सुपारी पत्रकार आशीष खेतान ने आम आदमी पार्टी को छोड़ दिया है। उसने अपने फेसबुक पोस्ट में बताया है कि वह सक्रिय राजनीति को छोड़ रहा है। अब वह नियमित रूप से वकालत करेगा और लिखने का काम करेगा। आशीष के इस वक्तव्य पर जो भी भरोसा कर रहा है, वह या तो बेवकूफ है या फिर उसे इसकी फितरत का पता नहीं है!
क्या आशीष खेतान को मिल चुकी है नरेंद्र मोदी को बदनाम करने की सुपारी?
आरोप है कि आशीष खेतान की फितरत सुपारी लेकर फर्जी स्टिंग करता रहा है, वह भी गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ। आप लिखकर ले लीजिए कि इसे नरेंद्र मोदी को बदनाम करने की बड़ी सुपारी मिल चुकी है, इसलिए यह राजनीति छोड़कर फिर से सुपारी पत्रकारिता की ओर मुड़ रहा है! गांठ बांध लीजिए कि 2019 के आम चुनाव से पहले इसके कई फर्जी स्टिंग का शोर लुटियन मीडिया के अखबार और स्टूडियो में गूंजने वाला है! आशुतोष का इस्तीफा भी आम आदमी पार्टी से फर्जी पत्रकारिता के जरिए हिंदी वोटरों को गुमराह करने के लिए हुआ जान पड़ता है!
बड़बोले समर्थक सावधान रहें!
इसलिए हर नरेंद्र मोदी, अमित शाह, योगी व भाजपा समर्थकों और खासकर बड़बोले हिंदुओं से बता दूं कि अब आप जिसको भी फोन करें, बात करें, अपना बड़बोलापन न झाडें, क्योंकि शिकारी घात लगाने के लिए मैदान में आ चुका है! एक साधारण से ट्वीट्राजी दधीचि के नाम पर नरेंद्र मोदी को बदनाम करने वाली यह जमात, आपके नाम पर भी उन्हें बदनाम करने का धंधा चलाएगी, इसे गांठ बांध लीजिए! इन्हें तो बस फर्जी खबर से फर्जी विमर्श पैदा कर फर्जी धारणा स्थापित करना है। इसीलिए तो हरियाणा हो या कर्नाटक, हर भीड़ व्यवहार को यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जोड़ते आए हैं!
इनका क्या है? किसी फर्जी को पकड़ेंगे और उसके मुंह से चला देंगे भाजपा ने दिया सोशल मीडिया पर लिखने वालों को पैसा? और चैनल में बैठे इनके पीडी पार्टनर इसी के आधार पर मोदी व सोशल मीडिया के खिलाफ विमर्श शुरू कर देंगे! इन्हंे तो किसी भी तरह कांग्रेस के लिए 2019 जीतना है। आखिर चार साल से इनके बटुए में सुखाड़ चल रहा है, इसलिए ये बेचैन हैं।इसलिए सावधान रहें और बड़बोलेपन से किसी से बात न करें। बाजार में 2019 से पहले मोदी व भाजपा को बदनाम करने के लिए हजारों करोड़ रुपये झोंके जा चुके हैं। चुनाव के समय कांग्रेस के हित में ‘स्टिंग ऑपरेशन बाजार’ के माहिर खिलाडि़यों में से एक आशीष खेतान चुपके से कभी भी ‘सुपारी पत्रकारिता’ के अपने मिशन पर लौट सकता है!
खेल-खिलाड़ी और पार्टनर!
और हां, यह भी लिखकर ले लीजिए कि तहलका का इसका पूर्व पार्टनर अनिरुद्ध बहल, द वायर का सिद्धार्थ वरदराजन, वेणु व टीम, द प्रिंट का शेखर गुप्ता व उनकी टीम, बरखा दत्त, राजदीप सरदेसाई, सागरिका घोष, पुण्य प्रसून वाजपेयी, अभिसार शर्मा, एनडीटीवी वाले प्रणय राय एवं गिरोह, क्विंट वाला राघव बहल एवं गिरोह, आजतक के अरूणपुरी एवं उनकी टीम, प्रशांत भूषण, इंदिरा जय सिंह, तीस्ता सीतलवाड़, राणा अयूब, संजीव भट्ट, रवीश कुमार, आशुतोष आदि के जरिए फिर से वही पुराना खेल शुरु होने जा रहा है, जिसमें मोदी के चरित्र से लेकर उनकी सरकार तक के खिलाफ फर्जी खबरों का जाल बुना जाएगा। आशीष खेतान जैसे ‘सुपारी’ की इसमें बेहद अहम भूमिका होगी। इसकी पूरी फंडिंग हमेशा की तरह कांग्रेस, उसके समर्थक कारपोरेट व बिजनस हाउस एवं इसाई-अरब वर्ल्ड की ओर से होने जा रहा है। इस बार दुबई और बंगाल के बिजनसमैन के जरिए फंडिंग का गेट खोला जाएगा। मेरी बात जिसको अटपटी लग रही है वह इसे नोट कर लें और आशीष खेतान की सुपारी पत्रकारिता के काल को याद कर ले!
आइए आशीष खेतान की पत्रकारिता का थोड़ा पोस्टमार्टम करते हैं
जनता को तात्कालिक घटनाएं जल्दी याद आती है, इसलिए मैं उल्टी दिशा से शुरु करता हूं। 2014 आम चुनाव से ठीक पहले इस आशीष खेतान को एक अदृश्य फंडिंग हुई थी, जिसके जरिए इसने ‘गुलेल’ नामक वेब पोर्टल शुरु किया था। इसमें भी इसका एक सहयोगी उसका पुराना तहलका वाला पार्टनर अनिरुद्ध बहल और उसका ‘कोबरा पोस्ट’ था। 15 नवंबर 2013 को गुलेल और कोबरा पोस्ट पर एक फर्जी ऑडियो क्लिप चलाया गया, जिसके जरिए नरंेद्र मोदी व अमित शाह के चरित्र हनन का प्रयास किया गया था। इस फर्जी ऑडियो के जरिए यह साबित करने का प्रयास किया गया था कि अमित शाह नरेंद्र मोदी के लिए एक लड़की की जासूसी कराते थे। इससे नरेंद्र मोदी के चरित्र पर सीधा हमला किया गया। इसमें आशीपष खेतान व अनिरुद्ध बहल के अलावा वही लोग शामिल थे, जो 2002 से लगातार मोदी के खिलाफ साजिश रचते रहे हैं, जैसे- टाइम्स ऑफ इंडिया का वरिष्ठ संपादक मनोज मिट्टा, अरुणा राय, सिद्धार्थ वरदराजन, प्रशांत भूषण शामिल थे। चुनाव खत्म हुआ, आशीष का ‘गुलेल’ भी जमींदोज हो गया। क्या तब तक के लिए ही उसकी फंडिंग थी? इसके बाद वह आम आदमी पार्टी में शामिल हो गया।
इससे पहले भी आशीष खेतान मोदी को फंसाने के लिए कर चुका है कई फर्जी स्टिंग
आशीष खेतान तरुण तेजपाल के ‘तहलका’ के लिए नरेंद्र मोदी के खिलाफ कई फर्जी स्टिंग कर चुका है। ‘बेस्ट बेकरी केस’ की मुख्य गवाह जाहिरा शेख को 18 लाख रुपये की रिश्वत देने का मामला हो या नरोदा पाटिया का स्टिंग हो-सभी को आशीष खेतान ने ही अंजाम दिया था, और बाद में इस सबको तीस्ता सीतलवाड़ ने सबूत के तौर पर अदालत में पेश किया था, लेकिन अदालत ने इस सबको एक तरह से फर्जी पाया। इस स्टिंग के बाद उपरोक्त जिन पत्रकारों व मीडिया हाउस का नाम लिखा है, वह सब एक सुर में कांग्रेसी एजेंडे को चलाते थे और मोदी को बदनाम करते थे। ज्ञात हो कि आशीष खेतान के पुराने पार्टनर प्रशांत भूषण जब नाराज हुए थे तो वह भी खेतान द्वारा तहलका में किए गये प्रायोजित खबरों का मुद्दा जनता के समक्ष उठा चुके हैं।
कांग्रेस वही पुराना ‘डर्टी ट्रिक’ लेकर आ रही है?
फिर से 2019 का आम चुनाव सामने है। इस बार भी कांग्रेस वही पुराना ‘डर्टी ट्रिक’ लेकर आ रही है, जिसमें आशीष खेतान जैसे सुपारी, राजदीप, बरखा, सागरिका, पुण्य प्रसून, आशुतोष व रवीश कुमार जैसे प्रोपोगंडावादी, शेखर गुप्ता, सिद्धार्थ वरदराजन, वेणु, अभिसार जैसे फेक न्यूजमेकरों की बड़ी भूमिका है। इसलिए खुश मत होइए कि आशीष व आशुतोष ने आम आदमी पार्टी छोड़ दिया है। बल्कि सचेत होइए कि अब फिर से कांग्रेस ने अपने डर्टी ट्रिक्स डिपार्टमेंट को सक्रिय कर दिया है।
क्रिप्टो क्रिश्चियन एंगल भी है!
और हां, आशीष खेतान एक क्रिप्टो क्रिश्चियन है, यह मत भूलिएगा। उसकी पत्नी क्रिश्चिया फर्नांडीज है, और वह भी आम आदमी पार्टी के लिए प्रचार कर चुकी है। तो आशीष अपने मिशन पर ही है, बस आप लोग इमोशनल होकर अपने मिशन से भटक रहे हैं कि देखो आशीष खेतान ने आम आदमी पार्टी छोड़ दिया! नहीं जी, उसने छोड़ा कुछ नहीं है, बल्कि 2019 को नजदीक देखकर उसने अपने पुराने जॉब-सुपारी पत्रकारिता पर लौटने के लिए यू टर्न लिया है।
URL: Now AAP’s Ashish Khetan Gives Exit, why?
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