकि कई अन्य जीवन और मौत को लेकर संघर्ष कर रहे हैं।
अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बोल रहे हैं कि जो पिएगा वह तो मरेगा। ऐसा अहंकारी मुख्यमंत्री शायद ही किसी राज्य में हो, पुलिस सूत्रों का दावा है कि कुछ मृतकों का अंतिम संस्कार गुपचुप तरीके से परिजनों ने कर दिया । परिजनों ने अस्पताल में मुकम्मल इलाज नहीं मिलने का आरोप लगाया है और परिजन इस तरह का आरोप क्यों नहीं लगाए जबकि बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था बद से बदतर हालत में पहुंच गई है।
लालू और राबड़ी काल से लेकर नीतीश सरकार तक बिहार की स्वास्थ्य सेवा अब तक नहीं सुधरा और शराबबंदी में इस तरह की घटना बिहार सरकार के मुंह पर तमाचा है। बताया जाता है कि कहने के लिए बिहार में शराबबंदी है जबकि चोरी-छिपे लाखों रुपए मूल्य का शराब की बिक्री धड़ल्ले से जारी है। इसमें सरकार की मिलीभगत तो है ही बिहार पुलिस भी अवैध शराब से लाखों की कमाई करती है। छपरा शराबकांड का मुद्दा बिहार विधानसभा सत्र में भी उठा और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विपक्षियों के सवाल के जवाब में तू-तड़ाक करते नजर आए।
उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने तो यहां तक कह दिया कि पहले भी मौत होती रही है और यह कोई नई बात नहीं है। आंकड़ों पर गौर करें तो बिहार राज्य में साल 2016 में शराबबंदी लागू की गई और अब तक शराबबंदी क़ानून तोड़ने के मामले में कुल पांच लाख से ज़्यादा 5,05,951 केस दर्ज हो चुके हैं ।
आपको जानकर हैरानी होगी कि बीते छह साल में क़रीब ढाई करोड़ लीटर (24226060) अवैध शराब ज़ब्त की गई और शराबबंदी क़ानून तोड़ने के मामले में साढ़े छह लाख से ज़्यादा (655770) लोगों की गिरफ़्तारी की गई और शराबबंदी से नेताओं के जेब तो गर्म हुए ही पुलिसकर्मी भी अकूत संपत्ति का मालिक बन गए।
सूत्र बताते हैं राज्य में क़रीब आठ लाख 40 हज़ार लीटर शराब को अभी भी नष्ट किया जाना बाक़ी है और यह सारा शराब बिहार सरकार के कस्टडी में है जहां पर चूहे भी शराब गटक जाते हैं और सरकार को इसकी खबर तक नहीं मिल पाती। जानकार बताते हैं कि शराबबंदी से बिहार को हर महीने क़रीब छह हज़ार करोड़ के नुक़सान का दावा किया जाता है और इससे दोगुनी रकम अवैध तौर पर कमाई जाती है।
सूत्रों का कहना है कि बिहार में शराब पीने वालों की संख्या कितनी है, इसका तो कोई पैमाना नहीं, लेकिन वहां पकड़ी जा रही शराब और शराब पीने वालों की संख्या के आधार पर एक सर्वेक्षण इस नतीजे पर पहुंचा की, बिहार में 15.5 % लोग शराब का सेवन करते हैं। इन में अभी जो बिहार में जो लोग शराब पी रहे हैं वह पहले से तीन गुना अधिक दाम पर शराब खरीद रहे हैं और सरकार के देखरेख में इसका फायदा सीधे-सीधे शराब माफिया उठा रहे हैं।
बिहार में पकड़ी जा रही अवैध शराब का ज्यादातर हिस्सा तो प्रदेश में ही बन रहा है ,बाकी झारखंड, यूपी, नेपाल और पश्चिम बंगाल से लाई जा रही है और इससे पहले भी कई बार जहरीली शराब के चलते सैकड़ों लोगों की मौत हो चुकी है।