भारत की पापी सरकारें , तुष्टीकरण बढ़ाती है ;
वोट – बैंक का खेल कर रहीं , हिंदू-मुस्लिम करवाती हैं ।
इन्हें धर्म का भान नहीं है , राष्ट्र से कोई प्रेम नहीं है ;
परम – स्वार्थी,भोग – विलासी , इनका कोई धर्म नहीं है ।
राजनीति का एक लक्ष्य है , चाहे जैसे सत्ता पाओ ;
कोई भी सिद्धांत नहीं है , लूटो-खाओ , मौज मनाओ ।
जब तक जनता उदासीन है , राजनीति ऐसे ही चलेगी ;
गुंडों के गिरोह हावी हों , लूटमार चलती ही रहेगी ।
राजनीति का गंदा खेला , जैसे हो शतरंज का खेल ;
नेता बना हुआ है राजा , खेल रहा है मौत का खेल ।
उसकी कुर्सी रहे सलामत , चाहे देश भाड़ में जाय ;
धोखेबाजी की पूरी नीति है , हर कानून को तोड़ा जाय ।
सबसे गंदी राजनीति है , वो तो केवल भारत की ;
सत्ता हथियाना लक्ष्य है केवल , हुयी दुर्दशा भारत की ।
जब तक हिंदू बंटा हुआ है , सब कुछ यूं ही चलता रहेगा ;
कश्मीर भी होगा ,बंगाल भी होगा, हिंदू यूं ही मरता रहेगा ।
हिंदू को अस्तित्व बचाना , चरित्रहीन नेता से बचना ;
यूपी या आसाम के जैसा ही , नेता अब तुमको चुनना ।
आने वाले संसद चुनाव में , केवल उस नेता को चुनना ;
चरित्रवान हो , धर्मनिष्ठ हो , परम – साहसी नेता चुनना ।
चाहेहो जिस किसी भी दल का,इसको बिल्कुल नहीं देखना
क्योंकि सारे दल हैं दलदल , हर दलदल से बच कर रहना ।
यदि कोई भी ऐसा न हो , तब नोटा का बटन दबाना ;
रद्द करा दो उस चुनाव को , चरित्रहीन को नहीं जिताना ।
जब तक ऐसा नहीं करोगे , देश में हिंदू को नहीं बचना ;
अपनी जान बचाना है तो , हिंदू नोटा करते रहना ।
एक बार सब नोटा कर लो , राजनीति को स्वच्छ बनाओ ;
तब आयेगा अच्छा शासन , गुंडों से अपनी जान बचाओ ।
इसके बाद हमें ये करना , गुंडागर्दी को जड़ से मिटाओ ;
शांति – सुरक्षा हरदम पाओ , देश को हिंदू – राष्ट्र बनाओ ।
“जय हिंदू-राष्ट्र”
रचनाकार : ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”