हिंदूवादी – दल भी बन गये , क्यों हिंदुत्व के दुश्मन ?
काशी में मंदिर तुड़वाते ,कितना अधम हो गया मन ।
शिव-परिवार के सारे मंदिर , तोड़-तोड़ कर दिये विखंडित ;
उनकी सारी पवित्र भूमि को,मूर्ति सहित कर दिया है खंडित
अहंकार सत्ता का छाया , अधम काम कर बैठे ;
पाप में इतना धंस गये भीतर , म्लेच्छ कार्य कर बैठे ।
जिस गंगा ने तुझे बुलाया , तूने उसमें भर दिया है मलबा ;
क्या आंखों में पट्टी बंधी है ? नहीं दिखाई देता बलवा ।
हिंदू – जीवन का अंतिम – आश्रम , सन्यासी होता है ;
लेकिन पाप को करने वाला , सत्यानाशी होता है ।
इस्लामी सारे आक्रांता , जो पाप कभी न कर पाये ;
तूने सत्ता के नशे में आकर , वे भी मंदिर तुड़वाये ।
भग्न – हृदय हिंदू को करके , किया कुठाराघात ;
ऐसे पाप से बच न सकेगा , अब होगा वज्रपात ।
आने वाला चुनाव का मौसम , कैसे तुम निपटोगे ?
काशी में अब तुम किस मुंह से , वोट की भिक्षा लोगे ।
पहले होता हर – हर मोदी , अब है हट – हट मोदी ;
तेरी गंगा उलट चुकी है , अब तो दुर्गति होगी ।
तेरे साथ ही पार्टी डूबे , गंगा बाहें फैलाये ;
सारे हिंदू अब ” एक-जुट” हैं , तुझको राम बचाये ।
उभर रहा है एक नया दल , हिंदू का रक्षक है ;
धर्म – सनातन का रखवाला , दुष्टों का भक्षक है ।
“एकजुट- जम्मू” ” एकजुट-हिंदू” “एकजुट- भारत” लाओ ;
देश में हिंदू तभी बचेंगे , हिंदू – राष्ट्र बनाओ ।
विश्व में केवल हिंदू ही तो , मानवतावादी हैं ;
वामी , कामी , धिम्मी , गुंडे , दानवतावादी हैं ।
अपना धर्म बचायें हिंदू , अब सतर्क हो जायें ;
हिंदू – धर्म बचेगा तब ही , “एकजुट- भारत ” लायें ।
सबके साथ का नारा देकर , डीएनए उनका बदला ;
इसीलिए दंगे – फसाद से , पूरा भारत दहला ।
हिंदू हरदम शांति चाहता , जिसके लिए जरूरी ;
हिंदू – राष्ट्र बनाओ भारत , अब तो ये मजबूरी ।
हिंदू – राष्ट्र बनेगा भारत , हिंदू – धर्म बचेगा ;
वरना जीवन नहीं बचेगा , हर मंदिर टूटेगा ।
“वंदेमातरम-जयहिंद”
रचयिता: ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”