आईएसडी नेटवर्क। एक सप्ताह से अधिक हो चुका है लेकिन सीबीआई ने सुशांत सिंह राजपूत केस में अपनी जाँच के बारे में कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। सुशांत केस को लेकर मीडिया संस्थान लगातार फेक न्यूज़ चला रहे हैं लेकिन सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की ओर से कोई संज्ञान नहीं लिया जा रहा है। जो भी ख़बरें चल रही हैं, उनमें सूचनाएं सीबीआई सूत्रों के माध्यम से लिखी जा रही हैं।
सीबीआई के आधिकारिक बयान आने से पहले ऐसी ख़बरें सुशांत सिंह राजपूत के परिवार और उनके समर्थकों का हौंसला पस्त कर दे रही है। सुशांत की हत्या को पांच माह होने आए हैं और केंद्रीय जाँच एजेंसियों को इस केस पर काम करते हुए दो माह बीत चुके हैं। नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के अचानक थम जाने को लेकर देश का आमजन संजय राउत और देवेंद्र फडणवीस की पिछले दिनों हुई भेंट से जोड़कर देख रहा है।
इस आरोप पर भाजपा की ओर से अब तक कोई स्पष्टीकरण नहीं आया है। हालात ये है कि प्रकाश जावड़ेकर की निष्क्रियता के चलते इस केस से जुड़े समाचारों में बार-बार आत्महत्या की बात दोहराई जा रही है। अब तो कुछ संस्थान लिख रहे हैं कि कई गवाह सीबीआई के सामने जाकर पलट गए हैं।
कुछ संस्थान ईडी के सूत्रों से लिख रहे हैं कि सुशांत के अकाउंट से कोई पैसा नहीं गया। सुशांत के परिवार को गलतफहमी हो गई थी। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय इन आधारहीन ख़बरों को लेकर अब तक सक्रिय होता नहीं दिख रहा है। सुशांत की हत्या को पांच माह बीत चुके हैं और इस केस को मीडिया अटेंशन मिलना बिलकुल बंद हो चुका है।
अभिनेता शेखर सुमन ने एक ट्वीट के जरिये अपनी निराशा व्यक्त कर दी है। उन्होंने लिखा सुशांत केस की गला दबाकर हत्या कर दी गई है। दम घुटा या फिर ऐसे ही फिक्स कर दिया। उनके इस ताज़ा बयान से प्रतीत हो रहा है कि वे अब इस लड़ाई से हटने जा रहे हैं। सुशांत के लिए लड़ने वाले ट्विटर हैंडल्स का भी यही हाल है। कई हैंडल्स तो कई दिन से खामोश हैं।
शेखर सुमन ने इससे पहले भी कहा था कि सब कुछ खत्म हो चुका है, अब लौट जाना चाहिए। हालाँकि वकील और लेखक इशकरण भंडारी अब भी सुशांत के लिए अपनी लड़ाई जारी रखे हुए हैं। इस केस में मीडिया पर नियंत्रण करने का काम सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय का है, लेकिन इसकी निष्क्रियता के कारण केस को प्रभावित करने वाले समाचार लगातार डाले जा रहे हैं।